अजोला एक छोटा जलीय फर्न (पौधा) है, जो स्थिर पानी के उपर तैरता है। अजोला को हम घर में गड्ढा बनाकर तलाबों या धान के खेतों में कहीं भी उगा सकते हैं। इसे कई किसान भाई तो घर के पिछवाड़े में 1-1.5 गड्ढा करके प्लास्टिक पिछा कर उगा रहे हैं। यह पानी में एक दम हरे रंग का होता है। अजोला को सभी प्रकार के पशुओं के साथ-साथ मछलियों के पोषण के रूप में किया जा सकता है। अजोला पशुओं के लिए हरे चारे का उत्तम विकल्प है। इससे दुधारू पशुओं में दूध उत्पादन में वृद्धि होती है, साथ ही पशुओं की प्रजनन क्षमता को भी बढ़ाता है। अजोला में सभी प्रकार के खनीज पदार्थ जैसे कैलसियम, आयरन, फासफोरस, जिंक, कोबाल्ट, मैग्नीशियम इसके अलावे पर्याप्त मात्रा में विटामिन, प्रोटीन, एमिनोएसिड एवं अन्य सूक्ष्म खनीज पदार्थ होते हैं। इसे उगाने में किसानों को कोई ज्यादा खर्च या मेहनत नहीं लगता है। इसे पशुओं को खिलाने से दूध उत्पादन में 10-15 प्रतिशत की वृद्धि होती है तथा दूध के वसा में वसा की मात्रा भी 15 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।
शुरू में पशुओं को यह यह खाने में अच्छा नहीं लगता है। अतः शुरू-शुरू में पशु को ज्यादा मात्रा में नहीं देना चाहिए, धीरे-धीरे उसके आहार में अजोला की मात्रा बढ़ाना चाहिए। यह गाय, भैंस, बकरी, मुर्गी, मछली एवं बत्तख को आहार के रूप में दिया जा सकता है। अजोला पशुओं केलिए लाभकारी हरा चारा है क्योंकि इसमें पर्याप्त प्रोटीन के साथ साथ खनीज पदार्थ एवं विटामिन होते हैं।
जब किसान भाई किसी पशु को अजोला खाने में दें तो सर्वप्रथम अजोला को पानी से छान कर निकालें तथा पुनः इसे दो-तीन बार उसे साफ पानी से धों ले उसके बाद उससे पानी जब निकल जाए तब पशु को खाने के लिए दें। इसका उत्पादन करने के लिए अक्टूबर से मार्च महीना सर्वोत्तम माना गया हैं क्योंकि अप्रैल, मई एवं जून महीने में अजोला का उत्पादन कम हो जाता है। लेकिन छाया का इंतजाम कर दिया जाए तो अजोला को अन्य महीनों में भी उत्पादन किया जा सकता है।
अजोला उगाने की विधि
अजोला उगाने के लिए पांच मीटर लम्बा एक मीटर चैड़ा और आठ से दस इंच गहरा पक्का सीमेंट का टैंक बनवा लें। टैंक की लम्बाई व चैड़ाई आवश्यकतानुसार घटा-बढ़ा भी सकते हैं। अगर टैंक नहीं बना सकते, तो जमीन को बराबर करके उस पर इंटों को बिछाकर टैंकनुमा गड्ढा बना लें, गड्ढे में 150 ग्राम मोटी पॉलिथीन को गड्ढ़े में चारो तरफ लगाकर्र इंटों आदि से अच्छी तरह दबा दें। गड्ढ़ा/टैंक किसी छायादार जगह पर ही बनाऐं। गड्ढ़ेा/टैंक में लगभग 40 किलोग्राम खेत की साफ-सुथरी भुरभुरी मिट्टी को डाल दें। 20 लीटर पानी में दो दिन पुराने गोबर को चार-पांच किलोग्राम का घोल बनाकर अजोला के बेड पर डाल दें। गड्ढे़/टैंक में सात से दस सेंटीमीटर पानी भर दें (अजोला के अच्छे उत्पादन के लिए गड्ढ़े/टैंक में इतना पानी हमेशा रखें)
एक से डेढ़ किलोग्राम मादा अजोला कल्चर को पानी में डाल दें। (यह गड्ढ़े/टैंक में एक बार डालना होता है उसके बाद यह धीरे-धीरे बढ़ने लगता है)। दस से बारह दिन में अजोला पानी के उपर फैलकर मोटी हरी चटाई सी दिखने लगता है। बारह दिन के बाद एक किलोग्रााम अजोला प्रतिदिन प्लास्टिक की छन्नी से निकाला जा सकता है। सप्ताह में एक बार गोबर पानी का घोल बनाकर गड्ढ़े/टैंक में जरूर डालते रहें। पशुओं को खिलाने से पहले अजोला को पानी से निकालने के बाद अच्छी तरह साफ कर लें, जिससे गोबर की गंध न आए।
अजोला को पशुओं के रोज के चारे में 1:1 ( बराबर मात्रा) में मिलाकर दूध देने वाले पशुओं को प्रतिदिन खिलाएं। पाया गया है कि मिलने वाले पोषण से दूध के उत्पादन में 10-15 प्रतिशत वृद्धि होती है। इसके साथ 20-25 प्रतिशत रोज के चारे में बचत भी होती है। अजोला पोल्ट्री को भी खिलाया जा सकता है। इससे उनकी वृद्धि जल्दी होती है, अन्य साधारण चारा खाने वाली चिड़ियाँ की तुलना में उनका वनज 10-12 प्रतिशत होता है।
विशेष जानकारी के लिए संपर्क करें अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केन्द्र या कृषि विश्वविद्यालय से जहाँ से आपको अजोला का बीज भी मिल सकता है।
अजोला का पोषकीय गुण
अजोला का पोषकीय गुण |
औसत प्रतिशत |
प्रोटीन | 15-23 |
फाइबर | 12-15 |
कैलसियम | 1-2 |
फ़ॉस्फोरुस | 0.35-0.5 |
पोटासियम | 2.0-2.5 |
पशुओं को अजोला खिलाने की मात्रा
गाय, भैंस, बैल | 1.5-2 किलो/प्रति |
बकरी | 300-500 ग्राम/दिन |
मुर्गी/मुर्गा | 20-30 ग्राम/दिन |
नोटः- 6 × 4 आकार के तालाब में अजोला उगाने के लिए 1-1.5 किलो फ्रेस अजोला कल्चर की आवश्यकता होती है।
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