पशुपालन

आईवीएफ और ईटीटी से बढ़ाएं गाय और भैंस के बच्चे पैदा करने की दर

भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक (ईटीटी) भ्रूण-प्रत्यारोपण तकनीक (ईटीटी) अच्छी गाय एवं भैंस से ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करने की तकनीक है। इस तकनीक में दाता गाय के अंडकोष से एक बार में कई अंडे बनाये जाते >>>

पशुपालन

मादा पशु जननांगों की जानकारी

गाय का जनन तंत्र (Reproductive system of Cow) गाय का जनन तंत्र अधिक विशिष्ट एवं जटिल होता है क्योंकि इसमें अण्डाणु (Ova) बनने के अतिरिक्त बच्चे के पोषण एवं बढ़ने के लिए भी स्थान होता है। >>>

पशुपालन

अश्वो में प्रजनन संबंधी जानकारियाँ

अश्व एक बहुत ही उपयोगी पशु है, जिसका उपयोग सेना, पुलिस, घुड़ दौड़, परिवहन के रूप में, कई खेलों, व्यवसायों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों इत्यादि में होता है। इनकी अनेकों उपयोगिता के कारण इनके प्रजनन व >>>

पशुपालन

वीर्य स्ट्रांज की थांइग एवं सीथ लगाये जाने की जानकारी

डेयरी पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान हेतु प्रारम्भिक समय में तरल सीमन का प्रयोग किया जाता था, किन्तु इस पद्धति के द्वारा व्यवहारिक तौर पर कुछ परेशानियां यथा आवश्यकता से अधिक वीर्य को संग्रहित नहीं किया >>>

पशुपालन

विभिन्न ऋतु में पशुओं का वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन

पशुओं का वैज्ञानिक तरीके से आवास प्रबंधन: पशुओं को रखने के लिए पशु घर का निर्माण इसलिए आवश्यक है जिससे उन्हें गर्मी, सर्दी तथा बरसात से बचाया जा सके। पशुशाला निर्माण के समय पशुओं के आराम तथा >>>

पशुपालन

शुष्क काल में गौ पशुओं की देखभाल

पशुपालन व्यवसाय में कम लागत और अधिक फायदा प्राप्त करने के लिए शुष्क काल में पशुओं की देखभाल अत्यावश्यक है। गौ पशुओं में लगभग 2 माह का शुष्क काल आवश्यक है। इस समय में पशु अगले ब्यात के लिए तैयार होता >>>

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सर्दी के मौसम में पशुओं का ठंड से बचाव

उत्तर भारत में इन दिनों ठंड और कोहरे का प्रकोप अपनी चरम सीमा पर होता है इसलिए पशुओं को ठंड से बचाना बहुत आवश्यक है यदि पशु को ठंडी हवा या धुंध आदि से बचाव का प्रबंध ना हो तो पशु बीमार हो जाते हैं >>>

पशुओं की बीमारियाँ

समय बद्ध कृत्रिम गर्भाधान हेतु ओवम सिंक्रोनाइजेशन की विधियां

समय बद्ध कृत्रिम गर्भाधान हेतु जीपीजी विधि का प्रयोग पशु चिकित्सा अधिकारी या तो स्वयं करें अथवा अपनी निगरानी में करवाएं। इस विधि का प्रयोग पशु के गर्मी पर आने के पश्चात 7 से 11 दिन के बीच प्रारंभ कर >>>

पशुपालन

दुधारू पशुओं की उर्वरता मूल्यांकन एवं सफल उपचार हेतु बहुउद्देशीय पशु चिकित्सा शिविरों का आयोजन

गाय एवं भैंस की प्रजनन स्थिति का मूल्यांकन। परीक्षणोंपरांत विभिन्न खराबियों को दूर करने एवं पशुपालक को उत्तम प्रजनन प्रबंधन हेतु प्रोत्साहित करना। उपचार के उपरांत उत्तम उत्पादकता के पशु >>>

पशुओं की बीमारियाँ

दुग्ध ज्वर: दुधारू पशुओं की प्रमुख समस्या

दुग्ध ज्वर इन्ही बिमारियों में से एक है जो दुधारू पशुओं को मुख्यतः प्रभावित करती है, यह रोग अन्य कई बिमारियों का ‘प्रवेश द्वार’ भी है। यह रोग पशुओं की दुग्ध उत्पादकता को कम करने के अलावा प्रजनन में भी बाधक बनता है। दुग्ध ज्वर एक मेटाबोलिक या उपापचयी रोग है जिसे अंग्रेजी भाषा में ‘Milk Fever’ और  आम बोल चाल की भाषा में ‘सुन्नपात’ भी कहा जाता है।  >>>

पशुओं की बीमारियाँ

गाय एवं भैंस के नवजात बच्चों की मृत्यु के मुख्य कारण:

अधिकांश नवजात बच्चों की मृत्यु पाचन तंत्र की समस्याओं के कारण होती है तथा इससे कम श्वसन तंत्र की समस्याओं के कारण होती हैं। जन्म के बाद नवजात बच्चों की मृत्यु का प्रमुख कारण पशुपालक द्वारा बच्चे को >>>

पशुओं की बीमारियाँ

डेयरी पशुओं में मध्य मदचक्र अर्थात मिड साइकिल हीट की समस्या का समाधान

पशु को अंतिम बार कृत्रिम गर्भाधान के 10 या 11 दिन पश्चात यदि पशु दोबारा गर्मी में आता है। तो गुदा परीक्षण करने पर गर्भाशय की टोन मध्यम श्रेणी की रहती है और अंडाशय के परीक्षण पर एक या एक से अधिक >>>

पशुपालन

बकरी मांस और उसके उत्पाद

आजीविका एवं खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सतत पशुधन उत्पादन का होना आवश्यक होता है जोकि पशु उत्पादों के कुशल उपयोग पर निर्भर करता है। कमोडिटी बाजार से प्राप्त मार्जिन घटने से बकरी >>>

पशुपालन

कृत्रिम गर्भाधान से फैलने वाले रोग, लक्षण व बचाव

कृत्रिम गर्भाधान प्रजनन विधि , एक बेहद सरल , कामयाब , त्वरित परिणामदायी प्रक्रिया है। इस विधि द्वारा कम समय में ही तेजी से नस्ल सुधार कार्यक्रम को सफल बनाया जा सकता है। इस पद्धति को अपनाने को एक >>>