भेड़ बकरियों में रेबीज रोग

4.8
(458)

रेबीज से संक्रमित पशु की लार के मनुष्य के संपर्क में आने पर रेबीज बीमारी का संक्रमण हो जाता है। जब कभी भेड़ या बकरी जिसमें स्नायुवीक लक्षण प्रदर्शित हो रहे हो, तो हमेशा यह याद रखें की प्रभावित पशु को रेबीज हो सकता है। ऐसी परिस्थिति में डिस्पोजेबल दस्ताने पहनकर ही पशु के मुंह का परीक्षण करें। सामान्यता रेबीज का संक्रमण संक्रमित पशु के काटने से होता है। विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (OIE) के अनुसार रेबीज को ध्यान देने योग्य (नोटिफाईबल) रोग की श्रेणी में रखा गया है।

और देखें :  प्राणीरूजा रोग: स्वस्थ भविष्य के लिए आवश्यक है जागरूकता

भेड़ बकरियों में रेबीज रोग

वह देश एवं क्षेत्र जो कि रेबीज मुक्त हैं, मैं सख्त संगरोध नियम अपनाने चाहिए। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रेबीज के नियंत्रण हेतु विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (ओ.आई.ई.) के दिशा निर्देशों का पालन करना अति आवश्यक है।

  1. व्यापक खिलाने की प्रणाली (एक्सटेंसिव फीडिंग सिस्टम) मैं पलने वाली बकरियों को संक्रमण का अधिक खतरा रहता है।
  2. भेड़ और बकरियों में रेबीजका  प्रतिवेदन (रिपोर्ट) अत्यंत कम है।
  3. रेबीज एक पशु जनित अर्थात जूनोटिक रोग है।
  4. रेबीज का संक्रमण सामान्यत: तब होता है जब रेबीज से ग्रसित पशु जिस की लार में विषाणु होता है के द्वारा मनुष्य एवं पशुओं को काटने पर होता है।
  5. पशुपालक अथवा पशु चिकित्साविद जब बिना दस्ताने के रेबीज ग्रसित भेड़ या बकरी के मुंह में हाथ डालते हैं तो संक्रमित हो जाते हैं।
और देखें :  दुधारू पशुओं के प्रमुख रोग व उनका उपचार

बकरियों में रेबीज रोग

  1. उद्भवन कॉल 1 से 5 दिन
  2. रोग के लक्षण:
    • मुंह से लार गिराना
    • आक्रामक व्यवहार
    • अत्याधिक मिमीआना
    • चारे को निगलने में सक्षम ना होना
    • अवसाद
    • चक्कर काटना
    • अति उत्तेजित होना
    • अंधापन

भेड़ मे रेबीज के लक्षण

  • रेबीज के लक्षण गोवंश पशु के समान होते हैं।
  • थूथन (मजल) एवं सिर के झटके
  • आक्रामकता
  • अत्याधिक उत्तेजन शीलता
  • लार का गिरना
  • तेज तेज आवाज करना
  • जमीन पर लेट जाना

रेबीज के लक्षण दीखने के पश्चात रेबीज के सभी मामलों में घातक सिद्ध होते हैं।

पशु चिकित्सक के लिए विभेदक निदान अर्थात डिफरेंसयल डायग्नोसिस अत्यंत महत्वपूर्ण है जब कोई भेड़ या बकरी स्नायुविक लक्षणों के साथ चिकित्सालय पर लाई जाती है क्योंकि बहुत सी बीमारियों में खास तौर पर जो कि स्नायुतंत्र को प्रभावित करती हैं के लक्षण रेबीज के मिलते जुलते होते हैं।

और देखें :  बैकयार्ड पोल्ट्री/ शूकर से मनुष्यों में फैलने वाली पशु जन्य/जूनोटिक बीमारियों से बचाव हेतु जैव सुरक्षा उपाय

विभेदक निदान (डिफरेंसयल डायग्नोसिस)

  • लेड विषाक्तता *ग्रास टिटेनी
  • पोलीइंसफॉलो मलेशिया अर्थात विटामिन B1 की कमी
  • विटामिन ए की कमी
  • लिस्टेरियोसिस *जीवाणु जनित मैंने जोइंसेफलाइटिस।

संसर्ग अर्थात एक्सपोजर के नियंत्रण को जब भी संभव हो उत्साहित करना चाहिए।

  1. वाहक पशु के टीकाकरण द्वारा
  2. फार्म के पशुओं को फार्म के अंदर ही रखना चाहिए।
इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए।

यह लेख कितना उपयोगी था?

इस लेख की समीक्षा करने के लिए स्टार पर क्लिक करें!

औसत रेटिंग 4.8 ⭐ (458 Review)

अब तक कोई समीक्षा नहीं! इस लेख की समीक्षा करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

हमें खेद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी नहीं थी!

कृपया हमें इस लेख में सुधार करने में मदद करें!

हमें बताएं कि हम इस लेख को कैसे सुधार सकते हैं?

Authors

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*