पशुओं के उपचार के लिए विभिन्न औषधियां बनाने की विधि तथा उनका उपयोग

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औषधि वह पदार्थ है जिन की निश्चित मात्रा शरीर में निश्चित प्रकार का असर दिखाती है। इनका प्रयोजन चिकित्सा में होता है। किसी भी पदार्थ को औषधि के रूप में प्रयोग करने के लिए उस पदार्थ का गुण, मात्रा अनुसार व्यवहार, शरीर पर विभिन्न मात्राओं में होने वाला प्रभाव आदि की जानकारी अपरिहार्य है। पशुओं के उपचार के लिए कुछ महत्वपूर्ण औषधियां बनाने की विधि तथा उनका उपयोग निम्नलिखित है:

पोटेशियम परमैंगनेट घोल

1% से 4% का घोल एंटीसेप्टिक के रूप में घाव, फोड़े, गैंग्रीन  ओटोरिया, ल्यूकोरिया, मेट्राइटिस तथा वैजीनाइटिस आदि मैं धुलाई के कार्य में प्रयुक्त होता है। सामान्यता साधारण तथा ताजे घाव मुंह के छाले आदि की चिकित्सा एवं हाथों की धुलाई हेतु एक 1:1000 का घोल ही यथेष्ट होता है।

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नॉरमल सलाइन घोल

यह 0.9 प्रतिशत की शक्ति का घोल होता है। इसे बनाने हेतु 9 ग्राम सोडियम क्लोराइड एक फ़लासक में लेकर उसमें आसुत जल को मिलाकर 1 लीटर तक बना लिया जाता है। इसे ऑटोक्लेव द्वारा शोधित कर लिया जाता है। इसका प्रयोग पशु की निर्जलीकरण अवस्था में, ग्लूकोस सलाइन बनाने तथा अन्य कई कार्यों में किया जाता है।

सोडियम थायो सल्फेट(हाइपो)

इसका 20% का घोल पशु की सायनाइड विषाक्तता की चिकित्सा में बहुत ही लाभकारी होता है। इसमें सोडियम नाइट्राइट का 20% का घोल 10 मिलीलीटर अंतः सिरासूचीवेध द्वारा देने के तुरंत बाद हाइपो का 20% का घोल 30 से 40 मिली अंत:सिरासूची वेध द्वारा देकर गौ या महिष वंशीय पशुओं के प्राणों की रक्षा की जाती है।

बोरिक एसिड घोल

बोरिक एसिड का गुलाब जल में 1% का घोल आंखों के दुखने अर्थात कंजेक्टिवाइटिस की चिकित्सा में बड़ा उपयोगी होता है।

लाइम वॉटर

कैल्शियम हाइड्रोक्साइड 10 ग्राम एक फलासक में लेकर उसने पानी मिलाकर 1 लीटर बनाने के पश्चात बार-बार हिला कर बनाया जाता है। इसका उपयोग एंटीसेप्टिक, पैरासिटीसाइड, एंटासिड तथा एसटिृनजेंट के रूप में किया जाता है।

कैरन आयल

इसे लाइम वाटर तथा अलसी के तेल की समान मात्रा को मिलाकर बनाया जाता है। इसका प्रयोग पशु के जलने पर प्रभावित भागों पर लगाकर किया जाता है।

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बोरोग्लिसरीन

इसमें बोरिक एसिड 15 भाग लेकर ग्लिसरीन मिलाकर 100 मिली तक बना लेते हैं।  मुंह में छाले पड़ जाने की चिकित्सा में यह बड़ा लाभकारी होता है।

एलम-कोलीरियम

एलम या फिटकरी का 1% का जलीय घोल मुंह में छाले पड़ जाने या मुंह में घाव आदि की चिकित्सा में प्रयोग किया जाता है।

जिंक मल्हम

जिंक ऑक्साइड 15 भाग तथा वैसलीन 85 भाग विधिवत मिलाकर यह मल्हम बनाया जाता है। इसका उपयोग एग्जिमा तथा अन्य घावों की चिकित्सा में किया जाता है। इस मलहम मैं 1% कार्बोलिक एसिड मिला देने से इसकी उपयोगिता और बढ़ जाती है।

बोरो कैलोमेल

इसमें कैलोमेल एक भाग तथा बोरिक एसिड  आठ भाग मिलाया जाता है। यह पाउडर ओपेसिटी आफ कार्निया यानी आंख में फूली पड़ जाना की चिकित्सा में बहुत लाभकारी है।

टिंचर फेरीपर क्लोराइड

स्ट्रांग सलूशन ऑफ फेरिक क्लोराइड 5 भाग 90% एल्कोहल 25 भाग तथा पानी 50 भाग मिलाकर यह बनाया जाता है। इसका मुख्य उपयोग रक्त के बहाव को बंद करने के लिए किया जाता है।

सल्फर मल्हम

सल्फर सबलीमेट एक भाग तथा वैसलीन 9 भाग मिलाकर इसे बनाया जाता है। इसका प्रयोग दाद खाज खुजली आदि में होता है।

गोल्डन लोशन

सबलाइज्ड सल्फर 1 ग्राम क्विक लाइम 2 भाग पानी 10 भाग मिलाकर धीरे धीरे तब तक गर्म करें जब तक इस का रंग गोल्डन येलो यानी सुनहरा पीला ना हो जाए। इससे दो-तीन दिन तक रखकर छोड़ दें,तत्पश्चात इसे छान लें और खुजली या मेंज की चिकित्सा हेतु इसका प्रयोग करें।

एक्रीफ्लेविन सलूशन

इसका 0.1 से 0.2 प्रतिशत जलीय घोल एंटीसेप्टिक के रूप में घाव ,कटने तथा जलने की चिकित्सा में किया जाता है।

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इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए।

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