रेबीज एक घातक बीमारी है, जो कि एक विषाणु के कारण होती है। ये विषाणु संक्रमित पशुओं के लार में पाया जाता है। यह एक पशुजन्य रोग यानि जूनोटिक बीमारी है। जो बीमारी इंसानों से जानवरों और जानवरों से इंसानों में फैल सकती है, ऐसी बीमारी को जूनोटिक बीमारी कहते है। लगभग 90 % ये बीमारी संक्रमित कुत्तों के कटने से जानवरों और इंसानों फैलती है। एवं अन्य 10 % जंगली जानवरों जैसे लोमड़ी, चमगादड़, बिल्ली और नेवला इत्यादि से फैलती है। रेबीज़ से सबसे ज्यादा मौतें भारत में होती है। प्रतिवर्ष जिसका आंकड़ा 2000 के पार पहुंच चुका है।
यदि एक बार पशु या मनुष्य में इस बीमारी के लक्षण दिखाई देने लगे तो इसका इलाज संभव नहीं है। परन्तु इस बीमारी से तुरंत नियमानुसार टीका लगाकर दोनों इंसानों और जानवरों को बचाया जा सकता है। टीकाकरण क्रमशः सरकारी/ गैर सरकारी चिकित्सालय एवं पशु चिकित्सालय में उपलब्ध होता है। यदि किसी व्यक्ति या पशु को रेबीज संक्रमित कुत्ता अथवा अन्य संक्रमित पशु काटता है, या किसी कटे हुए त्वचा या घाव को चाटता है तो, शीघ्र स्वच्छ पानी और साबुन से घाव की धुलाई करें एवं नजदीकी अस्पताल में जाकर डॉक्टर से परामर्श लें और टीकाकरण कराएं।
रेबीज़ से ग्रसित कुत्तों के लक्षण
- इस स्थिति में जानवरों का सामान्य व्यवहार बदल जाता है।
- वह अपने मालिक की आज्ञा मानना बंद कर देता है।
- वह ना खाने वाली चीजों जूते चप्पल, रबर, प्लास्टिक इत्यादि को चबाने लगता है और किसी भी जानवर या इंसान को काट सकता है।
- हमेशा भागने की कोशिश करता रहता है और एक घुमावदार गति में दौड़ता रहता है।
- वह अधिकतर आसमान को देखकर भौकता है।
- पानी से डरता है क्योंकि विषाणु कंठच्छेद को संक्रमित कर देता है जिसके कारण पानी फेफड़ों में चला जाता है और दर्द होता है।
- मुंह से बहुत मात्रा में लार श्रवित करता है।
- अधिकतर अंधेरे में जाकर छिप जाने कि कोशिश करता है।
- रेबीज ग्रसित कुत्ते पर उसके ही समूह के दूसरे कुत्ते भौंकते है, और दूर दूर रहने कि कोशिश करते है।
बचाव एवं उपचार
- पालतू कुत्तों का समय से टीकाकरण करवाएं।
- कुत्तों में टीकाकरण 3 महीने की उम्र से शुरुआत होती है और प्रतिवर्ष लगवाना होता है
- यदि दूसरे कुत्ते, आपके कुत्ते या दूसरी जानवरों को काटते है, तो तुरंत पशु चिकित्सक से परामर्श करें और टीकाकरण कराएं। जो कि 0, 3, 7, एवं 14 दिन पर लगता है।
- यदि कोई कुत्ता आपको काटता है तो आप तुरंत चिकित्सक से परामर्श लें और टीकाकरण करवाऐं।
- अगर इन लक्षणों से ग्रसित कोई कुत्ता आपके आस पास हो तो उसकी जानकारी नजदीकी पशु चिकित्सालय में जरूर दें।
इस तरह के पागलपन के लक्षणों को पहचान कर हम खुद को और अपने जानवरों को बचा सकते है।
इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए। |
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Authors
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पी.एच.डी. शोधकर्ता, पशुधन उत्पादन प्रबंधन प्रभाग, भा.कृ.अनु.प.– राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा
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पीएच.डी. शोधकर्ता, पशु शरीर क्रिया प्रभाग, भा.कृ.अनु.प.– राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा
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पीएचडी शोधकर्ता, पशु प्रजनन, मादा रोग एवं प्रसूति प्रभाग, भा.कृ.अनु.प.– राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा
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पीएचडी शोधकर्ता, पशु शरीर क्रिया प्रभाग, भा.कृ.अनु.प.– राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा
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पीएचडी शोधकर्ता, पशुधन उत्पादन प्रबंधन प्रभाग, राजस्थान पशु और विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर
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