इस लॉक डाउन में इंसान के साथ-साथ पशुओं का इलाज भी बहुत बड़ी समस्या है। जहां कई राज्यों में पशुचिकित्सा भी लॉक डाउन है, वहीं बिहार में पशुओं के चिकित्सा को भी प्राथमिकता दी जा रही है, ऐसे में राजधानी स्थित बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पशुचिकित्सक समाज के प्रति अपने दायित्वों को बखूबी निभा रहें है।
सोशल डिस्टन्सिंग और निजी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पीपीई किट के उपयोग द्वारा विश्वविद्यालय के पशुचिकित्सक हर दिन लगभग 10-15 केस देख रहें है। सिर्फ राजधानी ही नहीं बल्कि आस-पास के कई इलाकों से किसान, डॉग-ओनर, पशुपालक गंभीर समस्याओं के निदान हेतु पहुँच रहे हैं। प्रथम लॉक डाउन पीरियड में कुल 446 पशुओं का ईलाज किया गया। ओपीडी इमरजेंसी (मेडिसिन विभाग) में 386 केस को देखा गया, जिनमे सर्वाधिक 347 केस कुत्तों के बीमारी से सम्बंधित है, 17 केस गाय, 9 केस बकरी, 4 भैंस और तोता, बिल्ली, घोड़ा, खरगोश इत्यादि को मिलाकर कुल 13 मामले पशुचिकत्सकों द्वारा देखें गए। ओपीडी इमरजेंसी (सर्जरी विभाग) में 33 कुत्तों, 1 बकरी और 3 खरगोश का सर्जरी किया गया, वहीं ओपीडी इमरजेंसी (पशु प्रसूति विभाग) में 23 केस देखें गए।
बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रामेश्वर सिंह और बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. जे.के. प्रसाद समय-समय पर निरक्षण भी करते है। पशुचिकित्सकों के दल में डॉ. पल्लव शेखर, डॉ.अंकेश, डॉ. मिथिलेश, डॉ. अर्चना, डॉ. जीडी सिंह, डॉ. रणवीर सिन्हा, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. विवेक कुमार सिंह, डॉ. सोनम भट्ट, डॉ. चंद्रशेखर आज़ाद, डॉ. भावना, डॉ. शैलेन्द्र कुमार शीतल और डॉ. अलोक शामिल है। कुलपति ने विश्वविद्यालय के क्लीनिकल टीम और पशुचिकित्सकों का आभार व्यक्त किया और इस वैश्विक संकट में उनके द्वारा दी जा रही सेवाओं की सराहना की।
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