पशुओं की बीमारियाँ

कोविड-19 के संक्रमण काल के अंतर्गत, पशुपालकों हेतु कोविड-19 से बचाव हेतु महत्वपूर्ण दिशा निर्देश/ सलाह

पशु आवास गृह में आगंतुकों के आवागमन को प्रतिबंधित करें। पशुशाला में कर्मचारियों की संख्या कम रखें। पशुपालकों को पशु आवास गृह में जाने से पूर्व मुंह पर मास्क पहनना चाहिए। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं के सामान्य रोग एवं उनका प्राथमिक उपचार

बुखार- लक्षण: मुंह,नथुने,शरीर,कान  ठंडा साथ में नाक से गर्म हवा निकलती है। थूथन शुष्क होता है। अधिक ताप बढ़ जाने पर पशु हॉफने लगता है।  >>>

डेरी पालन

दुधारू पशुओं में वर्गीकृत वीर्य / लिंग निर्धारित वीर्य/ सेक्स सीमेन एवं उसके उपयोग से प्रजनन क्रांति

पशुपालकों की इच्छा के अनुरूप संतति प्राप्ति हेतु कृत्रिम गर्भाधान में उपयोग किए जाने वाले वीर्य को सेक्सड सीमेन कहा जाता है। प्रायः कृत्रिम गर्भाधान में सामान्य वीर्य के उपयोग से 50% नर तथा 50% मादा संतति उत्पन्न होती है परंतु वर्गीकृत वीर्य के उपयोग से 90% मादा तथा 10% नर संतति उत्पन्न होती हैं। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

असामान्य या कठिन प्रसव (डिस्टोकिया) के कारण एवं उसका उपचार

ब्याने के समय मां स्वयं बच्चे को बाहर नहीं निकाल पाए और बच्चा बीच में ही फंस जाए तो इसे कठिन प्रसव (Dystocia) कहते हैं। ब्याने की तीन अवस्थाएं होती हैं >>>

पशुपालन

ग्रामीण महिलाओं का सशक्तिकरण क्यों और कैसे किया जाए

देश के संपूर्ण सामाजिक एवं आर्थिक विकास में महिलाओं के सशक्तिकरण की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। अनेक अध्ययनों द्वारा भी यह सिद्ध हो चुका है कि महिलाओं की विशेष कर ग्रामीण महिलाओं की देश के विकास में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। कुछ वर्षों पूर्व तक महिलाओं के योगदान को काफी हद तक नजरअंदाज किया जाता रहा है परंतु विगत दिनों के सर्वेक्षणों, अनुसंधानों के परिणामों से यह तथ्य सामने आया है कि कृषि के क्षेत्र जो कि भारत की जीडीपी अर्थात सकल घरेलू उत्पाद मे लगभग 17.2% एवं पशुपालन4.9%योगदान दे रहा है। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पालतू पशुओं में मुख्य विषाक्तताओं के कारण एवं निवारण

जब किसी स्वस्थ पशु की आकस्मिक मृत्यु होती है तो उसमें विषाक्तता का संदेह उत्पन्न होता है। यह विषाक्तता कोई जहरीला रसायन खाने से अथवा चारे के साथ जहरीले पौधे खाने से होता है। पशुपालकों को मुख्य विषाक्तताओं की जानकारी होना आवश्यक है ताकि वे अपने पशुओं का इनसे बचाव कर सकें। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

कुत्तों में बबेसियोसिस रोग के कारण, लक्षण एवं उपचार

कुत्तों में बबेसियोसिस, रोग किलनी बुखार के नाम से भी प्रसिद्ध है, जो कुत्तों के रक्त के लाल रक्त कणों में रक्त प्रोटोजोआ की उपस्थिति के कारण होता है। >>>

भेड़ बकरी पालन

बकरी पालन एक लाभकारी व्यवसाय

बकरी पालन व्यवसाय सबसे प्राचीनतम व्यवसायों में से एक है। महात्मा गांधी ने बकरी को गरीब की गाय कहा था इसमें कोई संशय नहीं है। इसे थोड़ी सी पूंजी लगाकर व्यवसाय प्रारंभ किया जा सकता है >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में होने वाले दुग्ध ज्वर के कारण, लक्षण, उपचार एवं बचाव

दुग्ध ज्वर एक चपापचई रोग है जो गाय भैंस में ब्याने के 2 से 3 दिनों के अंदर ही होता है परंतु ब्याने के पूर्व या अधिकतम उत्पादन के समय भी हो सकता है। पशु के रक्त में और मांसपेशियों में कैल्शियम की भारी कमी इसका मुख्य कारण होता है। शरीर में रक्त का प्रवाह काफी कम व धीमा हो जाता है अंत में पशु काफी सुस्त होकर लगभग बेहोशी की अवस्था में चला जाता है। >>>

डेरी पालन

गाय की उत्पादन क्षमता में वृद्धि हेतु प्रतिवर्ष एक बच्चा प्राप्त करने हेतु सलाह

अपनी  गाय से प्रतिवर्ष एक बच्चा एवं भैंस से हर 13 महीने पर एक बच्चा प्राप्त करने के लिए और अत्यधिक दुग्ध उत्पादन हेतु पशुपालक बंधु निम्न बिंदुओं पर ध्यान दें >>>

पशुओं की बीमारियाँ

गाय की चेचक/ माता/ गो मसूरी, कारण, लक्षण एवं बचाव

इस बीमारी को वैक्सीनिया या वेरीओला भी कहते हैं। यह एक घातक, संक्रामक  एवं छूत का रोग है। यह प्रायः  दूध देने वाली  गायों  एवं भैंसों में अधिक पाया जाता है इस रोग में शरीर की त्वचा पर विशेष प्रकार के फफोले उत्पन्न हो जाते हैं और थन तथा अयन पर दाने निकल आते हैं जो बाद में फूटकर घाव बन जाते हैं। >>>

पशुपालन

गर्मियों में पशुओं पर शीतलन प्रणाली का प्रभाव

पशु का शारीरिक तापमान, जब उनके सामान्य शारीरिक तापमान से अधिक हो जाता है, तब वे गर्मी अनुभव करते है। गर्मी में उत्पन्न तनाव के दौरान, पशुओं के लिये सामान्य दूध उत्पादन या प्रजनन क्षमता बनाये रखना मुश्किल होता है। गर्मी तनाव के समय पशु अपने शारीरिक समायोजन द्वारा शरीर का तापमान नियमित बनाये रखते हैं। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NADCP) का उद्देश्य, पशुपालकों की आमदनी दोगुना करना

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 11 सितंबर 2019 को उत्तर प्रदेश के पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय  एवं गो-अनुसंधान संस्थान मथुरा में  राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम का इस उद्देश्य के साथ शुभारंभ किया था, कि खुरपका मुंह पका रोग अर्थात एफएमडी और संक्रामक गर्भपात अर्थात ब्रूसेलोसिस जैसी पशुओं की अति खतरनाक बीमारियों का समूल उन्मूलन किया जा सके। >>>