पशुपालन

दुधारू गायों और भैंसों में प्रसवोत्तर 100 दिन का महत्व

पशुपालकों के लिए गाय/भैंस के ब्याने के बाद (प्रसवोत्तर) 100 दिन की अवधि अत्यंत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इन्हीं दिनों में डेयरी व्यवसाय से होने वाले लाभ का निर्धारण होता है। इन 100 दिनों में पशु >>>

पशुओं की बीमारियाँ

ब्याने के बाद हीमोग्लोबिनुरिया/ लाल पानी/ लहूमूतना एक खतरनाक बीमारी

स्वस्थ व अधिक दूध देने वाली गायों एवं भैंसों मे हिमोग्लोबिनुरिया एक प्रमुख रोग है जिसे हाइपोफॉसफेटीमिया भी कहते हैं। यह एक उपापचयी रोग है जिसमें रक्त का हीमोग्लोबिन अधिक टूट जाने व नष्ट होने से वह >>>

पशुपालन

पशुपालन एवं डेयरी विभाग हरियाणा द्वारा संचालित पशुपालक हितैषी योजनाएं

दशकों से पशुपालन एवं डेयरिंग विभाग, हरियाणा ने पशुपालन व्यवसाय से जुड़े लोगों को लाभ पहुचाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं को लागू किया है। समाज व राष्ट्र की सामाजिक व आर्थिक स्थिती सुधारने >>>

डेरी पालन

स्वच्छ दुग्ध उत्पादन (Clean Milk Production)

स्वच्छ दुग्ध उत्पादन (Clean Milk Production) दूध एक सम्पूर्ण आहार है जिसका जीवनकाल अल्प अवधि का होता है। दूध किसी भी जीव के लिए एक पौष्टिक आहार है। यदि दूध में जीवाणुओं की संख्या ज्यादा होती है >>>

डेरी पालन

देशी घी के रंग को प्रभावित करने वाले कारक

खाद्य पदार्थों की पसंद को प्रभावित करने वाले कारकों में से उनके रंगों का महत्वपूर्ण स्थान है। दूध के संवेदी गुण जैसे कि दिखावट, बनावट, रंग, स्वाद और सुगंध आदि उत्पाद की गुणवत्ता और उपभोक्ता स्वीकृति >>>

पशुओं की बीमारियाँ

बैकयार्ड पोल्ट्री/ शूकर से मनुष्यों में फैलने वाली पशु जन्य/जूनोटिक बीमारियों से बचाव हेतु जैव सुरक्षा उपाय

स्वाइन फ्लू एवं बर्ड फ्लू, रेबीज आदि ऐसे संक्रामक रोग हैं ,जो कि पशुओं से मनुष्यों में फैलते हैं ,इस प्रकार से पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाले रोगों को जूनोटिक रोग कहते हैं। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

विभिन्न विषों से, विषाक्त पशुओं के लक्षण तथा उपचार

सायनाइड विषाक्तता- यह विषाक्तता, हाइड्रोसानिक एसिड(HCN) तथा साइनोजेनेटिक पौधों जैसे ज्वार, बाजरा, अलसी सूडान घास तथा मक्का आदि को सूखे की स्थिति में खा लेने से उत्पन्न होती है । ऐसे पेड़ >>>

पशुपोषण

दुधारू पशुओं की उत्पादन क्षमता बढ़ाने हेतु आहार व्यवस्था एवं खनिज मिश्रण का महत्व

सामान्यता एक वयस्क पशु को प्रतिदिन 6 किलो सूखा चारा और 15 से 20 किलो तक हरा चारा खिलाना चाहिए। फलीदार और बिना फलीदार हरे चारे को समान अनुपात में मिलाकर खिलाना चाहिए। हरे चारे की फसल को जब आधी फसल >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में अनुउत्पादकता एवं कम उत्पादकता के कारण एवं निवारण

पशुओं में अनु उत्पादकता एवं कम उत्पादकता के लिए निम्नलिखित कारक मुख्य रूप से जिम्मेदार होते हैं: – संरचनात्मक विकार रोगों के कारण उत्पन्न विकार हार्मोनल विकार पोषण से संबंधित विकार आकस्मिक >>>

डेरी पालन

दुधारू पशुओं का प्रजनन प्रबंध डेयरी व्यवसाय की सफलता का मूल मंत्र

दुधारू पशुओं के समुचित प्रजनन प्रबंध के बिना डेयरी व्यवसाय में लाभ कमाना मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव है।डेयरी व्यवसाय मे सफल प्रजनन व्यवस्था का , अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है, पशुशाला में रहने >>>

भेड़ बकरी पालन

वैज्ञानिक तरीके से भेड़ पालन एक अत्यंत लाभकारी व्यवसाय

हमारे देश भारत में 20 वी पशुगणना के अनुसार 74.26 मिलीयन भेड़ हैं जो पिछली पशु गणना से 14.1% अधिक है। भेड़ का मनुष्य से संबंध आदिकाल से है तथा भेड़ पालन एक प्राचीन व्यवसाय है। भेड़ पालन से ऊन तथा >>>

पशुओं की बीमारियाँ

पशुओं में प्रसवोपरांत होने वाली समस्याएं एवं निदान

पशुपालन कृषि का एक अभिन्न अंग होने के साथ-साथ लघु एवं सीमांत किसानों की आय का प्रमुख स्रोत है जोकि उनके सामाजिक एवं आर्थिक आस्तित्व का आधार हैं। परन्तु पशुओं में प्रसव के उपरांत होने वाली कुछ समस्या >>>

शूकर पालन

बैकयार्ड सूकर पालन स्वरोजगार का एक उत्तम उपाय

सूकर पालन व्यवसाय कम समय में अधिक आमदनी अर्जित करने वाला व्यवसाय है। बढ़ती हुई आबादी के लिए भोजन की व्यवस्था करना अत्यंत आवश्यक है। भोजन के रूप में अनाज एवं मांस, दूध, मछली, अंडे आदि का >>>

पशुपालन

जनवरी माह में पशुपालन कार्यों का विवरण

जनवरी/ पौष माह: पशुओं का शीत अथवा ठंड से समुचित बचाव करें। जैसा कि पिछले अंक में दिसंबर मे पशुपालन कार्यों का विवरण नामक लेख में दिया गया है। 3 माह पूर्व कृत्रिम गर्भाधान कराए गए पशुओं का गर्भ >>>