कम समय की गर्भावस्था की जांच डेयरी व्यवसाय के प्रजनन प्रबंध एवं व्यावसायिक लाभ के दृष्टिकोण से अति उत्तम है। कम समय की गर्भावस्था की जांच हेतु कोई परीक्षण उपलब्ध न होने के कारण वैज्ञानिकों का ध्यान इस ओर आकर्षित किया है। इन सबके बावजूद गर्भ जांच की कई विधियां जैसे गुदा परीक्षण, रेडियोग्राफी एवं अल्ट्रासाउंड और रोजेट इनहिबिसन टेस्ट इत्यादि उपलब्ध है। इन परीक्षणों की प्रायोगिक कठिनाइयों के कारण कम समय के गर्भ जांच हेतु लगातार साधारण, कम खर्च एवं नानइनवेसिव विधि के सफल क्रियान्वयन हेतु वैज्ञानिक लगातार कार्य कर रहे हैं। पुण्यकोटी परीक्षण एक सरल नान इनवेसिव गर्भ जांच हेतु परीक्षण है जिसे गाय/ भैंस के लिए विकसित किया गया है। यह परीक्षण पशुपालक द्वारा अपने घर पर आसानी से किया जा सकता है।
कम समय की गर्भावस्था का निदान अर्थात पहचान अत्यंत लाभदायक और उन्नत पशुपालन के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गाय एवं भैंस में गर्भावस्था की जानकारी हेतु पुण्यकोटि परीक्षण तकनीक का उपयोग किया जाता है। इसे सीड बायो ऐसे भी कहा जाता है।
1. बीज अंकुरण निषेध परीक्षण: बीज अंकुरण निषेध परीक्षण कम समय की गर्भावस्था के निदान में अति महत्वपूर्ण है।
सिद्धांत: गर्वित पशु के मूत्र में लगभग 3 गुना अधिक एबसिसिक एसिड पाया जाता है जो गेहूं अथवा जौ के अंकुरण को बाधित करता है। गर्वित गाय और भैंस के मूत्र में एबसिसिक एसिड उच्च सांद्रता में 170.62 नैनोमोलस/ मिली लीटर जबकि बिना गर्व की गायों एवं भैंसों में 74.46 नैनोमोल्स प्रति मिलीलीटर पाया जाता है। एबसिसिक एसिड की उच्च मात्रा बीजों के अंकुरण एवं उनकी सूट लेंथ को कम करता है, जब गर्वित पशु के मूत्र से उक्त बीजों का उपचार किया जाता है। यह परीक्षण भैंस, भेड़, बकरी में भी किया जा सकता है जिनमें धान एवं मूंग के बीजों का मूत्र के द्वारा उपचार किया जाता है।
प्रयोग की विधि:
- मूत्र नमूनों का संकलन प्रायोगिक समूह की गायों एवं भैंसों द्वारा प्राकृतिक मूत्र त्याग के समय अथवा इंड्यूस्ड मूत्र त्याग के समय किया जाता है
- पशु के मूत्र को एकत्र करने के पश्चात उसको 10 गुना आसुत जल में तनुकृत किया जाता है।
- दो पेट्री डिश लेकर उन पर फिल्टर लगा दिया जाता है। लगभग 15 से 20 गेहूं या जौ के दाने प्रत्येक पेट्री डिश में रख दिए जाते हैं।
- लगभग 10 से 15 एम एल उपरोक्त तनुकृत मूत्र नमूना एक पेट्री डिश में डाल देते हैं जबकि दूसरी पेट्री डिश में केवल आसुत जल डालते हैं जो कंट्रोल ग्रुप का काम करता है।
- पेटरी डिस को ढक कर , रखते हैं ताकि तनुकृत मूत्र का वाष्पीकरण न हो और इसको 5 दिन तक रखते हैं।
निष्कर्ष:
- यदि बीजों का अंकुरण नहीं होता है और यह बीज काले या भूरे पड़ जाते हैं अथवा यदि अंकुरित होते हैं तो इनके सूट्स 1 सेंटीमीटर से कम लंबाई के होते हैं ऐसी स्थिति में पशु को गर्भित माना जाता है।
- 35 से 60 प्रतिशत अंकुरण के साथ सूट लेंथ 4 सेंटीमीटर की होती है तो पशु गर्भित नहीं माना जाता है।
- कंट्रोल पेट्री डिश मैं 60 से 80% अंकुरण होता है और सूट लेंथ लगभग 6 सेंटीमीटर होती है।
2. बेरियम क्लोराइड परीक्षण: इस परीक्षण का उपयोग गाय और भैंस की गर्भ जांच हेतु किया जाता है। इस परीक्षण से 90% से अधिक विश्वसनीय परिणाम प्राप्त होते हैं।
परीक्षण का सिद्धांत: प्रोजेस्ट्रोन की यकृत में मेटाबॉलिज्म के बाद जो अंत उत्पाद बनते हैं वे गाय और भैंस के मूत्र में उपस्थित होते हैं जोकि बेरियम क्लोराइड के प्रेसिपिटेशन को बाधित करते हैं। जबकि एस्ट्रोजन प्रेसिपिटेशन को उत्प्रेरित करता है।
परीक्षण की विधि
- एक परखनली में 5ml पशु का मूत्र लेते हैं।
- इस परखनली में 5 से 6 बूंद 1% बेरियम क्लोराइड के घोल को डालकर अच्छी तरह मिक्स करते हैं।
परीक्षण के निष्कर्ष
- प्रेसिपिटेशन का न होना यह सिद्ध करता है कि पशु गर्वित है।
- जबकि यदि स्पष्ट सफेद प्रेसिपिटेशन आता है तो यह पशु गर्भित नहीं है ।
- इस परीक्षण द्वारा 3 से 4 सप्ताह के गर्भ की जांच, भी की जा सकती है।
- यह परीक्षण पशुपालक द्वारा अपने घर पर आसानी से किया जा सकता है।
- जब पादप स्रोत की एस्ट्रोजन मूत्र में उपस्थित होती है तो यह परीक्षण गलत परिणाम देता है।
- स्थाई पीतकाय एवं गर्भावस्था की पीतकाय का जोकि ब्याने के कुछ समय तक रहती है, भी झूठा धनात्मक परिणाम दे सकती है।
3. सोडियम हाइड्रोक्साइड परीक्षण: इस परीक्षण का उपयोग गाय एवं भैंस के गर्भ परीक्षण के लिए किया जाता है। इस परीक्षण के परिणाम 80 से 90% सही होते हैं।
परीक्षण की विधि:
- एक परखनली में 0.25 मिलीलीटर गर्भाशय ग्रीवा का म्यूकस लेते हैं।
- इसमें 5ml 10 परसेंट सोडियम हाइड्रोक्साइड का घोल मिलाते हैं। इसके पश्चात इसको उबलने तक गर्म करते हैं।
परिणाम/ निष्कर्ष
- उपरोक्त मिश्रण का नारंगी रंग का होना सिद्ध करता है कि पशु गर्भित है।
- यदि हल्का पीला रंग आता है इसका अर्थ है कि पशु गर्भित नहीं है।
5. स्पेसिफिक ग्रेविटी परीक्षण: गाय एवं भैंस में यह परीक्षण 90% से अधिक विश्वसनीय होता है।
परीक्षण का सिद्धांत: प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन की सर्वाइकल म्यूकस में उपस्थिति स्पेसिफिक ग्रेविटी को बढ़ा देती है जबकि एस्ट्रोजन की उपस्थिति स्पेसिफिक ग्रेविटी को घटा देती है ।
प्रयोग की विधि: कुछ मिली लीटर कॉपर सल्फेट का घोल जिसकी स्पेसिफिक ग्रेविटी 1.008 हो एक टेस्ट ट्यूब में लेते हैं। इसमें0.25 एम एल सर्वाइकल म्यूकस डालते हैं।
परिणाम/ निष्कर्ष
- यदि म्यूकस डूब जाता है इसका अर्थ है कि पशु गर्भित है ।
- परंतु यदि म्यूकस ऊपर उतराता है, इसका अर्थ है पशु गर्भित नहीं है।
इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए। |
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