भा०कृ०अनु०प० अटारी पटना एवं कलकत्ता की पंचवर्षीय समीक्षा दल की बैठक

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भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद्-अटारी पटना एवं कलकत्ता की पंचवर्षीय समीक्षा दल की बैठक आज बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में हुई। इस बैठक में अध्यक्ष डॉ आर.के सामंता, कुलपति डॉ रामेश्वर सिंह, निदेशक भा०कृ०अनु०प०- आर०सी०ए०आर० डॉ. बी.पि भट्ट, डॉ अंजनी कुमार निदेशक अटारी, पटना, डॉ वाई. वी सिंह, डॉ ऍफ़. एच रहमान, हेड  भा०कृ०अनु०प०- सी०पी०आर०एस०,डीन बिहार वेटनेरी कॉलेज डॉ जेके प्रसाद, विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. एके. ठाकुर, निदेशक छात्र कल्याण डॉ. रमन कुमार त्रिवेदी, केवीके जमुई के डॉ. सुधीर कुमार सिंह, प्रगतिशील महिला किसान व अन्य मौजूद थे।

बैठक में कुलपति डॉ सिंह ने कहा की कृषि विज्ञानं केंद्र को पूरी दुनियां में सराहा जाता है, गुड प्रैक्टिस, बेहतर कृषि तकनीक, नवीनतम खोज को कैसे किसानों तक लेकर जाना है ये कृषि विज्ञान केंद्र ने बखूभी किया है। कृषि क्षेत्र में विकास कैसे हो इसका मॉडल तैयार करने में के0वी0के0 की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, बैठक में उन्होंने सुझाव रखा की ह्यूमन नुट्रिशन को भी मॉडल में रख कर के0वी0के0 के माध्यम से धरातल पर उतरा जा सकता है। उन्होंने आगे कहा की के0वी0के0 में वर्किंग बजट काम होने के कारण काफी समस्या होती है, प्रशिक्षण में अधिक खर्चा होते है इसको देखते हुए फंडिंग को बढ़ाये जाने की जरुरत है। सौ किलोमीटर के अंदर केवीके के रिसोर्स सेण्टर खोले जाने चाहिए। उन्होंने के0वी0के0 जमुई को विश्वविद्यालय में शामिल किये जाने पर  भा० कृ० अनु० प० और राज्य सरकार का आभार प्रकट किया।  भा०कृ०अनु०प०- आर०सी०ए०आर० डॉ. बी.पि भट्ट ने कहा की के0वी0के0 का वर्क लोड काफी बढ़ गया है जिससे कई समस्याएं उत्पन्न हो रही है, वर्क लोड और मैंडेट को डिफाइन करने की जरुरत है, उन्होंने बैठक में सुझाव रखा की फार्मर्स इनोवेशन का डॉक्यूमेंटेशन किया जाये साथ ही राज्य सरकार और केवीके के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करने की जरुरत है।  डॉ अंजनी कुमार निदेशक अटारी, पटना ने कहा की किसान सुझाव दे की के0वी0के0 को कैसे आगे बढ़ाया जाये, उन्होंने बैठक में के0वी0के0 के रिक्त पदों पर नियुक्तियां जल्द करने की बात रखी।

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बैठक में अध्यक्ष डॉ आर.के सामंता ने कहा पुरे भारत में 714 के0वी0के0 है और पुरे बिहार में 68 केवीके है, लोगो को के0वी0के0 के गठन और उदेश्य बारे में बताना जरुरी है साथ ही किसानों के आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने पर जोर देने की जरुरत है। सकारात्मक बदलाव की जा सकती है मगर इसके लिए मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है।

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