कोविड-19 के कारण लॉकडाउन अवधि के दौरान किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए दिशानिर्देश

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भारत सरकार द्वारा कोविड-19 के कारण लॉकडाउन अवधि के दौरान किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए दिशानिर्देश जारी किये गए हैं। इन दिशानिर्देशों के अनुसार निम्नलिखित कृषि और संबद्ध गतिविधियों को लॉकडाउन की अवधि के दौरान छूट दी गयी है:

  • पशु चिकित्सा अस्पताल।
  • एमएसपी परिचालनों सहित कृषि उत्पादों की खरीद हेतु उत्तरदायी समस्त अभिकरण।
  • जिन मंडियों का संचालन कृषि उपज मंडी समिति द्वारा किया जाता है या राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाता है।
  • किसानों और खेत श्रमिकों द्वारा खेती का कार्य।
  • फार्म मशीनरी से संबंधित कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC)।
  • उर्वरक, कीटनाशक और बीज के विकास और पैकेजिंग में कार्यरत इकाईयाँ।
  • कम्बाइन हार्वेस्टर और कृषि/बागवानी उपकरणों की कटाई और बुवाई संबंधित मशीनों की अंतर-राज्य आवाजाही।

इन छूटों से कृषि और खेती से संबंधित गतिविधियों को बिना किसी असुविधा के सुनिश्चित किया जा सकेगा ताकि आवश्यक आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके और किसानों को लॉकडाउन (बन्दी) के दौरान किसी भी कठिनाई का सामना न करना पड़े। लॉकडाउन (बन्दी) के दौरान कार्यान्वयन के लिए संबंधित मंत्रालयों/राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
*(गृह मंत्रालय, भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार नंबर 2440-3/2020-डीएम-आई (ए) दिनांक 24, 25 और 27 मार्च, 2020)

भारत सरकार के नीति-निर्देशों के आधार पर कृषि और संबद्ध क्षेत्रों से संबंधित गतिविधियों को जारी रखने के लिए राज्य सरकारों के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों द्वारा कार्यान्वयन हेतु दिशानिर्देश जारी कर दिये गये है।

किसान भाईयों के लिए सलाह

1. फसलों की कटाई एवं मड़ाई से संबंधित:
देश में कोविड-19 वाइरस के फैलने के खतरे के साथ रबी फसलें भी तेजी से पकने की ओर अग्रसर है। इन फसलों की कटाई एवं उनके बाजार तक पहुॅंचाने का काम वांछनीय है क्योंकि कृषि कार्य में समय की बाध्यता अत्यंत महत्वपूर्ण है। अतः किसानों को सावधानी एवं सुरक्षा का पालन करना बहुत ही जरूरी है ताकि इससे महामारी का फैलाव ना हो सके। ऐसी स्थिति में साधारण एवं सरल उपाय जैसे सामाजिक दूरी का निर्वाहण, साबुन से हाथों को साफ करते रहना, चेहरे पर मास्क लगाना, सुरक्षा हेतु कपड़े पहनना एवं कृषि संयंत्रों एवं उपकरणो की सफाई करना अत्यंत आवश्यक है। किसानो को खेती के प्रत्येक कार्यो के दौरान एक दूसरे से सामाजिक दूरी बरकरार रखते हुए काम करना आवश्यक है।

निम्नलिखित कुछ सलाह किसानों के लिए अति-उपयोगी है:

  • भारत के उत्तरी प्रांतों में गेहूं पकने की स्थिति में आ रही है। अतः इनकी कटाई के लिए कम्बाइन कटाई मशीन का उपयोग एवं प्रदेशों के अन्दर तथा दो प्रदेशों के बीच इनका आवागमन भारत सरकार के द्वारा आदेश प्रदान किया गया है। हालाॅंकि इस दौरान मशीनों के रखरखाव एवं फसल कटाई में लगे श्रमिकों की सावधानी एवं सुरक्षा सुनिश्चिित करना आवश्यक है।
  • इसी प्रकार उत्तर भारत की सरसों रबी की महत्वपूर्ण फसल है जिसकी किसानों द्वारा हाथ से कटाई एंव कटी फसलों की मड़ाई का कार्य जोरों से चल रहा है।
  • मसूर, मक्का और मिर्ची जैसे फसलों की भी कटाई एवं तुड़ाई चल रही है तथा चने की फसल पकने की स्थिति में आ रही है।
  • गन्ने की कटाई जोरों पर है तथा उत्तर भारत में इसकी रोपाई (हाथ से ) का भी समय है।
  • ऐसी स्थिति में समस्त किसानों एवं कृषि श्रमिकों, जो फसलों की कटाई, फल एवं सब्जियों की तुडा़ई, अंडों और मछलियों के उत्पादन में लगे है, उनके द्वारा इन कार्यों के क्रियान्वयन के पहले, कार्यो के दौरान एवं कार्यो के उपरांत व्यक्तिगत स्वच्छता तथा सामाजिक दूरी को सुनिश्चित करना अत्यावश्यक है।
  • फसलों की हाथ से कटाई/तुड़ाई के दौरान बेहतर होगा कि 4-5 फीट की पट्टियों में काम को किया जाए तथा एक पट्टी की दूरी में एक ही श्रमिक को कार्यरत रखा जाए। इस प्रकार कार्यरत श्रमिकों के बीच उचित दूरी सुनिश्चित की जा सकेगी।
  • कार्यरत सभी व्यक्तियों/श्रमिकों को सुनिश्चित करना चाहिए कि वे मास्क पहनकर ही काम करें तथा बीच-बीच में साबुन से हाथ धोते रहें।
  • एक ही दिन अधिक श्रमिकों को कार्य में लगाने के बजाए उस कार्य को अवधि/दिनों में बाॅंट दिया जाए तथा खेतों में काम अंतराल में किया जाए।
  • जहाॅं तक संभव हो परिचित व्यक्ति को ही खेतो के कार्य में लगायें। किसी अनजान श्रमिक को खेत में कार्य से रोकें ताकि वे इस महामारी का कारण न बन सके।
  • जहाँ तक संभव हो कृषि कार्य उपकरणों व मशीनों से ही किया जाए न कि हाथों से तथा केवल उपयुक्त व्यक्ति को ही ऐसे संचंत्रों को चलाने दिया जाए।
  • कृषि कार्यों में लगे संयंत्रों को कार्यों के पूर्व तथा कार्यों के दौरान साफ (sanitize) किया जाना चाहिए। साथ ही साथ बोरी तथा अन्य पैकेजिंग सामग्रियों को भी साफ (sanitize) किया जाना चाहिए।
  • खलिहानों में तैयार उत्पादों को छोटे-छोटे ढेरों में इकट्ठा करें जिनकी आपस में 3-4 फीट हो। साथ ही प्रत्येक ढेर पर 1-2 व्यक्ति को ही कार्य पर लगाना चाहिए तथा भीड़ इकट्ठा करने से बचना चाहिए।
  • कटाई की गयी मक्के एवं खोदे हुए मूंगफली की मड़ाई हेतु लगाई गई मशीनों की उचित साफ-सफाई एवं स्वच्छता (sanitize) सुनिश्चित करें । खासकर यदि इन मशीनों को अन्य किसानों या कृषक समूहो द्वारा उपयोग किया जाना है। इन मशीनों के पार्ट्स (पुर्जो) को बार-बार छूने पर साबुन से हाथ धोना चाहिए।
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2. कृषि उत्पादों का कटाई उपरान्त भंडारण तथा विपणन:

  • प्रक्षत्रोे पर कुछ खास कार्यो जैसे मड़ाई, सफाई, सुखाई, छंटाई, ग्रेडिंग, तथा पैकेजिंग के दौरान किसानों/श्रमिकों को चेहरे पर मास्क अवश्य लगाना चाहिए ताकि वायु-कण एवं ध्ूाल-कण से बचा जा सके और श्वास संबंधित तकलीफों से दूर रहा जा सके।
  • तैयार अनाजों, मोटे अनाजों तथा दालों को भंडारण के पूर्व पर्याप्त सुखा ले तथा पुराने जूट के बोरों को भडारण हेतु प्रयोग ना करें। नए बोरियों को नीम के 5 प्रतिशत घोल में उपचारित कर तथा सूखा कर ही अनाजों के भंडारण हेतु प्रयोग करें।
  • शीत भंडारों, सरकारी गोदामों तथा अन्य गोदामों द्वारा आपूर्ति की गई जूट की बोरियों का उपयोग अनाज भंडारण हेतु काफी सतर्कता पूर्वक करें।
  • अपने उत्पादों को बाजार-यार्ड अथवा निलामी स्थल तक ले जाने के दौरान ढुलाई के वक्त किसान अपनी निजी सुरक्षा का भरपूर ध्यान रखें।
  • बीज उत्पादक किसानों को अपने बीजों को लेकर बीज कंपनियों तक ट्रांसपोर्ट (यातायात) करने की इजाजत है बशर्ते उन किसानों के पास संबंधित दस्तावेज हो तथा भुगतान के वक्त समुचित सावधानी बरतें।
  • बीज प्रसंस्करण एवं पैकेजिंग, संयंत्रों द्वारा बीजों का आवगमन बीज उत्पादक प्रांतों से फसल उत्पादक प्रंातों तक आवश्यक है ताकि गुणवक्तायुक्त बीजों की उपलब्धता आगामी खरीफ ऋतुु के लिए सुनिश्चित किया जा सके (दक्षिण भारत से उत्तर भारत तक)। उदाहरण के लिए अप्रैल के महीने में उत्तर भारत में हरे चारे की खेती हेतु बीज की आपूर्ति दक्षिण भारत के प्रांतों द्वारा की जाती है।
  • इनके अतिरिक्त, किसानों के द्वारा उनके प्रक्षेत्रों पर तैयार टमाटर, फूलगोभी, हरी पत्तेदार सब्जियां, खीरा तथा अन्य लौकीवर्गीय सब्जियों के बीज के सीधे विपणन में किसानों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।
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प्रक्षेत्रों पर खड़ी फसलों से संबंधित सावधानियाॅं

  • जैसा कि ऐसा देखा जा रहा है कि इस बार अधिकांश गेहूं उत्पादक प्रांतों में औसत तापमान विगत अनेक वर्षो के औसत तापमान से कम है, अतः गेहॅूं की कटाई कम-से-कम 10-15 दिन आगे बढ़ने की संभावना है। ऐसी दशा में किसान यदि 20 अप्रैल तक भी
    गेहूं की कटाई करें तो उन्हें कोई आर्थिक नुकसान नहीं होगा। इस प्रकार गेहूॅं की खरीदारी राज्य सरकारों व अन्य ऐजेंसियों द्वारा करना आसान होगा।
  • दक्षिणी भारत के प्रातों में शीतकालीन (रबी) धान की फसल दाने पुष्ट होने की अवस्था मंे है तथा नेक ब्लास्ट रोग से प्रभावित है। अतः किसानों को सलाह दी जाती है कि संबंधित रोगनाशी रसायन का छिड़काव सावधानी पूर्वक करें।
  • इन्ही प्रांतों में धान की कटाई की अवस्था में यदि असामयिक बारिश हो जाए तो किसानों को 5 प्रतिशत लवण के घोल का छिड़काव फसल पर करना चाहिए ताकि बीज अंकुरण को रोका जा सके।
  • उद्यानिकी फसलेें, खासकर, आम पर इस समय फल बनने की अवस्था है। आम के बागों में पोषक तत्वों के छिड़काव तथा फसल सुरक्षा के उपायों के दौरान रसायनिक निवेशों का समुचित हैंडलिंग, उनका समिश्रण, उपयोग तथा संबंधित संयंत्रों की सफाई अत्यंत आवश्यक है।
  • चना/सरसों/आलु/गन्ना/गेहॅूं के बाद खाली खेतों में जहाॅं ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती होनी है वहाॅं मूंग के फसलों में सफेद मख्खी के प्रबंधन हेतु उचित रसायनों के उपयोग के दौरान समुचित सुरक्षा का पालन करें ताकि इन फसलों को पीले मोजैक (विषाणु) के प्रकोप से बचाया जा सके।
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