कैसे शुरू करें शूकर पालन व्यवसाय

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भारत में शूकर पालन गरीब एवं सामाजिक दृष्टि से पिछले वर्ग के लोगों का परंपरागत पेशा रहा है। धार्मिक मान्यतायों वश इस क्षेत्र में तेज़ी से उन्नयन नहीं किया जा सका। उन्नत वैज्ञानिक तकनीकों की कमी भी इस क्षेत्र के विकास में तेज़ी न आने का और एक कारण है। किन्तु हाल में समाज और मनुष्य के चिंतन परिवर्तन से इस मांस-उत्पादक पशुधन का महत्व धीरे-धीरे लोगों को पता चल रहा है। इसलिए किसान परम्परागत डेयरी (दुग्ध) उत्पादन से ज़्यादा लाभदायक इस शूकर पालन की ओर भी ध्यान दे रहे हैं। शूकर पालन से जल्द लाभ कमाया जा सकता है। इसलिए इस व्यवसाय में ज़्यादा से ज़्यादा लोग आगे आ रहे हैं।

शूकर पालन व्यवसाय

शूकर पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देना चाहिए। शूकर और उसके पालने के बारे में जानकारी, नजदीकी बाज़ार में पशु या मांस की मांग के बारे में जानकारी एवं पूरे व्यवसाय में उपयुक्त स्थान तथा लागत के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। शूकर नस्लें, बाड़ा बनवाने के सस्ते सामान, आहार व्यवस्था और ऋण व्यवस्था आदि की विस्तृत जानकारी भी ज़रूरी है।

कैसे शुरू करें शूकर पालन व्यवसाय

प्रशिक्षण और कार्यकारी ज्ञान लेना

जब किसी जगह में शूकर पालन शुरू करना हो, उस जगह के स्थानीय पशुधन की स्थिति की जानकरी होना आवश्यक है, इसके लिए संबन्धित सर्वेक्षण रिपोर्ट, पशुधन गणना की रिपोर्ट आदि देख लेनी चाहिए। सर्वप्रथम, इच्छुक व्यक्ति को शूकर का आहार, बाड़ा-प्रबंधन की वैज्ञानिक विधि और व्यवसाय में लाभ-नुकसान के आकलन आदि के लिए प्रशिक्षण लेना चाहिए। यह प्रशिक्षण कृषि और पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केन्द्रों, सरकारी पशु पालन विभागों, पशुधन शोध संस्थानों एवं अन्य सरकारी संस्थानों से प्राप्त किया जा सकता है। शूकर फार्म की कार्यकारी जानकारी के लिए किसी दूसरे फार्म में अपने हाथों से सारा काम करना होता है। उसके लिए कुछ समय उस फार्म में रहना भी पड़ सकता है। इसके अलावा, स्थानीय आकाशवाणी या दूरदर्शन केन्द्र से प्रसारित होने वाले संबन्धित कार्यक्रमों से भी जानकारी मिल सकती है।

उपयुक्त स्थान

साधारणत: शूकर फार्म महानगरों के पास वाले गाँव में स्थापित होना चाहिए, क्योंकि नजदीकी बाज़ार में मांस की मांग ज़्यादा होगी एवं शूकर को खिलाने के लिए होटल, हॉस्टल और मैस आदि से बचा हुआ भोजन भी प्रचुर मात्रा में मिलेगा। शूकर फार्म का स्थान समतल एवं ऊंचा होना चाहिए। पानी की निकासी के लिए समुचित व्यवस्था होना ज़रूरी है। बिजली, पानी, सड़क एवं शूकर की बिक्री के लिए बाज़ार भी हो ताकि प्रबंधन एवं विपणन में सुविधा हो।

ज़मीन की ज़रूरत

क्योंकि शूकर बहु-प्रजनक और तेज़ी से बड़ी संख्या में बढ़ने वाला पशुधन है, अत: ज़मीन/जगह ऐसी हो ताकि बाड़ा या फार्म को भविष्य में बढ़ाया जा सके। शूकर आहार व्यवस्था में अगर हरे चारे जैसे बरसीम, मक्का आदि खिलाने का प्रावधान हो, तो उसके लिए भी ज़मीन चाहिए। फार्म में भंडार, कार्यालय, कर्मचारियों के कमरे और सड़क आदि के लिए भी समुचित जगह हो। तरह-तरह के शूकरों के लिए बाड़ों की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके अलावा 10% जगह ज़्यादा होना ज़रूरी है।

लागत की आवश्यकता

शूकर पालन की तकनीकी और आर्थिक सक्षमता को समझ लेने के बाद, इच्छुक पशुपालक को लागत की व्यवस्था करनी है। यह सबसे महत्वपूर्ण है कि लागत सही समय और सही तरीके से लगाई जाए। अगर अपना पैसा हो, तो ठीक है, नहीं तो सहकारी संस्था या बैंक से ऋण की व्यवस्था की जा सकती है। सार्वजनिक क्षेत्रीय बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक तथा नाबार्ड आदि से शूकर पालन के लिए ऋण मिलते हैं। लघु एवं सीमांत कृषकों एवं भूमिरहित कृषि मजदूरों को इन बैंकों से कम ब्याज दर में ऋण मिल सकता है। सरकार द्वारा विभिन्न विकास कार्यक्रमों के अंतर्गत भी समाज के पिछले वर्ग द्वारा शूकर पालन के लिए ऋण प्रदान करने की व्यवस्था है।

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शूकर फार्म की आर्थिक गुणवत्ता परीक्षण

ऋण लेना उचित है कि नहीं, इसके लिए कुछ परिक्षण आवश्यक हैं। यह परिक्षण मुख्यत: तीन बातों पर आधारित है:

  1. कुल प्राप्ति: शूकर फार्म से हुये सारे उत्पादों की बिक्री से प्राप्त कुल राशि।
  2. ऋण वापसी की क्षमता: फार्म के कुल प्राप्ति से कुछ हिस्सा ऋण की आंशिक वापसी के लिए रखना।
  3. आपदा को सहने की शक्ति: किसी अनदेखी के कारण हुई प्राप्ति की कमी को सह पाना।

किसान भाई और बैंक दोनों को नीचे के तीन प्रश्नों के जवाब जाँचने के बाद ऋण के बारे में उचित निर्णय लेना चाहिए।

  • आम कार्यकारी खर्च से ज़्यादा प्राप्ति होगी?
  • क्या किसान भाई उचित समय में ऋण वापिस करेंगे?
  • क्या किसान भाई सारी आपदायों को झेल पाएंगे?

यदि सभी प्रश्नों के उत्तर ‘हाँ’ हैं, तो ऋण देने या लेने में समस्या नहीं है। और यदि उत्तर ‘न’ है, तो ऋण लेना या देना उचित नहीं होगा।

शूकर फार्म प्रबंधन

शूकर पालन व्यवसाय में सबसे महत्वपूर्ण है शूकर की देख-रेख, रख-रखाव और फार्म का सही प्रबंधन, फार्म में शूकर रखने से बहुत पहले ही यह प्रबंधन शुरू हो जाता है। एक अच्छी रूपरेखा एक लाभदायक शूकर पालन व्यवसाय के लिए अच्छी नींव है, उस रूपरेखा के अनुसार अच्छे शूकर फार्म प्रबंधन से उचित आय प्राप्त की जा सकती है। इसलिए शूकर की नस्लें, आहार, बाड़ा, दवाई, फार्म उपकरणों तथा श्रमिक आदि की विशेष व्यवस्था करने से इस व्यवसाय में ज़्यादा लाभ उठाया जा सकता है। स्थानीय अवस्था के अनुसार समुचित नस्लें/संकर नस्लों के शूकर चुनकर उन्हें सस्ता, पौष्टिक और भरपूर खाना देने से अधिकतम शारीरिक भार वृद्धि दर प्राप्त की जा सकती है। बाड़े में शूकर को ज़्यादा से ज़्यादा आराम मिलना तथा उस के स्वास्थ्य पर कम से कम हानिकारक प्रभाव पड़ना तय करना चाहिए। इससे शूकरों के उत्पादन पर असर नहीं पड़ेगा। शूकर की विभिन्न शारीरिक अवस्थायों पर उसके बाड़े की ज़रूरत भी विभिन्न होती है, जैसे बढ़ते (ग्रोअर), प्रसूति, दुग्ध विमुक्त शावक, नर, नई शूकरी, बिना बच्चों के शूकरी आदि। समुचित टीकाकरण, उपचार तथा निदान/बचाव व्यवस्था अपनाकर बीमारी और अंत: तथा बाह्य परजीवियों से शूकर को बचाया जाये। पुराने/वयस्क शूकर को नए शूकर से नियमित रूप से बदलना और उसके लिए सही शूकर का चुनाव और आर्थिक रूप से अनुत्पादक शूकरों को फार्म से निकाल कर बाज़ार में बेचना आदि बहुत महत्वपूर्ण बातें हैं। सिर्फ पालना और बाज़ार में बिक्री करना है या अपने फार्म में शूकर प्रजनन भी कराना है, यह बहुत पहले से ही तय हो जाना चाहिए। इस व्यवस्था से उचित/अधिक लाभ उठाने हेतु बाज़ार में मांस की मांग व समय को देखते हुये अपने शूकरों में प्रजनन कराना चाहिए।

आधुनिक तथा सुप्रतिष्ठित वैज्ञानिक शूकर प्रबंधन की विधि एवं प्रणाली अपनाकर अधिकतम लाभ उठाना आवश्यक है। ऐसी कुछ विधियाँ और पद्धतियाँ नीचे दी जा रही हैं:

बाड़ा प्रबंधन

  • शूकर बाड़ा शुष्क और ऊंची जगह पर बनाएँ।
  • जहां पर पानी जमा हो जाता हो, ऐसे स्थान का चुनाव न करें।
  • दीवारों पर प्लास्टर हो ताकि सीलन न आ सके।
  • छत की ऊंचाई 8-10 फुट हो।
  • शूकर बाड़ा हवादार हो।
  • फर्श सख्त, समतल तथा समुचित ढाल युक्त हो और ऐसा खुरदरा हो कि शूकर न फ़ीसले।
  • नांद की लंबाई एक से डेढ़ फुट प्रति शूकर हो। खाने की नांद, निकासी तथा दीवार के कोने गोल हों ताकि आसानी से साफ हो जाएँ।
  • छायायुक्त जगह से दुगनी खुली हुई जगह दें।
  • शूकरों हेतु अच्छे व्यायाम का प्रबंध करें।
  • गर्मी के मौसम में छाया तथा ठंडे पानी का प्रबंध करें।
  • मलमूत्र की सफाई अच्छी तरह से हो ताकि बीमारी न फैले।
  • नर शूकर तथा दुग्धवती शूकरी को एक बाड़ें में एक-एक रखें।
  • दुग्ध विमुक्त शावक व बिना बच्चे वाली शूकरी को समूह में रखें।
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प्रजनन हेतु शूकर का चयन

  • किसी विश्वसनीय फार्म से या स्थानीय बाज़ार से अच्छी नस्ल का शूकर खरीदें। सरकारी फार्म अथवा शोध संस्थानों से जुड़े फार्म से खरीदना शुरुआत के लिए अच्छा होता है।
  • स्वस्थ शूकर जोकि विदेशी या संकर नस्ल का हो, इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए सर्वोत्तम है।
  • वंश तालिका या पशु चिकित्सक द्वारा परीक्षण से पता चलता है कि कौन सी नई शूकरी/मादा ज़्यादा बच्चे देने वाली होगी और किस शूकरी के बच्चे जल्द बढ़ेंगे, उसी के अनुसार ही शूकरियों का चयन करें।
  • 6-8 सप्ताह आयु के, दुग्ध विमुक्त शावक खरीदें। प्रजनन के लिए नर व मादा का अनुपात 1:10 होना चाहिए।
  • अपने शूकर की कोई पहचान बनाएँ, कान में या शरीर पर अलग-अलग चिह्न या नम्बर दे सकते हैं।
  • खरीदने के बाद अपने शूकरों का टीकाकरण करें।
  • 15 दिन तक खरीदे हुये नए शूकरों को फार्म व अन्य शूकरों से अलग रखें और उनका ठीक तरह से परीक्षण करें ताकि कोई बीमारी शूकर फार्म में न आ पाये।
  • शुरू करने के लिए छोटा फार्म ही सही है जैसे 1 नर व 5 मादा।
  • शूकर दो बार में खरीदें, 6 माह के अंतराल पर।
  • समुचित उपाय द्वारा शूकर अपने फार्म से निकालें और नए शूकरों से वयस्क शूकरों को बदलें।
  • शूकरी को 4-5 ब्यान्त के बाद फार्म से निकाल दें।

आहार प्रबंधन

  • सर्वोत्तम शूकर आहार खिलाएँ।
  • आहार में पर्याप्त मात्रा में दाना दें।
  • पर्याप्त विटामिन व खनिज पदार्थ शूकर आहार में ज़रूरी है।
  • पर्याप्त स्वच्छ पानी पिलाएँ।
  • शावकों को जन्म के 14 दिन बाद एक विशेष बाड़े में रखकर दूध के साथ क्रीप राशन तब तक दें जब तक उन्हें दूध विमुक्त न कर दिया जाए।
  • बयान्त में ज़्यादा बच्चे मिलने के लिए गर्भवती शूकरी को अच्छा राशन पर्याप्त मात्रा में दें।
  • दुग्धवती शूकरी को उसके बच्चों की संख्या, शारीरिक भार, आकार व उम्र के हिसाब से खिलाना चाहिए।
  • उत्पादन मूल्य कम करने के लिए हॉटेल, हॉस्टल या मैस आदि से बचा हुया खाना शूकर को खिलाएँ।

बीमारी से बचाव/रोकथाम

  • रोगों के लक्षणों के लिए सदा सतर्क रहें।
  • कोई भी बीमारी के संदेह होने पर तुरंत नजदीकी पशु-चिकित्सक से संपर्क करें।
  • स्थानीय व साधारण बीमारियों की रोकथाम का प्रबंध करें।
  • कोई संक्रामक रोग फैलना शुरू होने पर बीमार शूकरों को स्वस्थ शूकरों से अलग रखें तथा रोग की रोकथाम का उचित प्रबंध करें।
  • नियमित रूप से शूकरों को पेट के कीड़े मारने की दवाई दें।
  • दिन में 2-3 बार शूकर बाड़े की सफाई करें।
  • नियमित रूप से शूकर का टीकाकरण कराएं।

प्रजनन प्रबंध

  • शकूर एक बहु-प्रजनक पशुधन है। इसका साल में दो ब्यान्त के लिए उचित प्रबंध करें ।
  • एक नर प्रति 10 मादा रखें ताकि अच्छी ब्यान्त मिलें।
  • शूकरी को गर्मी में आने के 12-24 घंटे बाद प्रजनन कराएं।
  • नर को सिर्फ प्रजनन के वक़्त ही पर्याप्त आहार दें। अन्य समय उसे कम राशन दें।
  • गर्मी देखने के लिए उसे अच्छे टीज़र का इस्तेमाल करें।
  • एक बार पशु के गर्म होने पर दो बाद प्रजनन कराएं।
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गर्भकाल में प्रबंध

  • अच्छा राशन पर्याप्त मात्रा में प्रदान करें।
  • जगह के अनुसार एक बाड़े में 4-5 शूकरी रखें तथा उन्हें साफ स्वच्छ पीने का पानी दें।
  • शूकरी का गर्भकाल 112-114 दिन का होता है। ब्यान्त से 7-14 दिन पहले गर्भवती शूकरी को ब्यान्त के लिए बाड़े में ले जाएँ। इससे पहले उस बाड़े की अच्छी तरह से सफाई कराएं।
  • जाड़े या गर्मी में उचित बाड़ा प्रबंधन करें।

शावकों की देखभाल           

  • नए शूकर बच्चे की नाल काटकर टिंचर आयोडीन लगाएँ।
  • नुकीले दाँत जन्म के तुरंत बाद काट देने चाहिएँ, वहाँ पर फिटकरी का घोल लगाएँ।
  • माँ शूकरी का दूध 6-8 सप्ताह तक ही दें, साथ-साथ क्रीप राशन देना आवश्यक है।
  • ठंड व गर्मी से बचाव के उचित प्रबंध करें।
  • नियम के अनुसार टीकाकारण कराएं।
  • शावकों के अनीमिया रोकने के लिए लौह तत्व की कमी को पूरा करे। इस के लिए एक मि.ली. इंफेरोन का इंजेक्शन लगाएँ।
  • अगर प्रजनन हेतु बेचना हो , तो बच्चे की देख-रेख अच्छी होनी चाहिए।
  • नर बच्चे, जो प्रजनन के लिए नहीं चुने गए हों, उनका बधियाकरण किया जाए।
  • बच्चे की अच्छी वृद्धि दर के लिए माँ को सही पोषण दें।

विपणन

शूकर फार्म से साधारणत: प्रजनन हेतु बच्चे, वध योग्य शूकर तथा व्यस्क शूकर बाज़ार भेजे जाते हैं। पशुपालक अगर 2-3 माह आयु के शावक को बिक्री करे, तो जल्दी आय प्राप्ति होगी और उसके लिए अच्छी नस्ल का अच्छा शूकर पालना ज़रूरी है। बाज़ार में कैसी मांग है, उस पर निर्भर करता है कि प्रजनन हेतु शूकर पालें या मांस के लिए वध योग्य शूकर उत्पादन किया जाए।

निष्कर्ष में शूकर फार्म शुरू करते समय फार्म का आकार और उत्पाद के बारे में विशेष ध्यान देना चाहिए। शूकर उत्पादन के विभिन्न कारकों जैसे भूमि, श्रमिक, लागत या ऋण आदि के उपयुक्त प्रबंधन से ही इस व्यवसाय को अति लाभदायक बनाया जा सकता है। उन्नत नस्ल का चयन, सस्ते किन्तु संतुलित आहार प्रदान करना, आरामदायक बाड़े में रखना तथा पर्याप्त स्वास्थ्य प्रबंधन से ही शूकर पालन व्यवसाय में उपयुक्त लाभ उठाया जा सकता है। इस व्यवसाय को चलाने या बढ़ाने हेतु समय-समय पर आर्थिक आकलन करते रहना आवश्यक है।

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