पशुओं में फास्फोरस की कमी से होने वाला पाईका रोग

4.4
(32)

पशुओं द्वारा ऐसी अखाद्य वस्तुओं को खाना जिन्हें आहार नहीं कहा जा सकता है की स्थिति को पाइका कहते हैं। पाइका के कई प्रकार होते हैं:

  1. कोप्रोॉफेजिया: स्वयं या अन्य पशु का गोबर खाना।
  2. ओस्टियोफेजिया: मृत पशुओं की हड्डियां चाटना या चबाना।
  3. जियोफेजिया: मिट्टी खाना।
  4. इन्फेंटोफेजिया: मादा बच्चा देने के बाद स्वयं के नवजात बच्चों को खाना।
  5. पिटोफेजिया: पशु स्वयं या अन्य पशु के बाल या चमड़ी को चाटना।
  6. चाटने की बीमारी: कागज, कपड़ा, चमड़ा, लकड़ी, पत्थर आदि खाना।
  7. लोहे व अन्य धातु की चीजों को चाटना या चबाना।
  8. स्टेबल वॉइसेज: घोड़े द्वारा अस्तबल में अस्तबल की दीवारों को चाटना।
  • गाय और भैंस कपड़ा, चमड़ा, गोबर, मल मिट्टी व कागज खाती हैं।
  • घोड़े धूल,रेत, लकड़ी तथा हड्डी चाटते या चबाते अथवा खाते हैं।
  • कुत्ते गोबर, मल, कपड़ा, घास, खिलौना, जूते, कागज आदि खाते हैं।

कारण
बहुधा यह रोग कैल्शियम, फास्फोरस, नमक व अन्य खनिज तत्व तथा विटामिन की कमी के कारण होता है। इसके अलावा पाइका, के यह लक्षण जठरशोथ, अग्न्याशय की बीमारी रेबीज एवं मसूड़ों की सूजन आदि में भी होते हैं। पेट में जब भारी संख्या में विभिन्न तरह के अंत: क्रमि होते हैं। जब पशुओं को एक साथ सकरी जगह पर रखा जाता है तो मिट्टी खाने की संभावना अधिक रहती है।

पशुओं के व्यवहार का अगर हम बारीकी से निरीक्षण करें तो उनकी बहुत सी बीमारियों का पता हम बिना किसी डॉक्टरी जांच के कर सकते हैं। कुछ पशु मिट्टी और दीवाल चाटते हैं एवं दूसरे पशु का पेशाब पीने का प्रयास करते हैं और अखाद्य पदार्थ खाने की कोशिश करते हैं, ऐसा तब होता है जब पशुओं में फॉस्फोरस की कमी हो जाती है तो ये सब लक्षण दिखाई देने लगते हैं।पशु चारा उगाने की जमीन में अगर फॉस्फोरस की कमी हो जाएगी तो उस भूमि में उगी चारा फसलों में भी फॉस्फोरस की कमी हो जाएगी और उन चारा फसलों को खाने वाले पशुओं में भी फॉस्फोरस की कमी हो जाएगी और उपरोक्त सभी लक्षण दिखाई देने लगेंगे। अगर पशु के रातिब मिश्रण में चोकर नहीं मिलाया गया है तो भी फॉस्फोरस की कमी हो सकती है।फॉस्फोरस चूंकि दूध में भी स्रावित होता है इसलिए दुधारू पशुओं के चारे, दाने में उचित मात्रा मैं फॉस्फोरस मौजूद न होने पर भी उन पशुओं में फॉस्फोरस की कमी हो जाती है।चारा फसलों और अनाजों के छिलकों में फॉस्फोरस बहुतायत में पाया जाता है या फिर रातिब मिश्रण में मिलाया जाने वाला मिनरल मिक्सचर इसका अच्छा स्रोत हैlपशुओं में फॉस्फोरस की कमी होने पर पशुओं की भूख कम हो जाएगी, पशु उन सभी चीजों को खाने की कोशिश करेगा जो उसे नहीं खानी चाहिए। वास्तव में वह दीवार चाट कर, मिट्टी खाकर या दूसरे पशुओं का पेशाब चाटकर अपनी फॉस्फोरस की कमी को पूरा करना चाहता है। वृद्धिशील पशुओं की बढ़वार कम हो जाएगी। फॉस्फोरस की कमी होने पर पशु की प्रजनन क्षमता प्रभावित होगी। पशु मद या गर्मी में नहीं आएंगे।पशुओं की हड्डियां कमजोर हो जाएंगी।

और देखें :  पालतू पशुओं में मुख्य विषाक्तताओं के कारण एवं निवारण

पशुओं को फॉस्फोरस की कमी से बचाने के लिए निम्न उपाय करें
चारा फसलें उगाते समय खेत में उचित मात्रा में N:P:K डालिये।पशुओं के लिए रातिब मिश्रण बनाते समय उसमें 30 से 40 प्रतिशत चोकर जरूर रखिए।रातिब मिश्रण बनाते समय उसमें 2 प्रतिशत की दर से उत्तम गुणवत्ता के खनिज लवण का मिक्सचर जरूर मिलाइए।पशुओं को बहुत अधिक मात्रा में कैल्शियम देने पर भी फॉस्फोरस की कमी हो जाती है इसलिए पशुओं को केवल कैल्शियम ही आवश्यकता से अधिक मात्रा में नहीं खिलाते रहना है।पशुओं में अगर ऊपर बताये गए लक्षण दिखाई दें तो पशुओं का निम्नलिखित उपचार कराएं।

और देखें :  NDRI करनाल: वैज्ञानिकों ने भैंस की पूंछ के टुकड़े से पैदा किए कटड़ा-कटड़ी के क्लोन

उपचार

  1. रोग के प्रमुख कारण का पता लगाकर उसे दूर करें।
  2. पशु को दिए जाने वाले आहार की पौष्टिकता में सुधार लाएं।
  3. रोमनथी पशुओं को, आहार में ईस्ट पाउडर दें।
  4. इंजेक्शन विटामिन ए तथा विटामिन बी कांप्लेक्स भी दें।
  5. गाय भैंस को 50 ग्राम खनिज लवण प्रतिदिन दें।इसके लिए मिनरल ईट को पशु को चाटने के लिए आगे रखें।
  6. वयस्क पशु को आहार में प्रतिदिन लगभग 50 ग्राम सादा नमक अवश्य दें।
  7. प्रत्येक तीन माह पर पशुओं को पेट के कीड़ों की औषधि अवश्य दें।
  8. पशुओं को कम से कम 5 दिन तक पशु चिकित्सक की सलाह से फास्फोरस का इंजेक्शन अवश्य लगवाएं एवं पशुओं
  9. को प्रतिदिन 50 ग्राम सोडाफास पाउडर खाने में दें।
इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए।
और देखें :  डेरी पशुओं में आयु का अनुमान लगाना

यह लेख कितना उपयोगी था?

इस लेख की समीक्षा करने के लिए स्टार पर क्लिक करें!

औसत रेटिंग 4.4 ⭐ (32 Review)

अब तक कोई समीक्षा नहीं! इस लेख की समीक्षा करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

हमें खेद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी नहीं थी!

कृपया हमें इस लेख में सुधार करने में मदद करें!

हमें बताएं कि हम इस लेख को कैसे सुधार सकते हैं?

Author

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*