पशुओं की बीमारियाँ

अनु उत्पादक गायों में बिना बच्चा दिए दुग्ध उत्पादन की उत्तम तकनीक

श्वेत क्रांति के जनक स्वर्गीय वर्गीज कुरियन के अथक प्रयास के परिणाम स्वरूप आज के परिवेश में गांव -गांव में शंकर गाय आम तौर पर देखी जा सकती हैं। इससे दुग्ध उत्पादन में भारत पूरे विश्व में प्रथम स्थान >>>

पशुओं की बीमारियाँ

कॉन्टेजियस बोवाइन प्लयूरो निमोनिया: (सीं.बी.पी.पी.)

कॉन्टेजियस बोवाइन प्लयूरो न्यूमोनिया गायों में पाया जाने वाला एक अति संक्रामक रोग है जिसमें फेफड़ों एवं फेफड़ों को घेरे रहने वाली झिल्ली प्लयूरा अत्याधिक प्रभावित होती है। भारत में यह रोग पूर्वी राज >>>

पशुओं की बीमारियाँ

डेयरी पशुओ में बांझपन की समस्या एवं उसका समाधान

हमारे देश की अर्थव्यवस्था में पशु पालन व्यवस्था का एक अलग ही महत्व है। लेकिन पशुओं में बांझपन की समस्या पशुपालन व्यवस्था में बडे़ नुकसान के लिए जिम्मेदार है। बांझ पशुओ को पालना मतलब आर्थिक बोझ को बढ़ >>>

पशुपालन

नवजात बछड़े एवं बछिया की देखभाल

नवजात बछड़े /बछियों में रोगों से लड़ने की क्षमता बहुत कम होती है। खींस पिलाना मां से ऐसी रोग प्रतिरोधक क्षमता बच्चे में पहुंचाने का प्राकृतिक तरीका है। खीस नवजात >>>

दुधारू पशुओं में इस्ट्रस सिंक्रोनाइजेशन
पशुपालन

दुधारू पशुओं में इस्ट्रस सिंक्रोनाइजेशन की उपयोगिता एवं विधियां

एक साथ बहुत सारे पशुओं को हार्मोन के टीके लगा कर गर्मी में लाने की विधि को इस्ट्रस सिंक्रोनाइजेशन कहते हैं। इस विधि से श्रम और समय में कमी आती है तथा गायों भैंसों को योजनाबद्ध तरीके से कृत्रिम गर्भ >>>

By-pass protein and its application in dairy animals
पशुपोषण

बायपास प्रोटीन और डेयरी पशुओं में इसका अनुप्रयोग

बायपास प्रोटीन उच्च उपज देने वाले पशुओं की आवश्यकताओं को पूरा करने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, लेकिन बेहतर परिणाम तब प्राप्त किए जा सकते हैं जब आहार प्रोटीन में डिग्रेडेबल प्रोटीन और बाईपास प्रोटीन >>>

पशुओं में होनें वाले लंगड़िया रोग एवं उससे बचाव
पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में होनें वाले लंगड़िया रोग एवं उससे बचाव

पशुओं में होनें वाले लंगड़िया रोग को अलग-अलग क्षेत्रों में लगड़ी , सुजवा , जहरवाद आदि नामों से पुकारा जाता है। अंगरेजी में इसे ब्लैक क्वार्टर (BQ) कहते है। यह गाय और भैंसो की छूत की बीामारी है , जो >>>

कोविड-19 महामारी के समय में डेरी पशुओं के सामान्य प्रबंधन हेतु महत्वपूर्ण सलाह
पशुपालन

कोविड-19 महामारी के समय में डेरी पशुओं के सामान्य प्रबंधन हेतु महत्वपूर्ण सलाह

सबसे पहले डेरी पशुपालको को यह समझना जरुरी है कि किसी को खांसी, बुखार एवं स्वास लेने में तकलीफ आदि जैसे लक्षण होने पर ही उसे कोरोना का संक्रमण हो यह जरुरी नहीं है, बल्कि यह विषाणु, स्वस्थ दिखने वाले किसी >>>

पशुपालन

नवजात बछड़े का प्रबंधन

माँ का पहला दूध अर्थात् खीस नवजात बछड़े को दिया जाने वाला सबसे पहला और जरूरी आहार है। खीस का निर्माण माँ के द्वारा बछड़े के जन्म से 3 से 7 दिन बाद तक किया जाता है >>>

पशुपालन समाचार

डेयरी के क्रियाशील खाद्य पदार्थो पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम

पशुधन उत्पादन तकनीकी विभाग द्वारा डेयरी मूल के क्रियाशील खाद्य पदार्थो पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं के ब्याने के समय और उसके तुरंत बाद की सावधानियां

पशुओं के अंतिम तीन महीने तथा प्रसव काल की अवधि जोखिम भरी होती है, इसलिए पशुपालकों को पशुओं के ब्याने के समय और उसके तुरंत बाद की सावधानियों की जानकारी होना अति आवश्यक है ताकि संभावित जोखिमों को टाला >>>

पशुओं की बीमारियाँ

गाय एवं भैंस में मसृणित गर्भ की पहचान एवं उपचार

गाय एवं भैंसों में अधिकांशत गर्भावस्था के 4 से 6 महीने के बाद बच्चे की मृत्यु हो जाती है तथा जीवाणु या विषाणु का संक्रमण हो जाने से बच्चे का शरीर धीरे धीरे सड़ता या पचता रहता है इसे बच्चे का मेसीर >>>

पशुपोषण

अधिक उत्पादन हेतु पशुओं को आहार एवं जल/ पानी देने के नियम

सामान्यता एक वयस्क पशु को प्रतिदिन 6 किलो सूखा चारा और 15 से 20 किलो तक हरा चारा खिलाना चाहिए। फलीदार और बिना फलीदार हरे चारे को समान अनुपात में मिलाकर खिलाना चाहिए। >>>

डेरी पालन

वाणिज्यिक खेती को प्रभावित करने वाले कारक

भारत में, आज की अवधि महानगरों और बड़े शहरों के शहरी और पेरी-शहरी क्षेत्रों में वाणिज्यिक डेयरी फार्मों की बढ़ती संख्या के रूप में उभर रही है। >>>