29 नवम्बर 2019: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 11 सितंबर, 2019 को घोषित नीति आयोग द्वारा चिन्हित आकांक्षी जिलों सहित 6,000 चुने गए जिलों को कवर करने वाला राष्ट्रव्यापी कृत्रिम बीजारोपण कार्यक्रम (एनएआईपी) ने गति पकड़ ली है। कृत्रिम बीजारोपण दर लगातार बढ़ रही है और यह दर अब प्रतिदिन 25,000 पशु हो गई है। एनएआईपी अभियान का उद्देश्य सभी नस्ल की गो-जातियों को कवर करना है, ताकि कम लागत की प्रजनन टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए दुग्ध उत्पादन बढ़ाया जा सके। कृत्रिम बीजारोपण के लाभ लगभग तीन वर्ष में दिखते हैं।
तीन महीने से कम समय में 3.8 लाख गो-जातीय पशुओं का बीजारोपण किया गया, 3.7 लाख से अधिक किसानों को लाभ प्राप्त
इस कार्यक्रम के अंतर्गत 29 नवंबर, 2019 तक 3.8 लाख कृत्रिम बीजारोपण का कार्य किया गया है, जिससे 3.7 लाख से अधिक किसानों को लाभ प्राप्त हुआ है।
6 महीने में एक करोड़ से अधिक बीजारोपण तथा पशुओं को उनके कान में ‘पशुआधार’ टैग लगाने का लक्ष्य
कार्यक्रम का उद्देश्य 6 महीनों में एक करोड़ से ऊपर गो-जातियों के बीजारोपण तथा उनके कान में पशुआधार टैग पहनाना है। कृत्रिम बीजारोपण के अंतर्गत सभी गाय और भैंस को पशुधन टैग लगाया जाएगा, ताकि पशु उत्पादकता तथा स्वास्थ्य (आईएनएपीएच) डाटा बेस पर उनकी सूचना देखी जा सके।
भाग लेने वाले 28 राज्यों में से अब तक तेलंगाना, गुजरात, आंध्र प्रदेश शीर्ष पर
कार्यक्रम में शामिल होने वाले 28 राज्यों में से उच्च प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं-तेलंगाना, गुजरात, आंध्र प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड तथा झारखंड। पीछे रहने वाले राज्यों में- छत्तीसगढ़, गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, पंजाब तथा उत्तर प्रदेश हैं। पश्चिम बंगाल में कार्यक्रम अभी शुरू होना है। सिक्किम को छोड़कर पूर्वोत्तर राज्य पीछे हैं और इसमें तेजी लाने की आवश्यकता है। समग्र रूप से चुनिंदा जिलों में कृत्रिम बीजारोपण कवरेज के 18 प्रतिशत से बढ़कर 45 प्रतिशत होने का अनुमान है।
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