मादा पशुओं में प्रसव अवरोध
मादा पशुओं में प्रसव के समय भ्रूण के बाहर निकलने मे अवरोध उत्पन्न हो जाता है। मादा पशु के द्वारा उत्याधिक जोर लगाने पर भी भ्रूण बाहर नही निकलता है। इस अवस्था में भ्रूण के सिर , पैर या शरीर का कुछ >>>
मादा पशुओं में प्रसव के समय भ्रूण के बाहर निकलने मे अवरोध उत्पन्न हो जाता है। मादा पशु के द्वारा उत्याधिक जोर लगाने पर भी भ्रूण बाहर नही निकलता है। इस अवस्था में भ्रूण के सिर , पैर या शरीर का कुछ >>>
जब एक व्यस्क मादा को कामोत्तेजना उपरांत गर्भधारण करवाया जाता है और उसमें उसके बाद कामोत्तेजना के लक्षण दिखायी नहीं देते हैं तो उसे गर्भित माना जाता है। फिर भी गर्भ को सुनिश्चित करने के लिए योग्य >>>
मानव जीवन में दूध की महत्वपूर्ण भूमिका हैं क्योकि “दूध एक सम्पूर्ण आहार है” इसकी प्रतिपूर्ति हेतु गायों और भैसों का स्वस्थ्य होना नितांत आवश्यक हैं। गर्भावस्था के दौरान होने वाली कुछ समस्याएं जैसे >>>
शुष्क काल व पारगर्भित अवधि ऐसी अवधि होती है, जिसमें दुग्ध दोहन बंद करना, शुष्क मादा की देखभाल व ब्याने के बाद दोबारा मादा का दुग्ध दोहन किया जाता है। शुष्क मादा दो दुग्ध काल के बीच गर्भित मादा >>>
पशु के ब्याने के बाद, जेर रुकने के कारण गर्भाशय का संक्रमण अर्थात प्यूरपैरल मेट्राइटिस हो सकती है। पशु के ब्याने के बाद भूरे रंग का बिना बदबूदार स्राव सामान्य रूप से आता है। अतः पशु के ब्याने के >>>
पशुपालकों के लिए गाय/भैंस के ब्याने के बाद (प्रसवोत्तर) 100 दिन की अवधि अत्यंत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इन्हीं दिनों में डेयरी व्यवसाय से होने वाले लाभ का निर्धारण होता है। इन 100 दिनों में पशु >>>
पशुओं में अनु उत्पादकता एवं कम उत्पादकता के लिए निम्नलिखित कारक मुख्य रूप से जिम्मेदार होते हैं: – संरचनात्मक विकार रोगों के कारण उत्पन्न विकार हार्मोनल विकार पोषण से संबंधित विकार आकस्मिक >>>
दुधारू पशुओं के समुचित प्रजनन प्रबंध के बिना डेयरी व्यवसाय में लाभ कमाना मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव है।डेयरी व्यवसाय मे सफल प्रजनन व्यवस्था का , अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है, पशुशाला में रहने >>>
पशुपालन कृषि का एक अभिन्न अंग होने के साथ-साथ लघु एवं सीमांत किसानों की आय का प्रमुख स्रोत है जोकि उनके सामाजिक एवं आर्थिक आस्तित्व का आधार हैं। परन्तु पशुओं में प्रसव के उपरांत होने वाली कुछ समस्या >>>
पशुपालन से ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त करने हेतु पशुओं का उचित समय पर गाभिन होना अत्यन्त आवश्यक है। पशुपालकों को इसी बात का सर्वाधिक ध्यान रखना चाहिए। >>>
भारतीय किसानो की आजीविका में पशुपालन का विशेष महत्व है। पशु प्रजनन को पशु पालन व्यवसाय का आधार स्तम्भ कहा गया है। अतः पशु पालकों को प्रजनन सम्बन्धी समस्याओं एवं उनके समुचित प्रबंधन की जानकारी देना अत्यंत आवश्यक है। >>>
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की सहायक कंपनी एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज ने रविवार को कहा कि उसने केवल बछिया के जन्म को सुनिश्चित करने के लिए स्वदेशी लिंग वर्गीकृत वीर्य तकनीक विकसित की है। >>>
प्रजनन ऐसी क्रिया जिसके द्वारा मादा के जननांगों में नर द्वारा प्राकृतिक तौर पर संभोग अथवा कृत्रिम रूप में नर वीर्य सेचन के बाद गर्भधारण होता है और मादा नये जीव अर्थात ‘संतान’ को जन्म देती है। >>>
मादा पशुओं में गर्भकाल के बाद बच्चों को जन्म देना प्रसव कहलाता है। प्रसव के समय मादा पशु का स्वास्थ्य सामान्य होना चाहिए तथा पशु को अधिक मोटा एंव दुर्बल नही होना चाहिए। >>>