पशुओं में जनन क्षमता को लम्बे समय तक बनाये रखना
जनन क्षमता गौ पशुओं में जनन क्षमता (यौवनारम्भ) जन्म से लेकर 24-30 माह गौ पशु में, व भैंस में 30-36 माह मे आ जाती है। जिससे दुधारु पशु के जीवन में ब्यॉत की संख्याओं का मूल्यांकन किया जाता है। जिसे >>>
जनन क्षमता गौ पशुओं में जनन क्षमता (यौवनारम्भ) जन्म से लेकर 24-30 माह गौ पशु में, व भैंस में 30-36 माह मे आ जाती है। जिससे दुधारु पशु के जीवन में ब्यॉत की संख्याओं का मूल्यांकन किया जाता है। जिसे >>>
जनन क्षमता गौ पशुओं में जनन क्षमता (यौवनारम्भ) जन्म से लेकर 24-30 माह गौ पशु में, व भैंस में 30-36 माह मे आ जाती है। जिससे दुधारु पशु के जीवन में ब्यॉत की संख्याओं का मूल्यांकन किया जाता है। जिसे >>>
जननहीनता पशुओं में प्रजनन की क्षमता कम हो जाती है। कारण 1. शरीर रचना संबंधी कारक (अ) शरीर रचना संबंधी आनुवांशिक कारण 1. अनुपस्थिति डिम्बाशय 2. अल्पविकसित डिम्बाशय 3. अंतर्लिगंता 4. श्वेत ओसर >>>
रिपीट ब्रीडर गाय वह गाय है जो सामान्य जननांग एवं सामान्य स्राव के साथ सामान्य मदकाल होने पर भी, रोगरहित उच्चकोटि साँड अथवा उच्चकोटि वीर्य द्वारा लगातार 3 या अधिक से बार गर्भित कराने पर गर्भ धारण >>>
एक साथ बहुत सारे पशुओं को हार्मोन के टीके लगा कर गर्मी में लाने की विधि को इस्ट्रस सिंक्रोनाइजेशन कहते हैं। इस विधि से श्रम और समय में कमी आती है तथा गायों भैंसों को योजनाबद्ध तरीके से कृत्रिम गर्भ >>>
सिस्टिक ओवेरियन डिजनरेशन अंडाशय की वह स्थिति है जिसमें अंडाशय पर एक बड़ा सिस्ट या अप्राकृतिक फॉलिकल बन जाता है। जो लगभग 2.5 सेंटीमीटर या बड़े आकार का तरल पदार्थ से भरा हुआ यह सिस्ट कार्पस लुटियम की >>>
बांझ एक ऐसे मादा पशु को कहा जाता है जो बच्चा देने में असमर्थ हो। कोई भी मादा पशु जब परिपक्वता को प्राप्त करती है तो मादा के जनन अंगों से डिंब निकलने की प्रक्रिया प्रारंभ होती है। इसके दौरान मादा पशु >>>
पशु के ब्याने के बाद, जेर रुकने के कारण गर्भाशय का संक्रमण अर्थात प्यूरपैरल मेट्राइटिस हो सकती है। पशु के ब्याने के बाद भूरे रंग का बिना बदबूदार स्राव सामान्य रूप से आता है। अतः पशु के ब्याने के >>>
पशुओं में अनु उत्पादकता एवं कम उत्पादकता के लिए निम्नलिखित कारक मुख्य रूप से जिम्मेदार होते हैं: – संरचनात्मक विकार रोगों के कारण उत्पन्न विकार हार्मोनल विकार पोषण से संबंधित विकार आकस्मिक >>>
डेयरी पशुओं में पशुओं की प्रजनन क्षमता पशुपालकों की आय का प्रमुख निर्धारक है जिसका आंकलन डेयरी पशुओं में मादा द्वारा प्रतिवर्ष एक संतान पैदा करने की क्षमता से किया जाता है। >>>
भारतीय किसानो की आजीविका में पशुपालन का विशेष महत्व है। पशु प्रजनन को पशु पालन व्यवसाय का आधार स्तम्भ कहा गया है। अतः पशु पालकों को प्रजनन सम्बन्धी समस्याओं एवं उनके समुचित प्रबंधन की जानकारी देना अत्यंत आवश्यक है। >>>
मादा पशुओं में गर्भकाल के बाद बच्चों को जन्म देना प्रसव कहलाता है। प्रसव के समय मादा पशु का स्वास्थ्य सामान्य होना चाहिए तथा पशु को अधिक मोटा एंव दुर्बल नही होना चाहिए। >>>
आज बढ़ते हुये डेयरी व्यवसाय के कारण फिर से श्वेत क्रान्ति का दौर आ रहा है, परंतु हमारे देश के पशुयों की उत्पादन तथा पुनरोत्पादन क्षमता सामान्य से कम पाई गयी है। >>>
पशुओं में बच्चा ना पैदा होना या कम बच्चे पैदा होना ही बांझपन कहलाता है यानी प्रजनन शक्ति का ह्रास होना ही बांझपन कहलाता है। सामान्यत: प्रजनन अंगों में कोई बाधा या रूकावट होने से बांझपन की स्थिति पैदा हो जाती है। >>>