डेयरी पशुओं में मध्य मदचक्र अर्थात मिड साइकिल हीट की समस्या का समाधान

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पशु को अंतिम बार कृत्रिम गर्भाधान के 10 या 11 दिन पश्चात यदि पशु दोबारा गर्मी में आता है। तो गुदा परीक्षण करने पर गर्भाशय की टोन मध्यम श्रेणी की रहती है और अंडाशय के परीक्षण पर एक या एक से अधिक पुटक अर्थात फॉलिकल के साथ साथ एक पूर्ण विकसित पीतकाय अर्थात कार्पस लुटियम उपस्थित होता है। अधिकांश मामलों में कार्पस लुटियम अंडाशय के ऊपर उभरा रहता है जो ताज अर्थात क्रॉउन के रूप में पाया जाता है जिसके केंद्र में  गड्ढा होता है। सामान्य गर्मी में पीतकाय पूर्ण रूप से समाप्त होने के कारण अदृश्य हो जाता है, अथवा चपटा और शंकु के आकार की संरचना को दर्शाता है और कभी भी क्राउन का आकार नहीं लेता है। कभी-कभी कॉरपस लुटियम अंडाशय के ऊपरी सतह पर बनता है जिसमें कोई क्राउन का आकार नहीं पाया जाता है और इसका पहचानना अत्यंत कठिन होता है। यदि अंडाशय के आकार को गर्मी वाले दिन नापा जाता है और उसको आज के निष्कर्ष से मिलान किया जाता है तो यदि अंडाशय का माप बड़ा होता है और अंडाशय पर एक या अधिक फॉलिकल  महसूस किए जाते हैं तो यह मिड साइकिल हीट अर्थात मध्य मदचक्र अवस्था की गर्मी होती है। कॉरपस लुटियम और एक अथवा अधिक  पुटक एक अथवा दूसरे अंडाशय  पर पाया जाता है।

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मिड साइकिल हीट उर्वर (fertile) नहीं होती है। ऐसी स्थिति में पशुपालक को यह सलाह देनी चाहिए कि वह पशु को अगले 10 से 11वीं दिन गर्मी का निरीक्षण करें।

ऐसी स्थिति में प्रोस्टाग्लैंडन F2 अल्फा का इंजेक्शन देकर पशु को गर्मी में पर लाया जा सकता है। ऐसी स्थिति में 72 से 96 घंटे अथवा 88 घंटे वाद अथवा फॉलिकल जब काफी मुलायम हो जाता है तब कृत्रिम गर्भाधान कराना चाहिए।

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इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए।
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