हमारे देश में कई प्रकार के कीट नाशक प्रयोग किये जाते है। रासायनिक प्रकृति के आधार पर जिनका वर्गीकरण निम्नलिखित है
- आरगैनीक्लोरीन समूह: डी.डी.टी., एल्ड्रीन, लीनडेन आदि
- आरगैनाफास्फेट समूह: पैराथीयान, मैलाथीयान आदि
- कारबामेट समूह: कारबेरिल, एडाडीकार्य
- सिन्थेटिक पाइरिथ्रोएड समूह: साइपरमेथ्रिन, परमेथ्रिन
यदि पशु गल्ती से कीटनाशक मिला पानी या खाना खा लेता है तो उसमें विषाग्रता उत्पन्न हो जाती है और निम्न लक्षण प्रकट करता है:-
आरगैनोक्लोरिन
पहले पशु उत्तेजना प्रकट करता है और बाद में सुस्त पड़ जाता है। पशु की मृत्यु दम घुटने से होती है। पशु इधर-उधर भागता है, उसकी यकृत क्षतिग्रस्त होती है। अगले एवं पिछले पैर की मांसपेशियों में कम्पन होता है। बुखार उल्टी, अत्यधिक लार का बनना, दस्त एवं बार-बार पेशाब करना प्रमुख है।
उपचार
- कोई प्रमुख एण्टीडाट नही है।
- प्रभावित खाना या पानी बन्द कर देना चाहिए।
- तेल युक्त परगेटिव देना चाहिए।
- थोडी मात्रा में एट्रोपिन सल्फेट का इन्जेक्षन देना चाहिए।
- एक्टिवेटेड चारकोल एट दी रेट 2 किलो एक बार उसके बाद एक किलो रोज दो सप्ताह तक देना चाहिए।
आरगैनोफास्फेट कीटनाशक
इसकी विषाग्रता होने पर पशु का दम घुटता है, अत्यधिक लार उत्पन्न होता है जो मुहँ से टपकने लगता है। आंसूं गिरते है। अत्यधिक पसीना होता है। पशु जल्दी-जल्दी पेशाब व गोबर करता है। पेट में र्दद व उल्टी करता है। साॅस लेने में तकलीफ होती है। रक्त चाप कम हो जाता है। पैर के नीचले भाग में कमजोरी हो जाती है तथा मांसपेशियां कमजोर हो जाती है।
उपचार
सबसे पहले विषाग्रता के स्रोत को हठा देना चाहिए। पशु को एट्रोपिन सल्फेट एट दी रेट 0.2-0.5 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम शरीर भार तभा 2-पी.ए.एम. (2-पाइरीडीन एल्डोसिम मेमियाडाइड) एट दी रेट 30 मिलीग्राम प्रति किलो भार (6 प्रतिशत घोल) इन्ट्रावेसन देना चाहिए।
कारमेट कीटनाशक
पशु में अत्यधिक लार का बनना, आंसूं गिरना, लड़खड़ाकर चलना, दौर पड़ना और बाद में जानवर जमीन पर पड्ड़ जाता है। और मृत्यु हो जाती है।
उपचार
विषाग्रता वाले पदार्थ को पशु के खान-पान से हटा देना चाहिए। एट्रोपिन सल्फेट एट दी रेट 0.2-0.5 मिलीग्राम प्रतिकिलोभार देना चाहिए लेकिन 2-पी0पी0एम कमी नही देना चाहिए क्यो कि यह स्थिति को और बिगाड़ देता है।
सिन्थेटिक पाइरेथ्रायडस
बेचैनी, लड़खड़ा कर चलना, मुहँ से झाग आना, कान और पूँछ खड़ी होना, आंसूं बहना, पैरो में तनाव आना, जानवर जमीन पर पड़ जाता है और मृत्यु हो जाती है।
उपचार
कोई प्रमुख एण्टीडाट नही है। विषाग्रता के कारण को हटा देना चाहिए। यदि त्वचा के व्दारा विशैला पदार्थ प्रवेश हो रहा हो तो पशु को पानी से धुल देना चाहिए। उल्टी कराने हेतु एपोमारार्फन एट दी रेट 0.1 मिग्रा/ किग्रा भार देना चाहिए तथा 2 ग्राम/किग्रा भार के हिसाब से एक्टवेटेड चाराकोल देना चाहिए।
चूहामार दवाओ की विषाग्रता
ये दवाइयां चूहो, गिलहरीयों को मारने हेतु प्रयोग की जाती है लेकिन यदि गलती से पशु खा लेता है तो उसमें विषाग्रता उत्पन्न हो जाती है। प्रमुख चूहामार दवाइयां निम्न लिखित है:
अन्टू की विषाग्रता
लक्षण
उल्टी होना, सांस लेने में कठिनाई, श्लेष्मिका झिल्लीयो का नीला पड़ना, हृदय गति में वृद्धि, भूख का कम लगना, लड़खड़ा कर चलना, खासी आना, बाद में पशु कोमा में चला जाता है और मृत्यु हो जाती है।
उपचार
एण्टीडाट, 1-इथाइल-1-फेनाइल थायोयूरिया देना चाहिए- पशु को उल्टी करानी चाहिए। उसे आक्सीजन देना चाहिए। डाई यूरेटिक देना चाहिए।
वारफेरिन की विषाग्रता
खाने के 2-3 दिन बाद पशु लक्षण प्रकट करता है। पशु के शरीर में भंयकर रक्त स्राव होता है। उसके मसूड़ो, नाक शरीर के आन्तरिक भागो से रक्त स्राव होता है। शरीर के विभिन्न छिद्रो से रक्त वाहर निकलता है। पशु सदमे में आ जाता है और मृत्यु हो जाती है।
उपचार
- पशु को विटामिन के -1 एट दी रेट 5 मिग्रा/ किलोग्राम भार आई/वी देना चाहिए।
- उसे कृत्रिम ष्वसन कराना चाहिए।
जिंक फासफाइड
लक्षण
भूख का कम लगना, आलसपन, श्वास के तेज होना, पेट में र्दद, अफरा, कमजोरी, पशु जमीन पर गिर जाता है। और तड़पता है। बाद में मृत्यु हो जाती है।
उपचार
कोई प्रमुख एन्टीडाट नही है। पशु को 5 प्रतिशत सोडियम बाइकार्बोनेट के साथ गैस्ट्रीक लेवाज देना चाहिए। कैल्सियम बोरोग्लुकोनेइ आई/वी देना चाहिए।
इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए। |
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