केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में वित्त वर्ष 2020-21 का केन्द्रीय बजट पेश किया। 21वीं सदी के तीसरे दशक के इस बजट में वित्त मंत्री ने दीर्घकालिक प्रभाव वाले कई सुधारों की घोषणा की, जिनका उद्देश्य लघु अवधि, मध्यम अवधि और दीर्घ अवधि के उपायों के जरिये भारतीय अर्थव्यवस्था को ऊर्जावान बनाना हैं।
The Union Minister for Finance and Corporate Affairs, Smt. Nirmala Sitharaman along with the Minister of State for Finance and Corporate Affairs, Shri Anurag Singh Thakur arrives at Parliament House to present the General Budget 2020-21, in New Delhi on February 01, 2020.
केन्द्रीय बजट 2020-21 की मुख्य बातें इस प्रकार हैं-
कृषि, सिंचाई और ग्रामीण विकास के लिए 16 सूत्री कार्य योजना
निम्नलिखित 16 सूत्री कार्य योजना के लिए 2.83 लाख करोड़ रुपये का आबंटन
- कृषि, सिंचाई और संबंधित गतिविधियों के लिए 1.60 लाख करोड़ रुपये।
- ग्रामीण विकास और पंचायती राज केलिए 1.23 लाख करोड़ रुपये।
कृषि ऋण
- 2020-21 के लिए 15 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य तय।
- पीएम-किसान लाभार्थियों को केसीसी योजना के तहत लाने का प्रस्ताव।
- नाबार्ड की पुनर्वित्त योजना को और विस्तार देना।
- जल संकट से जूझ रहे 100 जिलों के लिए वृहद उपायों का प्रस्तावों
नीली अर्थव्यवस्था
- 2024-25 तक मत्स्य निर्यात को एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाना।
- 2022-23 तक देश में 200 लाख टन मत्स्य उत्पाद का लक्ष्य।
- 3,477 मित्रों और 500 मत्स्य पालन कृषक संगठनों द्वारा युवाओं को मत्स्य पालन क्षेत्र से जोड़ना।
- शैवालों और समुद्री खरपतवारों की खेती तथा केज कल्चर को प्रोत्साहित करना।
- समुद्री मत्स्य संसाधनों के विकास प्रबंधन और संरक्षण के लिए फ्रेमवर्क तेयार करना।
बागवानी क्षेत्र में विपणन और निर्यात को बेहतर बनाने के लिए ‘एक उत्पाद, एक जिला‘ की नीति –
- सभी तरह के पारम्परिक जैविक और नवोन्मेषी उवर्रकों का संतुलित इस्तेमाल।
- जैविक, प्राकृतिक और एकीकृत खेती को बढ़ावा।
- जैविक खेती पोर्टल- जैविक उत्पादों के ऑनलाइन राष्ट्रीय बाजार को मजबूत बनाना।
- जीरो बजट प्राकृतिक खेती– (जैसा कि जुलाई 2019 के बजट में दर्शाया गया) को शामिल करना।
- सिंचाई के लिए वर्षा, जल आधारित क्षेत्रों में एकीकृत खेती प्रणाली का विस्तार।
- गैर फसल मौसम में बहुस्तरीय फसल, मधुमक्खी पालन, सौर-पंपों तथा सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देना।
पीएम-कुसुम का विस्तार
- योजना के तहत 20 लाख किसानों को सौर ऊर्जा पंप लगाने में मदद।
- अतिरिक्त 15 लाख किसानों को ग्रिड से जुड़े पंप सैटों को सौर ऊर्जा चलित बनाने में मदद करना।
- किसानों को अपनी प्रति या खाली जमीन पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने में मदद की योजना।
ग्राम भंडारण योजना
- किसानों के लिए स्व-सहायता समूहों द्वारा संचालित भंडारण व्यवस्था, ताकि उत्पादों पर लॉजिस्टिक लागत कम हो सके।
- महिलाओं के स्व-सहायता समूहों को फिर से धन्य लक्ष्मी का स्थान पाने में मदद।
- नाबार्ड द्वारा कृषि भंडारो, कोल्ड स्टोरों तथा प्रशीतन वैन सुविधाओं का नक्शा बनाना और उनका जीओ टैगिंग
- करना
- वेयर हाऊस विकास एवं नियामक प्राधिकरण द्वारा भंडार गृहों की स्थापना के लिए नियम-
- खंडों और तालुक स्तर पर सक्षम भंडार गृह बनाने के लिए पूंजी की कमी की भरपाई करना।
- भारतीय खाद्य निगम और केन्द्रीय भंडारण निगम भी अपनी जमीन पर ऐसे भंडार गृह बनाएगे।
- नेगोशिएबल वेयरहाऊसिंग रिसीट पर किया जाने वाला वित्त पोषण ई-नाम के साथ एकीकृत किया जाएगा।
- केन्द्र सरकार द्वारा जारी मॉडल कानूनों पर अमल करने वाली राज्य सरकारों को प्रोत्साहन दिए जाएंगे।
पशुधन :
- दूध प्रसंस्करण क्षमता को वर्ष 2025 तक 53.5 मिलियन एमटी से दोगुना कर 108 मिलियन एमटी के स्तर पर पहुंचाया जाएगा।
- कृत्रिम गर्भाधान की कवरेज को मौजूदा 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 70 प्रतिशत किया जाएगा।
- चारागाह को विकसित करने के लिए मनेरगा का संयोजन किया जाएगा।
- मवेशियों के खुर एवं मुंह में होने वाली बीमारी (एफएमडी) तथा ब्रूसेलोसिस और भेड़ व बकरियों में पेस्टे डेस पेटिस रुमिनेंट (पीपीआर) को वर्ष 2025 तक समाप्त किया जाएगा।
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