राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की सहायक कंपनी एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज ने रविवार को कहा कि उसने केवल बछिया के जन्म को सुनिश्चित करने के लिए स्वदेशी लिंग वर्गीकृत वीर्य तकनीक विकसित की है। एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज ने बयान में कहा कि नयी तकनीक के परीक्षण परिणाम उत्साहजनक हैं, और अलमादि वीर्य स्टेशन (तमिलनाडु) में लिंग वर्गीकृत वीर्य से पहली बछिया अक्टूबर माह में चेन्नई के पास पैदा हुई है। NDDB के चेयरमैन दिलीप रथ ने कहा कि “स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल कर तैयार किया गया लिंग वर्गीकृत वीर्य इंडस्ट्री मानकों को पूरा करता है, जिससे इस तकनीक को बड़े पैमाने पर अपनाया जाएगा। सेक्स-सॉर्टिंग के लिए स्वदेशी तकनीक विकसित करने का प्रोजेक्ट एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज द्वारा कुछ साल पहले प्रारम्भ किया गया था, जिसका उद्देश्य भारत में सेक्स-सॉर्टेड वीर्य की लागत को कम करना था ताकि यह तकनीक भारत में डेयरी पशुपालकों के लिए सस्ती हो जाए।
क्या है लिंग वर्गीकृत वीर्य तकनीक?
सामान्यतः वीर्य में X तथा Y शुक्राणु लगभग बराबर अनुपात में होते है, Y शुक्राणु से नर तथा X शुक्राणु से मादा संतान पैदा होती है, जिस वजह से नर बछड़ा या मादा बछिया होने की संभावना 50 प्रतिशत रहती है। सेक्स सॉर्टेड सीमेन टेक्नोलॉजी में प्रयोगशाला में Y शुक्राणु को वीर्य से हटा दिया जाता है, जिससे मादा बछिया होने की संभावना 90 प्रतिशत से अधिक हो जाती है, इस प्रकार के वीर्य को “लिंग वर्गीकृत वीर्य” अथवा “सेक्स सॉर्टेड सीमेन” कहते हैं। इस तकनीक में डेयरी पशुओं से केवल बछिया पैदा होने कि वजह से डेयरी पशुपालकों को भारी वित्तीय लाभ प्रदान होता है।
90 के दशक में “सेक्स सॉर्टेड सीमेन टेक्नोलॉजी” अमेरिका के कृषि विभाग के वैज्ञानिको द्वारा Livermore, California, तथा Beltsville, Maryland में विकसित की गई थी, और इसे “Beltsville Sperm Sexing Technology” के रूप में पेटेंट कराया गया था। हालाँकि संयुक्त राज्य अमेरिका में सेक्स सॉर्टेड सीमेन का व्यावसायीकरण 2001 में शुरू हुआ, जब Sexing Technologies नामक फर्म को व्यावसायिक रूप से सेक्स सॉर्टेड सीमेन उत्पादन का लाइसेंस दिया गया। वर्तमान में, Sexing Technologies व्यावसायिक रूप से यूरोप, अमेरिका, कनाडा, मैक्सिको, ब्राजील, चीन, जापान तथा भारत सहित कई देशों में सेक्स सॉर्टेड सीमेन का उत्पादन करता है।
भारत में लिंग वर्गीकृत वीर्य महंगा क्यों है?
वर्तमान में, लिंग वर्गीकृत वीर्य तकनीक का स्वामित्व कुछ बहु-राष्ट्रीय कंपनियों के पास है। इन कंपनियों को दी जाने वाली रॉयल्टी की वजह से डेयरी पशुपालकों को यह तकनीक महंगी पड़ती है। हालांकि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा सब्सिडी देकर लिंग वर्गीकृत वीर्य का मूल्य कुछ हद तक पशुपालकों हेतु कम किया गया है।
NDDB के चेयरमैन दिलीप रथ ने यह विश्वास भी जताया कि नई तकनीक से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के “मेक इन इंडिया” कार्यक्रम और “आत्मनिर्भर भारत” के विज़न को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज के प्रबंध निदेशक सौगत मित्रा ने कहा, “यह तकनीक मौजूदा हज़ार रुपये से अधिक कीमत के लिंग वर्गीकृत वीर्य की लागत को कम करने में मदद करेगी और न केवल पशुपालकों कि आय में वृद्धि करेगी बल्कि देश में निराश्रित पशुओं की समस्या पर काबू करने में महत्वपूर्ण होगी”। उन्होंने कहा कि इस तकनीक से तैयार किया गया लिंग वर्गीकृत वीर्य जनवरी 2021 से व्यावसायिक रूप से उपलब्ध होने की उम्मीद है जो किसानों की आय को दोगुना करने में मददगार साबित होगी।
एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज ने स्वदेशी सेक्स-सॉर्टिंग तकनीक के विकास के लिए, बेंगलुरु स्थित एक शोध और विकास (R & D) संगठन, जीवा साइंसेज के साथ भागीदारी की है। प्रौद्योगिकी में उपयोग किए जाने वाले कुछ प्रमुख घटक प्रमुख संस्थानों द्वारा विकसित किए जाते हैं जैसे कि बेंगलुरु स्थित नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के साथ-साथ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-मद्रास। एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज देश में चार बड़े वीर्य स्टेशनों का प्रबंधन करती है- साबरमती आश्रम गौशाला अहमदाबाद के पास, पशु प्रजनन केंद्र लखनऊ के पास, चेन्नई के पास अलमादि सेमेन स्टेशन और पुणे के पास राहुरी सेमेन स्टेशन। ये वीर्य स्टेशन मिलकर देश में उत्पादित कुल वीर्य का लगभग 35 प्रतिशत उत्पादन करते हैं।
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