बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के ईटीटी एवं आईवीएफ प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों के प्रयास से साहिवाल गाय के तीसरे बाछे का जन्म भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक के माध्यम से बुधवार को हुआ। वैज्ञानिकों ने अब तक इस तकनीक से दो बाछा एवं एक बाछी प्राप्त किया है। इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाले नर एवं मादा पशु को पैदा करना है जिससे दूसरे श्वेत क्रांति का सपना साकार हो सके और नस्ल सुधार हो।
इस तकनीक से जन्मे नर पशुओं से उच्च गुणवत्ता वाले बुल मदर फॉर्म को विकसित करना भी एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रामेश्वर सिंह ने इस सफलता के लिए परियोजना के मुख्य अन्वेषक डॉ रविंद्र कुमार एवं सह-अन्वेषक डॉक्टर जे.के. प्रसाद सहित वैज्ञानिकों की टीम जिसमें डॉ. शैलेंद्र किशोर शीतल, डॉ. चंद्रशेखर आजाद, डॉ. प्रमोद कुमार, डॉ. दुष्यंत एवं डॉ.अजीत टीम को बधाई दिया। कुलपति ने कहा की स्वदेशी नस्लों के विकास और संरक्षण, पशुपालकों और किसानों के आमदनी को बढ़ाने के प्रति सजग भारत सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत विश्वविद्यालय को प्रदत इस लैब में जिस प्रकार से वैज्ञानिक कार्य कर रहे है वो सराहनीय है, एक माह के अंतराल में तीन बाछे-बछियों का जन्म बहुत ही असामन्य व अद्भुत परिणाम है जो उन्नत पशुपालन और नस्ल सुधार की दिशा में एक सकारत्मक संकेत है।
गौरतलब हो की राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के तहत सरकार स्वदेशी नस्लों को बढ़ावा देने के अलावा कई अन्य उद्देश्यों पर भी काम कर रही है जिनमे स्वदेशी नस्लों के विकास और संरक्षण, स्वदेशी नस्लों के लिए नस्ल सुधार कार्यक्रम जिससे आनुवंशिक संरचना में सुधार हो और पशुओं की संख्या में वृद्धि हो, रोग मुक्त उच्च आनुवंशिक गुण वाली मादा पशुओं की आबादी को बढ़ाकर रोगों के प्रसार को नियंत्रित करना और दुग्ध उत्पादन में वृद्धि कर पशुपालकों को बेहतर आमदनी और जीवनस्तर में सुधार करना मुख्य रूप से शामिल है।
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