भारत और पाकिस्तान में सबसे अच्छी डेयरी नस्लों की गाय में से एक गाय है। साहिवाल गाय को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में साहिवाल जिले से उत्पन्न हुई गाय माना जाता है। साहिवाल गाय को भारत में डेरी फार्मिंग के लिए सबसे उत्तम गाय माना जाता है क्योंकि यह गाय और देशी गायों जैसे लाल सिन्धी के मुकाबले ज़्यादा दूध देती है। गर्मी की शहनशीलता रोगप्रतिरोधक क्षमता, उच्च तापमान पर प्रजनन व उच्च दुग्ध क्षमता के कारण कई देशो ने क्रॉस ब्रीडिंग हेतु इस नस्ल को अपने देशो में आयात किया। लाल सिन्धी को कई देशो में हॉल्स्टीन फ़्रिसियन नस्ल के साथ क्रॉस किया गया जिसमे मुख्यतः भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया आदि हैं। आस्ट्रेलिया में साहिवाल नस्ल से आस्ट्रेलिया की गायों को क्रॉस कराकर ऑस्ट्रेलियन फ़्रिसियन साहिवाल नमक नस्ल तैयार की गयी है। साहिवाल गाय अधिकतर उत्तरी भारत में पाई जाती हैं। मुख्यतः पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार व मध्य प्रदेश में पायी जाता है।
ये लाल और गहरे भूरे रंग की होती है, कभी-कभी इनके शरीर पर सफेद चमकदार धब्बे भी होते हैं। गहरा शरीर , ढीली चमड़ी, छोटा सिर व छोटे सींग इस गाय की प्रमुख विशेषताएँ हैं। ढीली चमड़ी होने के कारण इसे लोग लोला भी कहते हैं। नर साहिवाल के पीठ पर बड़ा कूबड़ होता है। इन गायों का सिर चौड़ा, सींग छोटेऔर मोटे होते है।
लाल सिन्धी गाय का औसत दुग्ध उत्पादन लगभग 2300 लीटर होता है जो कि 300 दिनों तक दूध देती है। दुग्ध उत्पादन 1600 लीटर से लेकर 3000 लीटर तक होता है। ड्राई पीरियड औसतन 156 दिन का होता है तथा बच्चे देने का अंतराल लगभग 440 से 480 दिन का होता है।
दूध में पोषक तत्वों से उच्च तापमान सहने की क्षमता लेकर बीमारियों से लड़ने की क्षमता के कारण साहीवाल नस्ल ने यूरोपीय नस्ल की गाय एचएफ (हॉल्स्टीन फ़्रिसियन) नस्ल को मात दे दी है। डेयरी व्यवसाय से जुड़े किसान भी अब होलेस्टन फ्रीजन से किनारा करके साहीवाल नस्ल की गाय पाल रहे हैं।
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