बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के BVSc कोर्स में NEET के आधार पर होंगे दाखिले

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बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना में मुख्यतः तीन पाठ्यक्रमों- पशुचिकित्सा विज्ञान, गव्य प्रौद्योगिकी एवं मत्स्य विज्ञान की शिक्षा दी जाती है। पशु चिकित्सा विज्ञान की शिक्षा बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय, पटना में दी जाती है। इसमें दाखिला हेतु विद्यार्थियों का चयन नीट के रैंक के आधार पर होगा, जिनकी काउन्सेलिंग बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा (BCECE) पर्षद द्वारा किया जाएगा। बिहार के निवासियों के लिए 85% (31) सीटें आरक्षित की गयी हैं, जबकि 15% (09) सीटें भारत सरकार द्वारा पूरे देश से भरी जाती हैं। यह पाठ्यक्रम 51/2 वर्षों का होता है एवं इस कोर्स में पशुओं की शारीरिक प्रक्रिया से लेकर उनकी बीमारियां, इलाज, शल्य चिकित्सा (सर्जरी), रख-रखाव आदि की शिक्षा दी जाती है।

इसी प्रकार गव्य प्रौद्योगिकी की शिक्षा संजय गाँधी गव्य प्रौद्योगिकी संस्थान, पटना में दी जाती है। इसके लिए 04 वर्षों का कोर्स होता है। इसके 26 सीटों पर दाखिले हेतु बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा देनी होती है। 04 सीट भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् द्वारा भरी जाती है। इस कोर्स में गव्य तकनीक, गव्य प्रबंधन, प्रसंस्करण, गव्य उद्योग आदि से संबंधित शिक्षा दी जाती है।

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पुनः मात्स्यिकी महाविद्यालय, किशनगंज, बिहार में कुल 40 सीटें हैं, जिनमें 34 सीट बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा द्वारा भरी जाएगी एवं 06 सीट भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के द्वारा भरी जाएगी। इस कोर्स में तालाब प्रबंधन, मत्स्य प्रबंधन, मत्स्य उद्योग, मत्स्य प्रसंस्करण इत्यादि संबंधित शिक्षा दी जाती है। यह कोर्स भी 04 वर्षों का होता है। उपरोक्त सभी पाठ्यक्रमों से संबंधित डिग्री प्राप्त करने के पश्चात् रोजगार के अच्छे अवसर मिलने में कोई कठिनाई नहीं होती है।

बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री पी के कपूर के अनुसार पीजी एवं पीएचडी प्रोग्राम में दाखिला भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् द्वारा आयोजित क्रमशः AIEEA(PG) एवं AICE-JRF/SRF(PhD) परीक्षा के आधार पर सफल अभ्यर्थियों को विश्वविद्यालय द्वारा काउन्सेलिंग के उपरान्त किया जायेगा। यह पहली बार होगा, विदित हो कि पूर्व में पीजी एवं पीएचडी प्रोग्राम में दाखिला विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा के आधार पर ली जाती थी।

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बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय ही बिहार में इन पाठ्यक्रमों के लिए एकमात्र संस्थान है। ऐसे में कोरोना के कारण नीट एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् की परीक्षा में होने वाली देरी का असर विश्वविद्यालय के दाखिला प्रक्रिया पर भी सीधा पडे़गा

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