सर्दी के मौसम में पशुओं का ठंड से बचाव

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उत्तर भारत में इन दिनों ठंड और कोहरे का प्रकोप अपनी चरम सीमा पर होता है इसलिए पशुओं को ठंड से बचाना बहुत आवश्यक है यदि पशु को ठंडी हवा या धुंध आदि से बचाव का प्रबंध ना हो तो पशु बीमार हो जाते हैं जिससे उनका दुग्ध उत्पादन कम हो जाता है साथ ही पशुओं को अन्य बीमारियां जैसे निमोनिया आदि हो सकती है इसलिए पशुपालकों को चाहिए कि वह अपने पशुओं को ठंड से बचाव रखें और निम्न बातों का विशेष ध्यान रखें:

  • पशुशाला के खुले दरवाजे व खिड़कियों को बोरी या त्रिपाल से ढका जाना चाहिए ताकि पशुओं को सीधी आने वाली ठंडी हवा से बचाया जा सके।
  • रात के समय पशुओ के नीचें तुड्डी या पराली बिछाएं ताकि पशुओ को फर्श से सीधी ठण्ड ना लगे।
  • पशुशाला का फर्श ढलान युक्त होना चाहिए जिससे पशुओं का पेशाब बहकर निकल जाए ताकि बिछावन सूखा बना रहे।
  • पशुओं को दिन के समय धूप में छोड़ें इससे पशुशाला का फर्श अथवा जमीन सूख जाएगा और पशु को गर्माहट भी मिलेगी।
  • पशु को ताजा व स्वच्छ पानी ही पिलाएं जो अधिक ठंडा ना हो।
  • नवजात बच्चों व बीमार पशुओं को रात के समय किसी बोरी या तिरपाल से ढक दें तथा सुबह धूप निकलने पर हटा दें।
  • पशुओं को हरे चारे विशेषकर बरसीम के साथ तूड़ी मिलाकर खिलाएं। रात के समय में पशुओं को सूखा चारा आहार के रूप में उपलब्ध कराएं।

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उचित आहार व्यवस्था

सर्दी के दिनों में सांद्र मिश्रण की मात्रा थोड़ी बढ़ा देनी चाहिए और पशुओं को उनकी आवश्यकता अनुसार संतुलित आहार खिलाना चाहिए। पशुओं को हरा चारा उपलब्ध कराएं तथा 25 से 50 ग्राम खनिज मिश्रण एवं नमक भी चारे के साथ अवश्य देना चाहिए।

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स्वास्थ्य सुरक्षा

पशुओं को समय-समय पर रोग निरोधक टीके लगवाएं। बीमार पशुओं को स्वस्थ , पशुओं से अलग रखें तथा किसी कुशल पशु चिकित्सक द्वारा इलाज कराएं। पशुओं को आंतरिक परजीवीयों से बचाने के लिए समय-समय पर पशु चिकित्सक की सलाह पर क्रमी नाशक औषधि देनी चाहिए। वाहय परजीवीओं जैसे मच्छर मक्खी, जुएं, किलनी आदि की रोकथाम के लिए पशुशाला की सफाई के साथ-साथ पशु चिकित्सक के परामर्श पर बाहय परजीवी नाशक औषधियों, एंटीसेप्टिक, एंटीमाइक्रोबॉयल दवाइयों एवं डिसइनफेक्टेंट का छिड़काव करें।

पशुशाला की सफाई व्यवस्था

पशुपालकों को पशु घर की साफ सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। गोबर व अन्य ठोस पदार्थ पशुशाला से दिन में कम से कम 2 से 3 बार हटाने चाहिए तथा सप्ताह में कम से कम एक बार फिनाइल के घोल से पशु आवास के फर्श की और दीवारों की सफाई करनी चाहिए।

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