अनुसूचित जाति सबप्लान के तहत मुर्गी चूजों का वितरण

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भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद के कुक्कुट अनुसंधान निदेशालय हैदराबाद और बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पोल्ट्री सीड प्रोजेक्ट के संयुक्त तत्वावधान में मुर्गी पालन प्रशिक्षण सह चूजा वितरण कार्यक्रम का आयोजन परसा के छतना गाँव में किया गया। इस कार्यक्रम में आस-पास के चार गाँव के 60 अनुसूचित जाति परिवारों के महिलाओं बीच वनराजा नस्ल के 20 चूजे, फीडर, ड्रिंकर और मुर्गी दानों का वितरण  कुक्कुट अनुसंधान निदेशालय हैदराबाद के निदेशक डॉ आर.एन. चटर्जी, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के निदेशक अनुसन्धान डॉ. रविंद्र कुमार, डीन डॉ. जे.के.प्रसाद के द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य अनुसचित जाति के परिवारों के जीविकोपार्जन को बढ़ावा देते हुए उनको पोषण सुरक्षा देना है।

चूजो के वितरण से पहले बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय के प्रसार शिक्षा विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. पंकज कुमार ने लाभुकों को दिए जाने वाले चूजो के प्रबंधन के बारे में बताया, उन्होंने कहा की ये चूजे का वितरण महिलाओं को किया जा रहा है ताकि वे स्वावलम्बी बन सके, और अपने परिवार को बेहतर ढंग से चला सके। उन्होंने लोगो को बताया की नौ से दस दिन के चूजे दिए जा रहे है जिसे पंद्रह से बिस दिन तक ख्याल रखने की जरुरत है, समय-समय पर कैसे पालन-पोषण करना है इसकी भी जानकारी उन्होंने दी, साथ ही मुर्गिया कितने अंडे देंगी और कैसे व्यवसाय करना है उसकी भी जानकारी दी गयी ।

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मौके पर उपस्थित  कुक्कुट अनुसंधान निदेशालय हैदराबाद के निदेशक डॉ आर.एन. चटर्जी ने कहा की ये मुर्गी के चूजो का वितरण अनुसूचित जाति के लोगो के उत्थान के लिए की जा रही है ताकि उनके आर्थिक स्तिथि में बदलाव हो सके, उन्होंने बताया की इन मुर्गियों से कमाने के साथ-साथ उनके अंडो का सेवन कर पोषण भी प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा की ऐसा देखा गया है की गरीब तबके के लोग कुपोषण और अन्य शारीरिक परेशानियों से ग्रसित होते है ऐसे में उनके जीविका को ऊपर उठाने में और अंडो के सेवन से शरीर को पोषित रखने में  सहायक होगा।

बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के निदेशक अनुसन्धान डॉ. रविंद्र कुमार ने कहा की लोगो में इन चूजो का वितरण एक शुरुआती कदम है जिससे लोगो को फायदा मिलेगा, उन्होंने लोगो को अंडो के सेवन करने को कहा।  उन्होंने आगे कहा की सिर्फ चूजो का वितरण मात्रा ही नहीं अपितू समय दर समय उनके सेहत का ख्याल और मॉनिटरिंग भी विश्वविद्यालय द्वारा की जाएगी। आगे चलकर महिला सहायता समूह बनाकर मुर्गीपालन के लिए जो जरुरी सुविधा वो दिया जायेगा तथा बकरी पालन और पोल्ट्री यूनिट लगाने में भी विश्वविद्यालय द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी।

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इस अवसर पर बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. जे.के प्रसाद ने कहा की ये पहल आपके स्वस्थ और आर्थिक स्वस्थ दोनों के लिए की जा रही है, इससे महिलाओं में आत्मविश्वास जागेगा और वो घर बैठे पैसे कमा सकती है साथ ही ये कदम से वे स्वावलम्बी बनेंगी।

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