बहु-आयामी भेड़ पालन

4.7
(43)

भेड़ सभी घरेलू पशुओं में सबसे कार्यकुशल पशु हैं जिन्हें हजारों वर्षों से पाला जा रहा है। आमतौर पर माँस, दूध और ऊन उत्पादन के लिए व्यावसायिक रूप से भेड़ पालन के रूप में परिभाषित किया जाता है। ऊन, माँस, दूध, खाल और खाद के लिए बहु-आयामी उपयोगिता वाली भेड़ें भारत के विशेष रूप से शुष्क, अर्ध-शुष्क और पहाड़ी क्षेत्रों में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती हैं। यह ऊन, चमड़ी और पशुधन की बिक्री के माध्यम से छोटे किसानों को आय का एक भरोसेमंद स्रोत प्रदान करता है।

बहु-आयामी भेड़ पालन

भेड़ पालन में छोटे और सीमांत किसानों और भूमिहीन मजदूरों का बड़ा हिस्सा, मुख्यतः पहाड़ी क्षेत्रों में अपनी आजीविका के लिए लगा हुआ है। यह भारत के कुछ क्षेत्रों के लोगों के पारंपरिक व्यवसाय और व्यापार का मुख्य साधन है। हालांकि, वाणिज्यिक दुग्ध उत्पादन के लिए भेड़ पालन बहुत लोकप्रिय तो नहीं है, लेकिन मुख्य रूप से यह माँस और ऊन उत्पादन के लिए अच्छा व्यवसाय है।

हालांकि, भेड़ का दूध आहारीय सेवन के लिए लोकप्रिय तो नहीं है लेकिन के दूध में अन्य दूधारू पशु की तुलना में अधिक प्रोटीन, वसा, खनिज तत्व और विटामिन होते हैं। अधिक मात्रा में खनिज तत्व होने के कारण भेड़ का दूध स्वाद में नमकीन होता है और यह हड्डियों के लि‍ए अच्‍छा होता है। भेड़ के दूध में जस्ता, मैग्नीशियम और कैल्शियम सहित आवश्यक खनिज तत्व अन्य पशुओं के दूध की तुलना में अधिक होते हैं। इसका दूध ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्‍या से बचाव करता है। भेड़ के दूध में मौजूद कैल्शियम से हड्डियां और दांत मजबूत होते हैं।

और देखें :  महिला सशक्तिकरण का एक उत्तम उपाय: पशुपालन

अन्य पालतू पशुओं से अलग, भेड़ें सबसे विषम पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुकूल होती हैं। पहाड़ी क्षेत्रों के सबसे दुर्गम क्षेत्रों में जहाँ पर गाय-भैंस और सकूर इत्यादि पशु नहीं चरते लेकिन भेडें ऐसे क्षेत्रों में भी बहुत फुर्तीले और घास चरने वाले पशु हैं। इसके अतिरिक्त, भेड़ों की कुछ नस्लें विरल रेगिस्तान क्षेत्रों में जीवित रहने के लिए अच्छी तरह से अनुकूलित हैं अन्यथा इन क्षेत्रों का उपयोग नहीं किया जाता है।

इस प्रकार, भेड़ों में प्राकृतिक रूप से इन विषम स्थानों पर उगने वाली घास का सेवन कर उसे प्रोटीन में परिवर्तित करने की क्षमता होती है जिसका मुख्य रूप से मनुष्यों द्वारा उपयोग किया जाता है। भेड़ पालन बंजर, रेगिस्तानी, अर्ध-शुष्क और पहाड़ी क्षेत्रों से गरीबी उन्मूलन के लिए एक लाभदायक व्यवसाय और आय का अच्छा स्रोत है।

भेड़ पालन के लाभ

  • भेड़ पालन के लिए कम पूंजी की आवश्यकता होती है।
  • उन्हें पालने के लिए मंहगे आवास बनाने की आवश्यकता नहीं है और दूसरी तरफ अन्य प्रकार के पशुधन की तुलना में कम श्रम की आवश्यकता होती है।
  • पशुपालक इन्हें अन्य पशुओं जैसे कि बकरी के साथ भी पाल सकते हैं जिन्हें पालने के लिए कम जगह की आवश्यकता होती है।
  • भेड़ पालन के लिए आधारीय पशुधन अपेक्षाकृत सस्ता है और 10-12 भेड़ों के झुंड का आकार थोड़े समय के भीतर ही बढ़ कर बड़ा आकार ले लेता है।
  • भेड़ें अन्य प्रकार के पशुओं की तुलना में विभिन्न प्रकार के पौधों को खा सकती हैं। इसलिए वे मैदानी क्षेत्रों से अवांछित पौधों की सफाई के लिए बहुत उपयोगी हैं।
  • भेड़ें निम्न-गुणवत्ता वाली घास का सेवन करके भी जीवित रह सकती हैं और इसे माँस और ऊन में कुशलता से परिवर्तित कर सकती हैं।
  • उनके होठों की संरचना से उन्हें फसल के समय भूमि पर गिरे हुए अनाज को साफ करने में मदद मिलती है और इस तरह उन में अपशिष्ट आहार को लाभदायक उत्पादों में बदलने की क्षमता है।
  • भेड़ें मूल रूप से चरने वाले होते हैं, इसलिए बहुत कम ही ये बकरियों की तुलना में पेड़ों को नष्ट करती हैं।
  • उनके द्वारा ऊन, माँस और खाद का उत्पादन छोटे किसानों को आय के तीन अलग-अलग स्रोत प्रदान करता है।
  • भेड़ें बहुत मजबूत पशु हैं, और आसानी से ज्यादातर सभी प्रकार के पर्यावरण के साथ स्वयं को अनुकूलित कर सकती हैं।
  • भेड़ को कम-से-कम मात्रा में पूरक आहार की आवश्यकता होती है और यह निवेश पर शीघ्र लाभ प्रदान कर सकती हैं।
  • भेड़ के माँस को मटन कहा जाता है जो भारत में काफी लोकप्रिय है। इसलिए, वाणिज्यिक भेड़ पालन उचित देखभाल और प्रबंधन द्वारा आय और रोजगार का एक अच्छा स्रोत हो सकता है।
और देखें :  बकरी पालन एक लाभदायक व्यवसाय

भेड़ पालन के कुछ सामान्य समस्याएं

  • भेड़ पालन व्यवसाय में कुछ सामान्य जटिलताएँ हो सकती हैं, जैसे कि शिकारी जानवरों से उनकी रक्षा, आवास व्यवस्था, ठंड के मौसम से सुरक्षा, बीमारियाँ आदि।
  • विभिन्न समस्याओं में शिकारी जानवरों और बीमारियों से भेड़ों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। इसलिए भेड़ों की सुरक्षा के लिए उपयुक्त बाड़ बनाना और उचित समय पर बीमारियों का टीकाकरण बहुत महत्वपूर्ण है।
  • बाह्य परजीवी स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं, इसलिए भेड़ के शरीर से इनको नियमित अंतराल में दूर किया जाना चाहिए। प्रजनन के मौसम के दौरान भेड़ का उचित आहार, झुंड के आकार को बढ़ाने में भी उपयोगी है।
और देखें :  बकरी पालन कारोबार में मेमनों की देखभाल

यह लेख कितना उपयोगी था?

इस लेख की समीक्षा करने के लिए स्टार पर क्लिक करें!

औसत रेटिंग 4.7 ⭐ (43 Review)

अब तक कोई समीक्षा नहीं! इस लेख की समीक्षा करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

हमें खेद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी नहीं थी!

कृपया हमें इस लेख में सुधार करने में मदद करें!

हमें बताएं कि हम इस लेख को कैसे सुधार सकते हैं?

Author

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*