पशुओं में एसपाईरेट्री/ ड्रेंचिंग न्यूमोनिया: कारण एवं निवारण
अपने देश भारत में पशुओं की छोटी बड़ी बीमारियों में पशु पालकों द्वारा बांस की नाल, रबड़ की नली, लकड़ी या कांच की बोतल इत्यादि के द्वारा देसी दवाइयां पिलाना एक आम बात है। >>>
अपने देश भारत में पशुओं की छोटी बड़ी बीमारियों में पशु पालकों द्वारा बांस की नाल, रबड़ की नली, लकड़ी या कांच की बोतल इत्यादि के द्वारा देसी दवाइयां पिलाना एक आम बात है। >>>
दुधारू पशुओं के उचित पोषण के लिए हमें संतुलित आहार के साथ-साथ आहार की उपलब्धता बढ़ाने की कुछ नई तकनीक जैसे बाई-पास वसा एवं बाई-पास प्रोटीन तकनीक का उपयोग कर हम दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है। >>>
सामान्यता एक वयस्क पशु को प्रतिदिन 6 किलो सूखा चारा और 15 से 20 किलो तक हरा चारा खिलाना चाहिए। फलीदार और बिना फलीदार हरे चारे को समान अनुपात में मिलाकर खिलाना चाहिए। >>>
जैव प्रबंधन एक ऐसी क्रिया है जिसके द्वारा फार्म में पाले जा रही मुर्गियों को बीमारी उत्पन्न करने वाले कारको जैसे जीवाणु, विषाणु, कवक इत्यादि को प्रवेश करने से ही रोक दिया जाता है एवं जैव सुरक्षा उपायों का अपनाने मात्र से ही मुर्गियों मे पनपने वाली अधिकांश बीमारियों से निजात पा सकते है। >>>
राज्य सरकार किसानों की पसंद के अनुरूप उन्हें प्रोत्साहित करना चाहती है। उनकी पूर्व की आमदनी को बढ़ाना हमारी सरकार की प्राथमिकता है। >>>
थनैला रोग मुख्य रूप से जीवाणु जनित होता है परंतु भारत में कभी-कभी गाय एवं भैंस मैं कवक के द्वारा भी थनैला रोग हो जाता है। >>>
एवियन इनफ्लुएंजा/ बर्ड फ्लू स्वाइन फ्लू एवं रेबीज इत्यादि विभिन्न ऐसे संक्रामक रोग है जो कि पशुओं से मनुष्यों में फैलते हैं इस प्रकार से पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाले रोगों को पशु जन्य रोग या जूनोटिक रोग कहते हैं। >>>
थनैला दुधारू गाय, भैंस एवं बकरी के अयन की एक मुख्य संक्रामक बीमारी है। जिन देशों में डेरी व्यवसाय बहुत उन्नतशील होता है वहां इस रोग से अधिक हानि होती है। >>>
कृषि आधारित भारतीय अर्थव्यवस्था में केन्द्र सरकार किसानों की आय दोगुनी करने हेतु अनेक सराहनीय कार्य कर रही है इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से पशु पालक किसान अपनी आय में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकता है। >>>
पशु समूह से बीमार पशु को अलग रखकर उसकी चिकित्सा एवं देखभाल करनी चाहिए। इन बीमार पशुओं के लिए अलग से परिचर हो तो अधिक उत्तम होगा अन्यथा की स्थिति में पहले स्वस्थ पशुओं की देखभाल करने के पश्चात बीमार पशु की देखभाल करनी चाहिए। >>>
यह लगभग सभी पशुओं में पाया जाने वाला अति गंभीर संक्रामक रोग है। जो ट्रिपैनोसोमा इवेनसाई नामक प्रोटोजोआ के कारण फैलता है। इस रोग में रोगी को तीव्र बुखार, रक्ताल्पता अर्थात एनीमिया व पशु शारीरिक रूप से काफी कमजोर हो जाता है। >>>
दिसंबर माह में पशुपालन के महत्वपूर्ण कार्यों का विवरण >>>
माननीय मंत्री ने कहा की पशुपालन, मत्स्यपालन, डेयरी और इनसे जुड़े क्षेत्र में बहुत काम किया जाना है, मुझे जो ज़िम्मेदारी दी गयी है इसपर मैं अपना शत-प्रतिशत दूँगा और विभाग को बेहतर बनाने के लिए मैं कृतसंकल्पित हूँ। >>>
पशुपालन से ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त करने हेतु पशुओं का उचित समय पर गाभिन होना अत्यन्त आवश्यक है। पशुपालकों को इसी बात का सर्वाधिक ध्यान रखना चाहिए। >>>