29 अगस्त 2019: बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय ने अपना द्वितीय स्थापना दिवस मनाया, विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित स्थापना दिवस समारोह में प्रदेश के कृषि-सह-पशु एवं मत्स्य संसाधन के विभागीय मंत्री डॉ प्रेम कुमार मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद थे। इस अवसर पर स्थापना दिवस व्याख्यान का भी आयोजन किया गया, व्याख्यान के लिए नाबार्ड के अध्यक्ष डॉ हर्ष कुमार भानवाला मौजूद थे साथ ही कम्फेड की प्रबंध निदेशक शिखा श्रीवास्तव, इंदिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ एन.एम बिश्वास,पूर्व पशुपालन मंत्री महाचंद्र प्रसाद सिंह विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौजूद थे। कुलपति डॉ रामेश्वर सिंह और कुलसचिव डॉ पी.के कपूर ने विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित पुस्तकों का संग्रह भेंट कर अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति ने विगत दो वर्षो में किये गए कार्यों का रिपोर्ट पेश किया, उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित राज्य के पशुपालकों और पशुचिकित्सकों को दिए गए प्रशिक्षण व् अन्य वर्कशॉप की जानकारी दी। उन्होंने बताया की विश्वविद्यालय द्वारा कई परियोजनाओं पर सफलतापूर्वक कार्य निष्पादन किया जा रहा है, साथ ही भारत सरकार द्वारा प्रदत एम्ब्रो ट्रांसफर टेक्नोलॉजी परियोजना का दायित्व भी विश्वविद्यालय को दिया गया है। अकादमिक विकास और शोध के लिए कई संस्थानों के साथ समझौता कर कार्य किये जा रहे है इसकी भी जानकारी कुलपति ने दिया।
इस अवसर माननीय कृषि-सह-पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने कहा की बिहार राज्य में पशुधन विकास, पशुचिकित्सा, एवं इस क्षेत्र में अनुसन्धान की आवश्यकता के मद्देनज़र एक विश्वविद्यालय की स्थापना की आवश्यकता महसूस की जा रही थी और कृषि रोड मैप में भी इसके स्थापना की परिकल्पना की गयी थी। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए यह विश्वविद्यालय का गठन हुआ था। उन्होंने बताया की राज्य में पशुचिकित्सकों की कमी को देखते हुए किशनगंज में एक नए पशुचिकित्सा महाविद्यालय की स्थापना करने की घोषणा की गयी है जो प्रक्रियाधीन है। विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद इसके विस्तार का कार्य तेजी से जारी है, जिसमे, शैक्षणिक एवं प्रशासनिक सुधर हो रहे है। उन्होंने आगे कहा की बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है जिसकी 89% जनसँख्या गांवों में निवास करती है और जनसँख्या का लगभग 75% अपनी आजीविका के लिए कृषि एवं सम्बन्ध क्षेत्रों पर आश्रित है। राज्य के सकल घरेलु उत्पाद में कृषि एवं सम्बन्ध क्षेत्र का लगभग 18% हिस्सा है जिसमे लगभग 33% पशुपालन प्रक्षेत्र का योगदान है। पशुपालन,डेयरी और मत्स्य पालन गरीबी उन्मूलन के अवसर प्रदान करते है, पशुपालन क्षेत्र कुल ग्रामीण आय में लगभग 50वें हिस्से का योगदान देता है और समाज के सीमांत तबके के श्रमिक और महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराता है, साथ ही यह प्रक्षेत्र मानव की आवश्यकता हेतु प्रोटीन की उपलब्धता ग्रामीण लोगो के सतत अर्थोपार्जन एवं बेरोजगार युवको को स्वरोजगार के सृजन का अवसर प्रदान करता है। इसके लिए समेकित कृषि का विकास तब तक सार्थक और समुचित नहीं होगा जब तक पशु संसाधन का पूर्ण उपयोग नहीं होगा।
राज्य सरकार द्वारा पशुपालन क्षेत्र के विकास के लिए डेयरी उद्यमिता विकास, पशुओं के चिकित्सा, टीकाकरण, बाध्यकरण, कृत्रिम गर्भादान तथा चारा उपलब्ध कराने की अनेक योजनाए संचालित है। राज्य में दुधारू पशुओं के उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए पशुओं के नस्ल सुधार को प्राथमिकता दी जा रही है, इस हेतु पशु प्रजनन नीति 2011 के अनुरूप कार्य करने की योजना बनायीं गयी है, जिसके तहत पशुओं के नस्ल सुधर हेतु नस्लों को चिन्हित किया गया है।, इससे राज्य के करोड़ो पशुओं का नस्ल सुधार होगा जिससे दूध उत्पादन में वृद्धि होगी। उन्होंने कहाँ की बिहार बुरे समय से गुजर रहा है, बाढ़ और सुखाड़ से जन-जीवन प्रभावित हुई है, सरकार किसानों के साथ है और हर संभव मदद की जाएगी। उन्होंने आगे कहा की सरकार द्वारा राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के गठन का फैसला लिया गया है, यह एक स्वतंत्र इकाई होगा जो गौ संसाधनों के सतत अनुवांशिक उन्नयन को बढ़ाने तथा गायों की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए नीतिगत ढांचा का निर्माण एवं बेहतर वातावरण बनाने के लिए कार्य करेगा।
अध्यक्ष नाबार्ड डॉ. हर्ष कुमार भानवाला ने अपने स्थापना दिवस व्याख्यान के दौरान कहा की पूरे विश्व में जो एग्रीकल्चर जीडीपी अर्जित की जाती है उसका मूल्यांकन करें तो उसमें से करीब 40% जीडीपी ऐसी है जो एनिमल रिसोर्सेस से आती है, हम सब को ज्ञात है कि एनिमल रिसोर्सेज का कृषि के अंदर एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण स्थान है और हमेशा बना रहेगा यह सिर्फ 40% कंट्रीब्यूशन से ही अंकित नहीं होता है यह इस बात पर भी निर्भर करता है इसको पाने में और आगे ले जाने में जेंडर सुधार भी होता है. हमारे देश के अंदर कृषि का योगदान पूरी राष्ट्र की आय में 14% है, कृषि का योगदान 14.5% और उसमें से करीब 27% कंट्रीब्यूशन एनिमल रिसोर्सेज सेक्टर से आता है करीब करीब एक तिहाई कृषि उत्पादन एनिमल रिसोर्ट सेक्टर से आता है ऐसी परिस्थिति में किसानों की आय बढ़ाने या फार्मर हाउसहोल्ड की आय बढ़ाने की बात न करते हुए हम ज्यादातर अनाज पर केन्द्रित होते हैं और एनिमल सोर्सेस को सेकेंडरी स्थान दिया जाता है. इस सेक्टर से 30% ग्रोथ आती है। एनिमल रिसोर्सेज का बहुत बड़ा योगदान है, जो अच्छे प्रोटीन सोर्सेस है या तो मीट से आते हैं, अंडे से आते हैं, दूध से आते हैं, या मिल्क प्रोडक्ट्स से आते हैं, अभी भी अगर हमारे यूथ का पोटेंशियल अच्छी स्पोर्ट्स की संभावना में तब्दील करना है या अच्छे सेहतमंद देश का निर्माण करना है तो इसमें एनिमल सेक्टर का भरपूर योगदान रहेगा। मैं समझता हूं संभावना एनिमल रिसोर्स में शुरू से रही है और इसे आगे ले जाने की जरुरत है।
इस अवसर पर उत्कृष्ट योगदान के छात्रों और शिक्षकों को सम्मानित किया गया।
डॉ संजना बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय में मास्टर्स ऑफ़ वेटरनरी साइंस की छात्रा रहीं है, इन्होने अखिल भारतीय प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा को उत्तीर्ण कर देश के अग्रणी संस्थान भारतीय पशु चिकित्सा अनुसन्धान संस्थान, इज्ज़त्नगर में पी.एच.डी में दाखिला प्राप्त किया है, इनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए इन्हें सर्टिफिकेट ऑफ़ अकेडमिक एक्सीलेंस से सम्मानित किया गया।
डॉ आकृति अन्ना, बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय, में बैचलर्स ऑफ़ वेटरनरी साइंस एंड एनिमल हसबेंडरी की छात्रा रहीं है, B.V.Sc. में सर्वाधिक अंक हांसिल कर बैच topper रहीं साथ ही ICAR द्वारा आयोजित जे.आर.एफ की अखिल भारतीय परीक्षा में पुरे देश में 18वां स्थान हांसिल कर हमारा मान बढाया है। इनके द्वारा उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए इन्हें सर्टिफिकेट ऑफ़ अकेडमिक एक्सीलेंस से सम्मानित किया गया।
डॉ श्रुति मिश्रा, बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय, में बैचलर्स ऑफ़ वेटरनरी साइंस एंड एनिमल हसबेंडरी की छात्रा रहीं है, B.V.Sc. के 2014-19 बैच में ये द्वितीय स्थान पर रहीं है, साथ ही ICAR द्वारा आयोजित जे.आर.एफ की अखिल भारतीय परीक्षा में पुरे देश में 19वां स्थान हांसिल कर हमारा मान बढाया है। इनके द्वारा उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए इन्हें सर्टिफिकेट ऑफ़ अकेडमिक एक्सीलेंस से सम्मानित किया गया।
डॉ कौशलेन्द्र कुमार, सहायक प्राध्यापक, पशु पोषण विभाग, बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय द्वारा क्रय पदाधिकारी के तौर पर वित्तीय वर्ष 2018-19 में भारत सरकार के GeM पोर्टल से सर्वाधिक क्रय करने में उत्कृष्टयोगदान किया, हमारे विश्वविद्यालय ने GeM पोर्टल पर खरीदारी में बिहार के सभी विश्वविद्यालयों के मुकाबले प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
डॉ अजीत कुमार, सहायक प्राध्यापक, पशु जैव रसायन विभाग, बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय द्वारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के द्वारा प्रदत फिस्ट प्रोजेक्ट के इन्चार्ज के तौर पर उत्कृष्ट योगदान के लिए इन्हें सम्मानित किया गया।
डॉ पंकज कुमार, सहायक प्राध्यापक, पशुचिकित्सा एवं पशुपालन प्रसार शिक्षा विभाग, बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय द्वारा “आपदा के दौरान पशुओं के प्रबंधन” विषयक प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन व् संचालन में उत्कृष्ट योगदान के लिए. 33 बैच में प्रदेश के सभी पशुचिकित्सकों को यह 4 दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया है।
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