एक कहावत है कि “बकरी गरीब की गाय है” यह कहावत गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगो के लिए बिलकुल सत्य है क्योंकि इनके लिए बड़े जानवरों जैसे गाय भैंस का पालन पोषण मुश्किल होता है। गुजरात के “पशु विज्ञान केंद्र (लिमखेड़ा), आदिवासी संशोधन व प्रशिक्षण संस्था तथा आनंद कृषि विश्वविद्यालय द्वारा “बकरी पालन – एक आदर्श व्यवसाय ” विषय पर दाहोद जिले के देवगढ़ बैरिया तालुका के गाँव की महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में पशु विज्ञान केंद्र के डॉ. के. एन. वागवानी (प्रोफेसर) ने बकरी पालन व्यवसाय के वैज्ञानिक पहलुओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बकरियों के आवास, आहार तथा प्रबंधन से सम्बंधित बिन्दुओं पर विस्तार से बताया। डॉ. गणवंत (सहायक प्रोफेसर) ने बकरी पालन की उपयोगिता तथा बकरियों के दूध के औषधीय गुणों पर प्रकाश डाला। श्री जे. एम. पटेल (पशुधन निरीक्षक) ने बकरियों के बाह्य और अंत परजीवियों के सम्बन्ध में जानकारी दी तथा विस्तार से बताया की पशुपालक कैसे अपनी बकरियों को बाह्य और अंत परजीवियों से बचा सकते है।
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