बेरोजगार युवकों को आत्मनिर्भर बनाने और स्वरोजगार से जोड़ने के उद्देश्य से सरकार द्वारा कृत्रिम गर्भाधान का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, प्रशिक्षण के बाद वह अपने गांव व आसपास के क्षेत्र में पशुओं को कृत्रिम गर्भाधान करा कर स्वरोजगार शुरू कर सकते हैं। भारत सरकार के मत्स्य पालन पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा प्रायोजित तथा बी.एल.डी.ए. और बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के पशु चिकित्सा महाविद्यालय द्वारा संचालित कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण “मैत्री” के प्रथम बैच के प्रशिक्षण का समापन महाविद्यालय प्रांगण में हुआ।
एक माह के आवासीय प्रशिक्षण के बाद सभी प्रशिक्षु अपने संबंधित जिले के प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालयों एवं कृत्रिम गर्भाधान केंद्रों पर 2 माह का प्रायोगिक प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। समापन समारोह के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रामेश्वर सिंह ने प्रशिक्षुओं को कृत्रिम गर्भाधान के साथ-साथ नस्ल सुधार की जरुरत और इस क्षेत्र में विकास पर बातें की।
इस अवसर पर अधिष्ठाता, बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय श्री जे.के. प्रसाद ने प्रशिक्षुओं को कृत्रिम गर्भाधान से संबंधित तकनीकी जानकारी साझा किया। इस अवसर पर समन्वयक डॉक्टर पंकज कुमार, डॉ. एस.के. शीतल एवं डॉ. आलोक कुमार उपस्थित थे।
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