12 सितंबर 2019: उत्तराखण्ड पशुपालन निदेशालय मे निदेशक, पशुपालन डा.के.के.जोशी की अध्यक्षता मे उत्तराखण्ड के परिपेक्ष मे चारा उत्पादन, संरक्षण एवं भविष्य की चारा योजना के सम्बन्ध में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। डा.के.के.जोशी ने उत्तराखण्ड में चारे के वर्तमान परिदृश्य एवं चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए उसके अनुसार कार्ययोजना बनाने का आह्वान किया।
इस सम्बन्ध मे कार्यशाला मे भारतीय चारा एवं चरागाह अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों डा.ए.के.राय द्वारा उत्तराखंड में चारा संसाधन: प्रौद्योगिकी और संभावनाएं के संबध में जानकारी दी साथ ही उन्होंने उत्तराखण्ड राज्य के लिए चारा नीति बनाने के लिए कार्य योजना के संबध में विचार विमर्श किया।
डा.ऐ.के.दीक्षित ने उत्तराखंड राज्य के लिए उपयुक्त चारे के पैकेज एंड प्रैक्टिसेज विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने उत्तराखण्ड राज्य के लिए उपयुक्त चारा नस्लों के संबध में विस्तार से बताया।
डा.सुदेश रातोद्रा ने चारा संरक्षण और चारा आधारित राशन के संबध में अपने विचार रखते हुए कहा कि चारे को silage और hay बनाकर सरंक्षित किया जा सकता है, तथा चारे की कमी के दिनों में इसका उपयोग करके पशुओं को पौष्टिक चारा उपलब्ध कराया जा सकता है। डॉ सुदेश ने silage और hay बनाने की प्रक्रिया को विस्तार से बताया, साथ ही उन्होंने यूरिया उपचारित चारे की विशेषताएं तथा चारा उपचारित करने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी।
डॉ. सुनील कुमार ने उत्तराखंड राज्य के लिए उपयुक्त चारा उत्पादन के लिए वैकल्पिक भूमि उपयोग प्रणाली के संबध में जानकारी दी। डॉ सुनील ने बताया की पर्वतीय क्षेत्रो में चारा वृक्ष चारे तथा वन वृक्षों की पत्तियां उत्तराखंड में चारे की कमी को कम करने में सहायक साबित हो सकती है। वैज्ञानिकों एवं उत्तराखंड पशुपालन विभाग के अधिकारियों द्वारा चारे के वर्तमान परिदृश्य एवं चुनौतियों पर अपने विचार व्यक्त किये गए। कार्यशाला में पशुपालन विभाग उत्तराखण्ड के अधिकारी उपस्थित रहे।
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