विभिन्न संचारी रोगों के कारण, लक्षण एवं नियंत्रण

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हमारे देश में गर्मी के दस्तक देने के साथ संक्रामक रोग फैलने लगते हैं जिन्हें संचारी रोग भी कहा जाता है इस तरफ उत्तर प्रदेश सरकार, द्वारा विशेष संचारी रोग पखवाड़ा चलाया गया है जिसकी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं इसके लिए कई विभाग एक साथ मिलकर काम करते हैं जिससे बच्चों का टीकाकरण करने के लिए कई टीमें बनाई गई है। सबको उनकी प्रकृति के अनुरूप जिम्मेदारी सौंपी गई है। कुछ जिलों में जापानी इंसेफेलाइटिस और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के प्रकोप से बच्चों को बचाने पर विशेष ध्यान दिया जाना है, इसके अंतर्गत गांव गांव में मरीजों को खोजा जाएगा। गांव में स्वच्छता अपनाकर लोगों को इन बीमारियों से बचाव को लेकर स्वच्छता अभियान के महत्व को जानना होगा हाई रिस्क गांव में जेई एवं एक्यूट इंसेफेलाइटिस के खात्मे का जिम्मा विशेष शिक्षकों को दिया जा रहा है। विशेष अभियान के अंतर्गत यह शिक्षक गांव में जाकर लोगों को इंसेफेलाइटिस व अन्य संचारी रोगों से बचाव के लक्षणों की जानकारी देंगे। सूकरो को  ग्रामीण आबादी से  दूर पालना चाहिए क्योंकि सूकरो द्वारा इंसेफलाइटिस रोग फैलता है। ग्रामीणों को टॉयलेट का प्रयोग करने व बच्चों में बुखार या अन्य संक्रामक रोगों के लक्षण हों तो उन्हें तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

संचारी या संक्रामक रोग क्या है
बरसात के शुरू होते ही जब पानी जगह-जगह भर जाता है इससे तरह-तरह के नए कीटाणु, जीवाणु एवं विषाणु तथा प्रोटोजोआ रुके हुए पानी से उत्पन्न होने लगते हैं जो अपने साथ अनेक रोगों को जन्म देते हैं जिसका प्रभाव न केवल मानव शरीर पर पड़ता है बल्कि इससे बच्चे अधिक प्रभावित होते हैं। इन्हें मौसमी रोग भी कहा जाता है यह रोग निम्न प्रकार हैं:

  1. मलेरिया: यह रोग प्लाज्मोडियम प्रोटोजोआ की विभिन्न प्रजातियां से होता है जिसमें तेज बुखार का आना स्वभाविक है।
  2. टाइफाइड: यह रोग सालमोनेला जीवाणु की कई प्रजातियों से फैलता है इसमें भी कभी हल्का बुखार तो कभी तेज बुखार आने लगता है इसका प्रभाव हमारे यकृत व शारीरिक क्षमता पर भी पड़ता है ।
  3. चेचक: यह एक विषाणु जनित रोग है जिसमें तेज बुखार व दाने जैसे लक्षण दिखाई देते हैंl
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इसके अतिरिक्त इनफ्लुएंजा जो विषाणु से उत्पन्न होता है, हैजा,खसरा कुष्ठ रोग, हेपेटाइटिस इत्यादि संचारी रोग बहुत तेजी से फैलते हैं जिससे बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। सामान्यतः इन रोगों के लक्षण में दस्त, बुखार, दिमागी बुखार, ज्वर का चढ़ना उतरना आदि। इनमें अनियमित खांसी, बहुत तेज खांसी, उल्टी जैसे लक्षण होते हैं। जिससे इन बीमारियों के आगमन का पता चलता है इन सब रोगों के फैलने की वजह गंदे पानी का नालियों में एकत्रित होना। तेज बारिश के बाद जलभराव। यदि सब लोग अपने स्तर पर इन रोगों को रोकने के लिए उपाय करते हैं तो निश्चय ही काफी हद तक इन रोगों के फैलने पर नियंत्रण किया जा सकता हैl

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रोकथाम
बरसात के दिनों में कूलर, छत, टूटे-फूटे सामान में पानी एकत्रित न होने दें। घर के आस-पास कोई टूटी या खुली नाली है तो उसे साफ एवं ढक कर रखें जिससे इनमें पनपने वाले कीटाणुओं अर्थात जीवाणुओं, विषाणु  एवं प्रोटोजोआ को रोका जा सके। खुले में सौच नहीं जाना चाहिए इससे अनेक जीवाणु व विषाणु हवा में फैल कर इन रोगों को जन्म देते हैं।

संचारी रोगों से बचाव के लिए घर एवं घर के बाहर स्वच्छता होना अति आवश्यक है जिससे मलेरिया एवं डेंगू जैसे खतरनाक रोगों से बचा जा सके। संचारी रोगों जैसे मलेरिया ,फाइलेरिया, डेंगू जोकि एडीज नामक मच्छर से पनपता है। दिमागी बुखार या मस्तिष्क ज्वर जैसा खतरनाक रोग हो सकता है अतः इससे बचाव करना चाहिए। सभी को स्वच्छ एवं ताजा भोजन करना चाहिए। रात को मच्छरदानी लगा कर सोना चाहिए। पूरी बाजू के वस्त्रों का प्रयोग करना चाहिए। इस प्रकार हम न केवल अपना बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य का भी हर ऋतु एवं मुख्य रूप से ऋतु परिवर्तन के समय में भली प्रकार ध्यान रखते हुए अपने  समाज को स्वस्थ बनाए रख सकते हैंl

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