कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धः राधा मोहन सिंह

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31 दिसम्बर 2018: पिछले साढे चार वर्षों के दौरान कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने  किसानों के हित में विभिन्न कदम उठाए हैं। “किसान कल्याण” इस सरकार की कृषि नीति का प्राथमिक लक्ष्य है। इसके क्रियान्वयन के लिए कृषि क्षेत्र में रोजगार को बढ़ाना तथा किसानों की आय में वृद्धि करना महत्वपूर्ण कारक हैं। इस प्राप्त करने के लिए सरकार उत्पादन बढ़ाने, लागत कम करने, उच्च कीमत वाले फसलों को प्राथमिकता प्रदान करने, जोखिम कम करने और कृषि को सतत प्रक्रिया बनाने जैसे कार्य कर रही है।

लक्ष्य प्राप्ति के लिए कृषि क्षेत्र के बजट आवंटन में 74 प्रतिशत की वृद्धि की गई है तथा एसडीआरएफ आवंटन को दोगुणा कर दिया गया है। किसी विशेष कोषों की स्थापना की गई है जैसे 5000 करोड़ रुपये का  लघु सिचाई कोष, 10,081 करोड़ रुपये का डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास कोष, 7550 करोड़ रुपये का मत्स्य और मत्स्य पालन अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ), पशु पालन अवसंरचना  विकास के लिए 2450 करोड़ रुपये का कोष तथा ग्रामीण कृषि बाजार अवसंरचना विकास के लिए 2000 करोड़ रुपये क कोष।

 उक्त वित्तीय प्रावधानों की सहायता से कई नीतिगत सुधार किए गये। पहली बार किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किये गये, किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य प्राप्ति के लिए ई-नाम की शुरूआत की गई और किसानों की फसलों के अधिकतम जोखिम कवर करने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरूआत की गई। फसल बीमा योजना के लिए न्यूनतम प्रीमियम की सीमा हटा दी गई। जैविक कृषि के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड और परंपरागत कृषि विकास योजना की शुरुआत की गई। सतत कृषि के लिए हर मेढ़ पर पेड़, लघु सिंचाई पर विशेष जोर देते हुए प्रति बूंद अधिक उत्पादन तथा राष्ट्रीय बांस मिशन जैसे कार्यक्रमों की भी शुरूआत की गई।

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पिछले चार वर्षों के दौरान कृषि साख में 57 प्रतिशत की बढोतरी हुई है और यह 11 लाख करोड़ तक पहुच गया है। ब्याज सब्सिडी भी डेढ़ गुणा बढ़कर 15,000 करोड़ रुपये हो गया है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए एसएफएसी ने 546 एफपीओ का गठन किया है। भूमिहीन किसानों के लिए संयुक्त देनदारी समूह 6.7 लाख से बढ़कर 27.49 लाख हो गया है।

2022 तक किसानो की आय दोगुणी करने के लिए 24 फसलों का एमएसपी उनके समर्थन मूल्य से डेढ़ गुणा कर दिया गया है। इस प्रकार सरकार के वायदे को पूरा किया गया है। पीएसएस, पीएसएफ और एमआईएस योजनाओं के माध्यम से सरकारी खरीद में 15 गुणी बढ़ोतरी हुई है।

भारतीय कृषि को प्रतिस्पर्धात्मक बनाने के लिए एक नई निर्यात नीति तैयार की गई है और मोदी सरकार के प्रयासों से समुद्री उत्पादों के निर्यात में 95 प्रतिशत, चावल में 85 प्रतिशत, फलों में 77 प्रतिशत, ताजी सब्जियों में 43 प्रतिशत और मसालों में 38  प्रतिशत की वृद्धि हुई। तिलहन और दालों के आयात में शुल्क लगाकर किसानों के हितों को सुरक्षित किया गया है।

इलेक्ट्रोनिक व्यापार को लागू करने के लिए एपीएमसी अदिनियित में कई संशोधन किये गये हैं। इसके अतिरिक्त नया एपीएलएम अधिनियम, भूमि पट्टा अधिनियम और संविदा कृषि व सेवा अधिनियम राज्यों को क्रियान्वयन के लिए भेजे गये हैं।

कृषि में शोध के माध्यम से 795 नये पसलों को किसानों के लिए जारी किया गया है जिनमें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को सहने की क्षमता है। इससे उत्पादन में वृद्धि होगी और किसानों की आयच बढेगी। कृषि शिक्षा और पशु चिकित्सा शिक्षा के लिए नये कॉलेज खोले गये हैं, सीटों की संख्या बढ़ाई गई है तथा छात्रवृत्ति में भी वृद्धि की गई है। कृषि वैज्ञानिकों और किसानों के बीच बेहतर समन्वय के लिए फार्मर फर्स्ट, मेरा गांव मेरा गौरव और आर्य जैसे कार्यक्रमों की शुरूआत की गई है।

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बागवानी फसलों तथा कृषि से जुड़ी गतिविधियों पर विशेष ध्यान दिया गया है। स्वदेशी नस्ल को प्रोत्साहन देने के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन तथा डेयरी अवसंरचना के विकास पर विशेष बल दिया गया है। नीली क्रांति के माध्यम से देश के अंदर और समुद्री मत्स्य उत्पादों और मत्स्य पालन अवसंरचना के विकास पर विशेष जोर दिया गया है। इसके साथ ही किसानों की आय में वृद्धि के लिए मधुमक्खी पालन को एकीकृत मधुमक्खी पालन विकस केन्द्रों के जरिये आगे बढ़ाया गया है।

सरकार की नीतियों और योजनाओं की सफलता इस तथ्य से परिलक्षित होता है कि 2017-18 के दौरान 284.83 मिलियन टन का रिकार्ड अनाज उत्पादन, 306.82 मिलियन टन का रिकार्ड बागवानी उत्पादन हुआ तथा दलहन का उत्पादन 25.23 मिलियन टन हुआ और इसमें 40 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

डॉ. स्वामी नाथन जी द्वारा की गई अनुशंसाओं के अनुरूप तथा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 7 सूत्री रणनीति विकसित की है। जैसे प्रति बूंद, अधिक फसल, मृदा की गुणवत्ता के आधार पर पोषक तत्वों का प्रावधाव, भंडारण और शीत भंडारों के निर्माण पर अधिक निवेश, खाद्य प्रसंस्करण के द्वारा मूल्य संवर्धन, ई-नाम, जोखिम कम करने के लिए कम कीमत पर फसल बीमा और कृषि से जुड़ी गतिविधियों यथा पशुपालन, मुर्गी पालन, मेढ़ पर पेड़, बागवानी व मत्स्य पालन।

कृषि प्रसंस्करण के लिए टॉप योजना के अंतर्गत टमाटर, प्याज और आलू के कलस्टर स्थापित किये जाएंगे। कृषि स्टार्टअप और कृषि उद्यमियों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। 22,000 ग्रामीण हाटों की अवसंरचना विकास के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। शीत भंडारों के निर्माण में तेजी लाई जाएगी। किसानो की आय बढ़ाने के लिए मूल्य और मांग की भविष्यवाणी पर विशेष ध्यान दिया जाएगा ताकि किसान यह तय कर सकें कि उन्हें कौन सी फसल खेती करनी है।

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