वर्षांत समीक्षा-2019 मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय

4.9
(70)

भारत ने 2019 में एफएमडी और ब्रुसेलोसिस को नियंत्रित करने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया; 535 मिलियन पशुओं को विशिष्‍ट  पशु आधार प्रदान करने का उद्देश्य है

एफएमडी और ब्रुसेलोसिस के लिए राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम
सरकार ने पांच साल के लिए (2019-20 से 2023-24 तक) 13,343.00 करोड़ रुपये के वित्‍तीय परिव्‍यय के साथ एफएमडी और ब्रुसेलोसिस के लिए राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम नामक नई योजना शुरू की है। इसका उद्देश्‍य एफएमडी के लिए 100% पशु, भैंस, भेड़, बकरी और सुअर की आबादी का टीकाकरण और 4-8 महीने की 100% गाय की बछियों में ब्रुसेलोसिस की रोकथाम के लिए टीकाकरण करके सरकारी खजाने पर पड़ने वाले 50,000 करोड़ रूपये की हानि को रोकना तथा किसानों के लिए आर्थिक उत्पादन को बढ़ावा देना भी है। इन बीमारियों के उन्मूलन के लिए यह मिशन मोड दृष्टिकोण मनुष्‍य या पशु किसी में भी किसी भी बीमारी की रोकथाम के लिए दुनिया के किसी भी देश में उठाया गया सबसे बड़ा कदम है। इस कार्यक्रम में 535 मिलियन पशुओं (मवेशी, भैंस, भेड़, बकरी और सुअर) को विशिष्‍ट पशु आधार उपलब्‍ध कराना शामिल है।

और देखें :  भारत में खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए UNWFP के साथ 50 वर्षों की भागीदारी पूरी होने के अवसर पर कॉफी टेबल बुक का विमोचन किया

2019 में नस्ल सुधारने के लिए राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम के तहत 11 लाख से अधिक कृत्रिम गर्भाधान किए गए

राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम (एनएआईपी)
देश के 600 जिलों में, प्रति जिलों 20,000 गोवंशों के लिए राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम को सरकार ने सितंबर 2019 में शुरू किया था। यह नस्ल सुधारने के लिए 100% केंद्रीय सहायता वाला एक सबसे बड़ा कार्यक्रम है। भविष्य में इसका 600 जिलों की सभी प्रजनन योग्य गोवंश आबादी के लिए विस्‍तार किया जाएगा, ताकि भारत में 70% कृत्रिम गर्भाधान कवरेज प्राप्त की जा सके। एनएआईपी के तहत  31 दिसंबर, 2019 तक 11 लाख से अधिक कृत्रिम गर्भाधान किए जा चुके हैं।

गुणवत्ता दुग्‍ध कार्यक्रम
डीएएचडी ने दूध की घरेलू खपत के लिए वैश्विक (कोडेक्स) मानकों को अर्जित करने तथा विश्व निर्यात में दूध और दूध उत्पादों की उपलब्‍धता और बढ़ती हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्यों के साथ गुणवत्ता दुग्ध कार्यक्रम 24 सितंबर, 2019 को शुरू किया।

2019-20 के दौरान कार्यक्रम के पहले चरण में राष्‍ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम के तहत 231 डेयरी संयंत्रों को मजबूत बनाने की मंजूरी दी गई है ताकि उन्‍हें दूध में मिलावट (यूरिया, माल्टोडेक्सट्रिन, अमोनियम सल्फेट, डिटर्जेंट, चीनी आदि) का पता लगाने में सक्षम बनाया जा सके। एफटीआईआर प्रौद्योगिकी आधारित दूध विश्लेषक (दूध की संरचना और मिलावट का सटीक पता लगाने और आकलन के लिए) 30,000 लीटर क्षमता वाले 139 डेयरी संयंत्रों और 30,000 लीटर से कम क्षमता वाले 92 डेयरी संयंत्रों में लगाए गए हैं। इनमें इलेक्ट्रॉनिक दुग्‍ध विश्लेषक और मिलावट परीक्षण उपकरण लगे हैं। इसके अलावा 18 राज्यों में एक-एक राज्य केंद्रीय प्रयोगशाला को मंजूरी दी गई है। इस परियोजना की कुल लागत 271.64 करोड़ रूपये थी। इसमें से 2019-20 के दौरान पहली किस्त के रूप में राज्यों को 1,28.56 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई हैं। जून 2020 में एक बार लागू होने के बाद देश के सभी सहकारी डेयरी संयंत्र अपने उपभोक्ताओं को सभी सूक्ष्म जीव विज्ञानी, रासायनिक और भौतिक मापदंडों पर परीक्षण किए गए गुणवत्तायुक्‍त दूध की आपूर्ति करने में सक्षम होंगे।

और देखें :  किसानों का कल्‍याण नये भारत का अभिन्‍न अंग- श्री राधा मोहन सिंह

यह लेख कितना उपयोगी था?

इस लेख की समीक्षा करने के लिए स्टार पर क्लिक करें!

औसत रेटिंग 4.9 ⭐ (70 Review)

अब तक कोई समीक्षा नहीं! इस लेख की समीक्षा करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

और देखें :  वैमनीकॉम भारतीय सहकारिता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है: राधा मोहन सिंह

हमें खेद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी नहीं थी!

कृपया हमें इस लेख में सुधार करने में मदद करें!

हमें बताएं कि हम इस लेख को कैसे सुधार सकते हैं?

Author

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*