मादा पशुओं में प्रसव के पहले होने वाला गर्भपात रोग

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पशुओं में गर्भावस्था के पूर्ण होने से पहले, जीवित अथवा मृत भ्रूण का मादा शरीर से बाहर निकलना गर्भपात कहलाता है। मादा पशुओ में गर्भपात के तीन प्रमुख कारण होते है-

  • मादा पशुओं को गर्भावस्था के समय लगने वाली चोट या किसी प्रकार का आघात
  • पशुओं में होने वाले जीवाणु, विषाणु या परजीवी कासंक्रमण
  • गर्भावस्था के समय हारमोन का असन्तुलन

लक्षण

गर्भपात होने की दषा में पशु बेचैन होते हैं तथा ब्याने जैसे लक्षण प्रदर्शित करते हैं। प्रभावित पशु की योनि से तरल पदार्थ निकलने लगता है जो कि दुर्गन्धयुक्त तथा रक्त मिला हुआ हो सकता है। कभी-कभी पीव मिश्रित भी हो सकता है अल्प विकिसित भ्रूण जीवित या मृत्यु की अवस्था में बाहर आ जाता है। सामान्यत जेर अन्दर ही रूक जाती है।

अल्प विकिसित भ्रूण

उपचार

  1. मादा पशुओं में गर्भपात होने के बाद यदि जेर अन्दर रह गयी हो उसे बाहर निकलना चाहिए इसके बाद एन्टीसेप्टिक औशधियों के घोल से जैसे- सेवलान, बीटाडीन या पोटेशियम परमैगनेट से गर्भाशय की अच्छी तरह से धुलाई करनी चाहिए।
  2. मादा पशुओं के गर्भाशय मे जीवाणुनाषक टिकिया या बोलस जैसे फ्यूरिया, स्टेक्लीन या टेरामाइसीन या आब्लेट-यूरोवेल्क्स डालना चाहिए तथा साथ ही साथ ऐन्टीबायोटिक जैसे डाइक्रिस्टीसीन, ऐम्पीसेलीन, क्लोक्सासीलीन, सेफट्राइक्जोन इत्यादि मे से किसी एक का पूरा कोर्स करना चाहिए।
  3. गर्भपात होने के बाद गर्भाशय में रुके हुऐ पदार्थों को बाहर निकालने के लिए तथा कभी-कभी गर्भपात कराने के लिए प्रोसालवीन या पी.जी.एफ. टू अल्फा की सूई मांस मे लगाना लाभदायक होता है आवष्यकता पड़ने पर 10-12 दिन में दुबारा सूई लगाई जा सकती है।
  4. एक बार गर्भपात हो जाने के बाद बार-बार गर्भपात की समस्या बनी रहती है अतः उचित उपचार के साथ-साथ गर्भपात की रोकथाम के लिए गर्भाधान के बाद से दो महीने तक लेप्टाडीन की 10 गोली रोज दिन मे दो बार देने से लाभ होता है।
और देखें :  पशुओं में गलघोटू रोग: लक्षण एवं बचाव Haemorrhagic Septicaemia (HS)

इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए।

और देखें :  दुधारू पशुओं में इस्ट्रस सिंक्रोनाइजेशन की उपयोगिता एवं विधियां

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