किसानों की सहायता हेतु डेयरी विकास कार्यक्रम

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21 जून 2019: किसानों की आय बढ़ाने के लिए भारत सरकार, राज्य सरकारों को निम्नलिखित डेयरी विकास कार्यक्रमों के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान करती है, इन योजनाओं का उद्देश्य देश भर में डेयरी बुनियादी ढांचे को विकसित करना होता है। 

  1. डेयरी विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPDD)
  2. डेयरी उद्यमिता विकास योजना (DEDS)
  3. राष्ट्रीय डेयरी योजना- I (NDP-I)
  4. डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास निधि (DIDF)
  5. डेयरी गतिविधियों में लगे डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों का समर्थन करना (SDCFPO)

डेयरी विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPDD)
12 वीं योजना के दौरान कार्यान्वयन के लिए 1800 करोड़ के बजटीय प्रावधान के साथ “National Programme for Bovine Breeding and Dairy Development” (NPBB&DD) नाम से एक पुनर्गठन योजना शुरू की गई थी, जो कि चार मौजूदा योजनाओं जैसे कि ‘Integrated Dairy Development Programme (IDDP)’, ‘Strengthening Infrastructure for Quality & Clean Milk Production (SIQ-CMP)’, ‘Assistance to Cooperatives (A to C)’ और ‘National Project for Cattle & Buffalo Breeding (NPCBB)’ योजनायो को विलय कर बनाई गयी थी। वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए डेयरी विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPDD) हेतु बजट अनुमान रु 325.00 करोड़ रखा गया है।

डेयरी उद्यमिता विकास योजना (DEDS)
विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने और डेयरी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सितम्बर 2010 से DEDS योजना लागू की गयी। इस योजना के अंतर्गत नाबार्ड के माध्यम से बैंक डेयरी खोलने हेतु लोन प्रदान किया जाता है। बैंक की परियोजनाओं के तहत पात्र लाभार्थियों को पूंजीगत सब्सिडी भी प्रदान की जाती है। योजना के मानदंडों के अनुसार सामान्य लाभार्थियों को परियोजना लागत की 25% की सब्सिडी  और एससी / एसटी श्रेणी के लाभार्थियों को 33.33% की सब्सिडी प्रदान की जाती है। वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए डेयरी उद्यमिता विकास योजना (DEDS) हेतु बजट अनुमान रु 325.00 करोड़ रखा गया है।

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राष्ट्रीय डेयरी योजना- I (NDP-I)
दुग्ध पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से वर्ल्ड बैंक की वित्तीय सहायता से राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा 2242 करोड़ रुपये की कुल लागत से मार्च, 2012 में राष्ट्रीय डेयरी योजना-1 की शुरुआत की गई। इस योजना का मुख्य उद्देश्य दूध की बढ़ती मांग पूरी करना और अधिक से अधिक ग्रामीण दूध उत्पादकों को संगठित दूध प्रसंस्करण क्षेत्र के अंतर्गत लाने में मदद करना है। इस योजना के शुरुआत में 14 प्रमुख दूध उत्पादक राज्यों को चिन्हित किया गया; तत्पश्चात 2015-16 में तेलंगाना, झारखंड छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड के रूप में 4 नए राज्य जोड़े गए। योजना के मानदंडों के अनुसार राज्य डेयरी फेडरेशन/जिला दुग्ध संघों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। राष्ट्रीय डेयरी योजना- I (NDP-I) नवंबर, 2019 में समाप्त होने जा रही है।

डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास निधि (DIDF)
देश में डेयरी विकास में तेजी लाने के लिए, 2017 में, डेयरी विभाग द्वारा दिसंबर 2017 में एक नई योजना डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास निधि (DIDF) शुरू की गई है। योजना का उद्देश्य 50000 गांवों में 95 लाख दूध उत्पादकों को लाभ पहुंचाना है। इसके अतितिक्त ये योजना देश में कुशल, अर्ध-कुशल और अकुशल श्रमिकों के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर भी पैदा करेगी। भारत सरकार ने ऋण पर ब्याज सब्सिडी का प्रावधान भी प्रदान किया है। वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए DIDF हेतु बजट अनुमान रु 60.87 करोड़ रखा गया है।

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डेयरी गतिविधियों में लगे डेयरी सहकारी और किसान उत्पादक संगठनों का समर्थन (SDCFPO)
सरकार ने 2016-17 से एक नई केंद्रीय क्षेत्र योजना “डेयरी गतिविधियों में सहायक डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों” को मंजूरी दी है। इस योजना के अंतर्गत राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) में 300 करोड़ रुपये का कॉर्पस फण्ड तैयार किया गया है जिसके माध्यम से राज्य डेयरी सहकारी संघों को कार्यशील पूंजी के लिए ऋण दिया जाता है ताकि किसानों को एक स्थिर बाजार उपलब्ध कराया जा सके। इस योजना को निम्न उद्देश्यों के साथ NDDB द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है:

  • गंभीर प्रतिकूल बाजार स्थितियों या प्राकृतिक आपदाओं के कारण आये संकट से उभरने के लिए राज्य डेयरी सहकारी संघों को कार्यशील पूंजी ऋण प्रदान करना।
  • डेयरी किसानों को स्थिर बाजार उपलब्ध करना ।
  • राज्य सहकारी डेयरी फेडरेशनों को किसानों की बकाया धनराशि के भुगतान को जारी रखने के लिए सहायता प्रदान करना।
  • सहकारी समितियों को सभी सीजन में यहां तक ​​कि फ्लश सीजन के दौरान भी, किसानों से पारिश्रमिक मूल्य पर दूध खरीदने के लिए सक्षम करना।
  • योजना हेतु कॉर्पस फण्ड 3 साल हेतु यानी 2017-18 से 2019-20 तक के क्रियान्वयन के लिए बनाया गया है।  वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए SDCFPO हेतु बजट अनुमान रु 100 करोड़ रखा गया है।
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केंद्रीय मंत्री मत्स्य, पशुपालन और डेयरी, श्री गिरिराज सिंह ने आज राज्यसभा में एक लिखित जवाब में यह जानकारी दी।

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