अप्रैल/ चैत्र माह में पशुपालन कार्यों का विवरण

4.2
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  1. जायद के हरे चारे की बुवाई करें एवं बरसीम चारा बीज उत्पाद हेतु कटाई करें।
  2. अधिक आय हेतु स्वच्छ दुग्ध उत्पादन करें।
  3. 3 माह पूर्व कृत्रिम गर्भाधान कराए गए पशुओं का गर्भ परीक्षण कराएं। जो पशु गर्भित नहीं है उन पशुओं की सम्यक जांच उपरांत समुचित उपचार कराएं।
  4. पशुओं में जल व लवण की कमी भूख कम होना एवं कम उत्पादन अधिक तापमान के प्रमुख प्रभाव हैं अतः पशुओं को अधिक धूप से बचाव के उपाय करें।
  5. 6 माह से अधिक गर्भित पशु को अतिरिक्त राशन दें।
  6. चारागाहों, मैं घास अपने न्यूनतम स्तर पर होती है तथा पशु पोषण भी वर्षा न होने तक कमजोर रहता है। ऐसी स्थिति में विशेषकर फास्फोरस तत्व की कमी के कारण पशुओं में “पाइका” नामक रोग हो सकता है, अतः दाने में खनिज मिश्रण  अवश्य मिलाएं ।
  7. गला घोटू तथा लंगड़ियां बुखार से बचाव का टीका समस्त पशुओं में लगवाएं।
  8. पशुओं को हरा चारा पर्याप्त मात्रा में खिलाए।
  9. पशुओं को स्वच्छ ताजा जल पिलाएं तथा प्रातः एवं सायं नहलाएं।
  10. पशुओं को 50 ग्राम खनिज मिश्रण एवं 50 ग्राम नमक का सेवन प्रतिदिन कराएं।
  11. चारे के संग्रहण वह उसकी उचित समय पर खरीद कर ले।
  12. पशुओं के राशन में गेहूं के चोकर तथा जौ की मात्रा बढ़ाए।
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