केंद्रीय मंत्री श्री परशोत्तम रुपाला ने दार्जिलिंग और कलिम्पोंग जिलों के पशुओं में लम्पी रोग (एलएसडी) के बढ़ते मामलों पर त्वरित कार्रवाई का निर्देश दिया

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मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत पशुपालन और डेयरी विभाग पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग और कलिम्पोंग जिलों के पशुपालकों की चिंताओं को दूर करने के लिए तत्परता से कार्य कर रहा है। पशुओं की यह विनाशकारी बीमारी भैंस और अन्य पशुओं को अपना शिकार बनाती है।

केन्द्रीय मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी (एफएएचडी) मंत्री श्री परशोत्तम रुपाला ने पश्चिम बंगाल के कलिम्पोंग और दार्जिलिंग जिलों में लम्पी रोग (एलएसडी) के बढ़ते मामलों को लेकर दार्जिलिंग लोकसभा सीट से सांसद राजू बिस्टा के पत्र में अपनी चिंताओं से अवगत कराने के बाद त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

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भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग ने तेजी से कार्रवाई करते हुए राज्य और जिले के पशुपालन विभाग के अधिकारियों के साथ बेहतर समन्वय से उन्हें तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए हैं। क्षेत्र से सत्यापन के अनुसार, दार्जिलिंग और कलिम्पोंग में एलएसडी के कारण मवेशियों की मौत नहीं हुई है। दार्जिलिंग में लगभग 400 और कलिम्पोंग में 2000 गैर-टीकाकृत मवेशी संक्रमित थे, जिनमें से क्रमशः 200 और 1200 पहले ही स्वस्थ हो चुके हैं। रोग के प्रसार को रोकने के लिए प्रभावित क्षेत्रों में मवेशियों के रिंग टीकाकरण सहित अन्य संक्रमित मवेशियों का उपचार चल रहा है। दोनों जिलों में भेड़/बकरियों में एलएसडी की कोई रिपोर्ट नहीं है और संक्रमण मुख्य रूप से गैर-टीकाकृत मवेशियों में पाया गया है, स्थिति नियंत्रण में है।

विभाग इस बीमारी के नियंत्रण के लिए विभिन्न उपायों को लागू कर रहा है, जो निम्नानुसार हैं:

निगरानी: विभाग ने पहले ही निकास योजना के माध्यम से निगरानी रणनीति तैयार कर ली है और सभी राज्यों को इसे भेज दिया गया है। नैदानिक ​​सुविधाएं इस क्षेत्र में आसानी से उपलब्ध हैं और क्षेत्रीय रोग निदान प्रयोगशाला (आरडीडीएल), कोलकाता को एलएसडी के पीसीआर परीक्षण के माध्यम से मवेशियों की निगरानी के लिए अधिकृत और वित्तीय रूप से समर्थित किया गया है और इसकी सूचना राज्य को दी गई थी।

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टीकाकरण कार्यक्रम: राज्यों को नियमित रूप से नियंत्रित और निवारक रणनीति के अनुसार टीकाकरण करने की सलाह दी गई है। टीकों की खरीद के लिए एक समान दरों के बारे में राज्य को सूचित कर दिया गया है। एएससीएडी के तहत पश्चिम बंगाल सहित राज्यों को 60:40 के हिस्से के साथ वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

कलिम्पोंग और दार्जिलिंग में आरडीडीएल अधिकारियों का दौरा: प्रभावित क्षेत्र का आकलन करने के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्रीय रोग निदान प्रयोगशाला (एनईआरडीडीएल), गुवाहाटी और पूर्वी क्षेत्रीय रोग निदान प्रयोगशाला (ईआरडीडीएल), कोलकाता के एक-एक अधिकारी वाली केंद्रीय टीम का जमीनी स्थिति और निश्चित समय सीमा में एलएसडी के नियंत्रण, रोकथाम और राज्य एएचडी का सहयोग करने के लिए गठन किया गया है। पशुपालन और डेयरी विभाग देश में एलएसडी पर समय पर नियंत्रण और रोकथाम के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता सहित सभी आवश्यक कदम उठा रहा है। हालांकि पशुपालन के राज्य विषय होने के कारण जमीनी क्रियान्वयन राज्य सरकारें करती हैं।

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