ऑस्ट्रेलियाई भेड़ो से होगा उत्तराखण्ड में उच्च गुणवत्ता का ऊन उत्पादन

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16 जुलाई 2019: ऑस्ट्रेलिया और भारत ने भेड़ के निर्यात के लिए, एक नए “पशुचिकित्सा स्वास्थ्य प्रोटोकॉल” को अंतिम रूप दिया है। भारत में आस्ट्रेलिया के उच्चायोग में आयोजित एक समारोह में उच्चायुक्त सुश्री हरिंदर सिद्धू ने भारत के पशुधन व डेयरी विभाग के आला अफसरों के साथ इस आशय का समझौता किया गया। इस अवसर परसुश्री हरिंदर सिद्धू ने कार्यक्रम की मेजबानी की तथा सचिव, पशुपालन और डेयरी विभाग, श्री तरुण श्रीधर के साथ प्रोटोकॉल का आदान-प्रदान किया।

इस आयोजन के दौरान, सुश्री सिद्धू ने कहा, “कृषि एवं पशुपालन, भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा मेरा मानना ​​है कि हमारे कृषि क्षेत्रों भिन्नताएं होते हुए भी, कई समानताएं हैं जिस हेतु हमें द्विपक्षीय समझोते कर आगे बड़ना चाहिए। “

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पुराने संबधों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया और भारत ने दशकों से कृषि क्षेत्र में साझेदारी के तहत काम किया है खासकर गेंहू और ऊन के क्षेत्र में। डेयरी एवं पशुपालन विभाग भारत सरकार और ऑस्ट्रेलियाई कृषि विभाग के बीच हुए इस महत्वपूर्ण समझोते से भारत में उन्नत किस्म की ऊन पैदा करने में मदद मिलेगी।

सुश्री सिद्धू ने इस अवसर पर आशा व्यक्त की और कहा कि “हम उम्मीद करते हैं कि भारत के ऊन उत्पादन में वृद्धि देखने को मिलेगी, जिससे टेक्सटाइल क्षेत्र को मदद मिलेगी तथा रोज़गार के नए अवसर प्राप्त होंगे। साथ ही हम आशा करते हैं कि पहले की तरह ऑस्ट्रेलियाई ऊन भारत के ऊन और कपड़ा विकास का प्रमुख हिस्सा रहे।”

ऑस्ट्रेलियाई भेड़ें राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत ऊन विकास के लिए भेड़ प्रजनन कार्यक्रम का हिस्सा होंगी। ये योजना पायलट प्रोजेक्ट के रूप में उत्तराखण्ड राज्य में उत्तराखण्ड शीप एंड वूल डेवलपमेंट बोर्ड के माध्यम से चलायी जायेगी। सुश्री सिद्धू ने इस अवसर पर कहा कि उम्मीद है कि उत्तराखंड राज्य के लिए भेड़ो की पहली खेप सितंबर-अक्टूबर 2019 में भारत आ जायेगी।

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