पशुपोषण

डेयरी पशुओं के आहार में विटामिनों का महत्व

विटामिन ऐसे तत्त्व हैं जिनसे कोई ऊर्जा तो नहीं मिलती है लेकिन शारीरिक विकास और शक्तिवर्द्धन के लिए बहुत आवश्यक तत्त्व हैं। विटामिन शरीर की विभिन्न क्रियाओं के लिए अतिआवश्यक होते हैं। >>>

पशुपोषण

डेयरी पशुओं के आहार में खनिज तत्वों का महत्व

खनिज तत्त्व बहुत ही थोड़ी मात्रा में हर प्रकार के चारे  में पाये जाते हैं लेकिन अधिक दुग्ध उत्पादन करने वाले पशुओं में इनकी आवश्यकता केवल चारे में उपलब्ध खनिज तत्वों से ही पूरी नहीं होती है। >>>

पशुपोषण

डेयरी पशुओं से लाभ उपार्जन हेतु आवश्यक है संतुलित आहार

संतुलित आहार का तात्पर्य ऐसे आहार से है जिसमें पशु की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु सभी आवश्यक मौलिक पोषक तत्त्व संतुलित मात्रा में हों। >>>

पशुपालन

डेयरी व्यवसाय का महत्त्व

पशुपालन कृषि का एक अभिन्न अंग है जिसे पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने का सबसे आशाजनक क्षेत्र माना जाता है। भारत में, पालतू पशुओं में दुग्ध उत्पादन करने वाले पशुओं का विशेष महत्व रहा है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में एसपाईरेट्री/ ड्रेंचिंग न्यूमोनिया: कारण एवं निवारण

अपने देश भारत में पशुओं की छोटी बड़ी बीमारियों में पशु पालकों द्वारा बांस की नाल, रबड़ की नली, लकड़ी या कांच की बोतल इत्यादि के द्वारा देसी दवाइयां पिलाना एक आम बात है। >>>

पशुपोषण

दुधारू पशुओं में बाई-पास वसा आहार तकनीक एवं उससे लाभ

दुधारू पशुओं के उचित पोषण के लिए हमें संतुलित आहार के साथ-साथ आहार की उपलब्धता बढ़ाने की कुछ नई तकनीक जैसे बाई-पास वसा एवं बाई-पास प्रोटीन तकनीक का उपयोग कर हम दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है। >>>

पशुपोषण

दुधारू पशुओं की उत्पादन क्षमता बढ़ाने हेतु आहार व्यवस्था एवं खनिज मिश्रण का महत्व

सामान्यता एक वयस्क पशु को प्रतिदिन 6 किलो सूखा चारा और 15 से 20 किलो तक हरा चारा खिलाना चाहिए। फलीदार और बिना फलीदार हरे चारे को समान अनुपात में मिलाकर खिलाना चाहिए। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

कवक जनित थनैला के कारण एवं निवारण

थनैला रोग मुख्य रूप से जीवाणु जनित होता है परंतु भारत में  कभी-कभी गाय एवं भैंस मैं कवक के द्वारा भी थनैला रोग हो जाता है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

थनैला रोग के कारण, लक्षण एवं बचाव

थनैला दुधारू गाय, भैंस एवं बकरी के अयन की एक मुख्य संक्रामक बीमारी है। जिन देशों में डेरी व्यवसाय बहुत उन्नतशील होता है वहां इस रोग से अधिक हानि होती है। >>>

पशुपालन

भैंस से प्राप्त उतोत्पादः किसानों की आय का उत्तम साधन

कृषि आधारित भारतीय अर्थव्यवस्था में केन्द्र सरकार किसानों की आय दोगुनी करने हेतु अनेक सराहनीय कार्य कर रही है इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से पशु पालक किसान अपनी आय में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकता है। >>>

पशुपालन

पशुओं की विभिन्न प्रकार की संक्रामक बीमारियों के नियंत्रण के सामान्य सिद्धांत

पशु समूह से बीमार पशु को अलग रखकर उसकी चिकित्सा एवं देखभाल करनी चाहिए। इन बीमार पशुओं के लिए अलग से परिचर हो तो अधिक उत्तम होगा अन्यथा की स्थिति में पहले स्वस्थ पशुओं की देखभाल करने के पश्चात बीमार पशु की देखभाल करनी चाहिए। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में ट्रिपेनोसोमेएसिस/सर्रा के लक्षण, उपचार एवं बचाव

यह लगभग सभी पशुओं में पाया जाने वाला अति गंभीर संक्रामक रोग है। जो ट्रिपैनोसोमा इवेनसाई नामक प्रोटोजोआ के कारण फैलता है। इस रोग में रोगी को तीव्र बुखार, रक्ताल्पता अर्थात एनीमिया व पशु शारीरिक रूप से काफी कमजोर हो जाता है। >>>

पशुपालन

गाय और भैंस को कैसे गाभिन रखे?

पशुपालन से ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त करने हेतु पशुओं का उचित समय पर गाभिन होना अत्यन्त आवश्यक है। पशुपालकों को इसी बात का सर्वाधिक ध्यान रखना चाहिए। >>>