दुधारू पशुओं में इस्ट्रस सिंक्रोनाइजेशन की उपयोगिता एवं विधियां

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एक साथ बहुत सारे पशुओं को हार्मोन के टीके लगा कर गर्मी में लाने की विधि को इस्ट्रस सिंक्रोनाइजेशन कहते हैं। इस विधि से श्रम और समय में कमी आती है तथा गायों भैंसों को योजनाबद्ध तरीके से कृत्रिम गर्भाधान के परिणाम स्वरूप ब्यात हेतु तैयार किया जा सकता है। इन विधियों के द्वारा वर्ष भर अच्छी मात्रा में दूध प्राप्त किया जा सकता है।

  • इस विधि में गायों एवं भैंसों  को निश्चित समय पर एक साथ कृत्रिम गर्भाधान किया जा सकता है।
  • कुछ विधियों में गर्मी का पता लगाने की आवश्यकता नहीं होती बल्कि निश्चित समय पर कृत्रिम गर्भाधान (FTAI) किया जाता है।
  • गाय-भैंसों को ब्याने की एक निश्चित अवधि के पश्चात (75 से 80 दिन के पश्चात यदि पिछला बच्चा सामान्य रूप से जन्म लेता है, परंतु डिस्टोकिया, यूटेराइन प्रोलेप्स व जेर रुकने की स्थिति में 90 दिन के पश्चात) पर गर्वित किया जा सकता है तथा बछड़ियों को भी वयस्क होने के उपरांत एक साथ गर्वित किया जा सकता है।
  • इस विधि में कई हार्मोन जैसे जीएनआरएच अर्थात गोनेडोटरोपिन रिलीजिंग हार्मोन, प्रोस्टाग्लैंडइन f2 अल्फा एवं सीआईडीआर अर्थात कंट्रोल्ड इंटरनल ड्रग रिलीज डिवाइस, जिसमें 1.38 ग्राम, प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन होता है, का उपयोग किया जा सकता है।
  • इन विधियों के उपयोग से पूर्व पशु की समुचित जांच जरूरी है।
  • पशु नेगेटिव एनर्जी बैलेंस में नहीं होना चाहिए अर्थात पशु में माइक्रो एवं मैक्रो मिनरल्स की कमी नहीं होनी चाहिए। यदि ऐसा लगता है की पशु निगेटिव एनर्जी बैलेंस में है तो उसे अंत: कृमि नाशक औषधि देने  के 3 दिन पश्चात संतुलित आहार एवं पशु चिकित्सक की सलाह से अच्छी कंपनी का मिनरल मिक्सर 50 ग्राम प्रतिदिन प्रति पशु की दर से देना चाहिए। साथ ही साथ 50 ग्राम नमक प्रति पशु प्रतिदिन देना चाहिए। जिससे इस विधि द्वारा वांछित सफलता प्राप्त की जा सकती है।
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इसमें बहुत सारी विधियां काम में ली जाती है परंतु जो सबसे अधिक उपयोग में आती है उसे “ओवसिंच प्रोग्राम” कहते हैं।

इस “ओवसिंच “अर्थात ओव्यूलेशन सिंक्रोनाइजेशन प्रोटोकॉल विधि में पशुओं को प्रथम दिन जीएनआरएच (रिसेप्टल अथवा गायनरिच) 10 माइक्रोग्राम अर्थात 2.5 मिलीलीटर का टीका लगाया जाता है उसके पश्चात सातवें दिन सिंथेटिक प्रोस्टाग्लैंडइन f2 अल्फा (वेटमेट/ प्रैग्मा) 500 माइक्रोग्राम अथवा प्राकृतिक pgf2 अल्फा (लुटालाइज) 25 मिलीग्राम का इंजेक्शन दिया जाता है उसके 2 दिन पश्चात पुनः जीएनआरएच 2.5 एम एल अर्थात 10 माइक्रोग्राम का टीका लगाया जाता है।

दूसरे जीएनआरएच के टीके के 16 से 20 घंटे पश्चात 12 घंटे के अंतर पर दो बार कृत्रिम गर्भाधान करवा सकते हैं।

भैंसों में खास करके गर्मियों के मौसम में पहले जीएनआरएच के टीके के साथ सीआईडीआर योनि में लगा देते हैं सातवें दिन प्रोस्टाग्लैंडइन f2 फा अल्फा का टीका लगा देते हैं और आठवें दिन सीआईडीआर बाहर निकाल देते हैं उसके 24 घंटे पश्चात जीएनआरएच का इंजेक्शन देकर  16 से 20 घंटे के पश्चात 12 घंटे के अंतर पर दो बार कृत्रिम गर्भाधान करवा देते हैं।

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इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए।
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