वीर्य स्ट्रांज की थांइग एवं सीथ लगाये जाने की जानकारी

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डेयरी पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान हेतु प्रारम्भिक समय में तरल सीमन का प्रयोग किया जाता था, किन्तु इस पद्धति के द्वारा व्यवहारिक तौर पर कुछ परेशानियां यथा आवश्यकता से अधिक वीर्य को संग्रहित नहीं किया जा सकता था। वीर्य को तीन दिन के अन्दरही उपयोग में लाया जा सकता आदि परेशानियों से बचने के लिए हिमीकृत वीर्य का उपयोग सभी जगहों पर किया जाता है। कुछ जगहों को छोड़कर जहां तरल वीर्य की उपलब्धता होती है किन्तु हिमीकृत वीर्य उपलब्ध नहीं होता है।

  1. तरल वीर्य के प्रयोग में किसी प्रकार की थांइग की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है किन्तु कृत्रिम गर्भाधान से पूर्व वीर्य को 370C पर लाया जा सकता है।
  2. हिमीकृत वीर्य को तरल नाइट्रोजन गैस के सिलेण्डर से कृत्रिम गर्भाधान करते समय ही निकाला जाता है। एक बार में एक स्ट्रा को इस्तेमाल कर लेना चाहिए। थांइग के बाद यथा शीघ्र स्ट्रा का इस्तेमाल कर लेना चाहिए। किसी भी दशा में अधिक देरी नहीं करनी चाहिए।
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थाइंग से पूर्व सावधानियां

LN2 कन्टेनर की सामान्य जानकारी अवश्य होनी चाहिए। थांइग के लिए पाट LN2 सिलेण्डर के पास ही रखना चाहिए।

विधि

थाइंग के लिए स्ट्रा को LN2 सिलेण्डर से निकालने से पूर्व थाइंग फ्लास्क के पानी का तापक्रम 32-380 C के बीच रखते हैं। जिसके लिए थर्मामीटर का प्रयोग करना चाहिए। किसी भी दशा में तापक्रम 400 C से अधिक नहीं होना चाहिए।

  1. सिलेण्डर से ढक्कन को अलग करके, कैनिस्ट का चुनाव करते हैं कि आवश्यक सीमन स्ट्रा किस कैनिस्टर में है। अनावश्यक रूप से दूसरे कैनिस्टरों को ऊपर न उठायें।
  2. आवश्यक कैनिस्टर को फ्रास्ट लाइन से ऊपर न उठायें जोकि स्ट्रा की दीवार से उठायें अगर दो स्ट्रा की आवश्यकता हो तो एक बार में दो स्ट्रा निकाल सकते हैं। किन्तु अधिक स्ट्रा एक साथ न निकालें। केनिस्टर को अधिक समय तक उपर उठाकर न रखें व सिलैण्डर के ढक्कन को बिना स्ट्रा के निकालने के तुरन्त बाद बन्द कर दें।
  3. सीमन स्ट्रा के दोनों किनारे अलग-अलग प्रकार के होते हैं। एक किनारा लैब एण्ड कहलाता है एवं दूसरा फैक्ट्ररी एण्ड। फैक्ट्ररी एण्ड पर टिक सकने वाली सुई लगी रहती है।
  4. स्ट्रा को थांइग फ्लास्क में डालने से पूर्व लैब एण्ड पकड़ कर एक दो बार हल्का सा झटना देते हैं, जिससे फैक्ट्ररी एण्ड पर लगी तरल नत्र जन गैस अलग हो जाती है।
  5. सीमन स्ट्रा को थाइंग फ्लास्क में कम से कम समय में ही डाल दें एवं कम से कम 30 सेकेण्ड से 60 सेकेण्ड तक उसमें रहने दें। अधिक समय तक पानी में रहने पर कोई हानि नहीं होती है किन्तु स्ट्रा का उपयोग 20 मिनट के अन्दर अवश्य कर लें।
  6. एक बार थाइंग करने के उपरान्त स्ट्रा को किसी भी दशा में कन्टेनर में दुबारा न रखें।
  7. थांइग करने के बाद एन्टीमन स्ट्रा को 370 C से नीचे ने जाने दें एवं बर्फ व ठण्डे पानी में कदापि न डालें।
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गन लोडिंग

स्ट्रा को थांइग फ्लास्क से निकालकर लैब एण्ड किनारे से पकड़ लेते हैं एवं ऊपर से नीचे तक एक बार पेपर टॉबल से पोंछते है। फिर दूसरे किनारे से पकड़कर एक बार फिर से पोंछते हैं एवं फैक्ट्ररी एण्ड से स्ट्रा को पकड़ते हैं। अत्यधिक रगडने से बचाते हैं। ए.आई. गन को बाक्स से निकाल कर सामन्य तापक्रम पर लाते हैं एवं प्लंजर को 12-18 सेमी तक बाहर निकालते हैं एवं स्ट्रा की गन में फैक्ट्ररी एण्ड की तरफ से डालते हैं। गन का आंख की सतह पर सीधा रखते हुये गन से 10 मिमी ऊपर लैब एण्ड को सीधे कोण पर बिना पिचकाये हुय डालते हैं।

उचित सीथ को पहचान कर चुनकर, उसके फटे किनारे को पकड़ कर गन की वैरल पर चढ़ाते हैं एवं सीथ के अन्दर पड़े लौकिंग रिंग में स्ट्रा को फैलाते हयु घुमाकर फिट करते हैं। जिससे कि प्लंजर को पुश करते समय सीमन गन व सीथ के बीच में लीक न हो।

  • प्लंजर को थोड़ा सा स्ट्रा के अन्दर पुश करें, जिससे सीथ की बूंद किनारे पर दिखाई पड़ जाये।
  • लोडिंग गन को यथा शीघ्र उपयोग कर लेना चाहिए।
  • ए.आई. के समय धीरे-धीरे पुश करें, थूकने के सामान तेजी के साथ पुश न करें।
  • ए.आई. के उपरान्त सीथ गन से निकाल कर नष्ट कर दें एवं पुनः प्रयोग में न लायें। सही स्थिति में स्ट्रा को सीथ के साथ ही बाहर निकल जाना चाहिए।
  • अगर ए.आई. के दौरान गन में पशु से स्त्राव, मूत्र या गोबर लगता है तो गन को सफाई के उपरान्त ही वापस रखें।
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सीमन संग्रह टैंक (क्रायोकैन) एवं रखरखाव

A. लिड

B. लिड बेस

C. एल्यूमिनियम युक्त बाहरी कवर

D. ग्रीवा नली

E. रोक घुंडी

F. रंग संकेत युक्त कनीस्टर

G. विकसित रसायनयुक्त निर्वात अवरोधन प्रणाली

J. निर्वात अवरोधी

H. भितरी बेस

किस किस्म एवं ब्रीड का वीर्य किस केनिस्टर में रखा है उसके बाहर निकले टैग में अंकित होना चाहिए।

  • अतिहिमीकृत शुक्राणु (Spermatozoa) थाइंग के उपरान्त लम्बे समय तक जीवित नहीं रह सकते हैं एवं उनको दोबारा अतिहिमीकृत भी नहीं किया जा सकता है।
  • वांछित केनिस्टर को तरल नत्रजन पात्र की गर्दन (Neck) के स्तर तक उठायें, लेकिन उसे तरल नत्रजन वाष्प (LN2 Vapours–790C) के उपर कदापि न ले जायें।
  • वीर्य स्टॉज को यथा संभव गॉब्लेट में गइराई में रखें।
  • जितना शीघ्र संभव हो वांछित स्ट्रॉ को लम्बी चिमटी से पकड़कर बाहर निकालें एवं वीर्य स्ट्रॉ को तत्काल क्षैतिज (Horizontally) थॉ बाथ में डालें, जिसका तापमान 370C ± 10C  होना चाहिए।
  • 350C से 370C तापमान के गर्म पानी से स्टॉ को 30 सेकेण्ड बाद बाहर निकालें एवं कॉटन से पोंछकर सुखा लें।
  • वीर्य स्ट्रॉ को उर्ध्वाधर/लम्बवत् (Vertically) इस प्रकार पकडें़ जिससे काटन प्लग सिरा (फैक्टरी सील एंड) नीचे की आरे रहे।
  • एअर बबल (Air bubble) को स्ट्रॉ से झटककर (Shake) पॉलीविनाइल एल्कोहाल पाउडर (P. V. A.) द्वारा स्ट्रॉ के लैब शील्ड एंड की ओर उपर ले जायें।
  • स्ट्रॉ को एअर बबल के उपर से क्षैतिज (Horizontally)/Right Angle पर कैंची से काटकर सील प्लग को निकाल देें।
  • कैंची में पर्याप्त धार होनी चाहिए ताकि स्ट्रॉ एक समान कट सके।
  • कृत्रिम गर्भाधान गन का पिस्टन पीछे की ओर खींचकर स्ट्रॉ को ए. आई. गन के चैम्बर में इस प्रकार समायोजित करें कि स्ट्रॉ का कटा हुआ सिरा बाहर की ओर रहे एवं कॉटन प्लग्ड सिरा ए. आई. गन के अन्दर रहेगा।
  • प्लास्टिक शीध को ए. आई. गन के उपर उसके चौड़े सिरे (Broad end) से समायोजित (Fix) कर दें।
  • स्ट्रॉ का कटा हुआ सिरा (Cut end) सीथ के आगे वाले हिस्से में समुचित रूप से फिक्स कर दें जिससे वीर्य को रिसाव (Leakage) से बचाया जा सके।
  • रिंग (Lock) को समुचित रूप से प्लास्टिक सीथ के उपर समायोजित (Fix) कर दें।
  • सीथ एक यंत्र है जो स्ट्रॉ को अपने स्थान पर रोके रखकर केवल वीर्य को ही उचित स्थान पर पहंुचने देती है।
  • कृत्रिम गर्भाधान से पूर्व भगओष्ठों (Vulvar lips) को एंटीसेप्टिक घोल से अच्छी तरह स्वच्छ करने के बाद टिस्यू पेपर/स्वच्छ टॉवल से पोछकर सुखा देते हैं।
  • बायंे हाथ से गुदा मार्ग से गोबर निकालने के पश्चात् गर्भाशय ग्रीवा (Cervix) को अंगुली व अंगूठे के बीच पकड़ते हैं।
  • दोनों भगओष्ठों को थोड़ा सा खोलकर वीर्य स्टॉ लोडेड ए.आई. गन को सावधानीपूर्वक सर्विक्स के रास्ते से सम्पूर्ण अतिहिमीकृत वीर्य (Frozen thawed Semen) को गर्भाशय (Body of Uterus) में जमा कर देते हैं।
  • ए.आई. गन को बाहर निकालते समय भगशेफ (Clitoris) की मालिश (Massage) करने से शुकाणुओं के परिवहन में सहायता मिलती है।

उपयोग के पश्चात् इन्सेमिनेटर ए.आई. गन की सम्पूर्ण स्वच्छता अति आवश्यक है।

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