सूकर पालन: एक रोजगार उन्मुख व्यवसाय

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भारत में लगभग 70 प्रतिशत आबादी गाँवों में रहती है इसलिए कहा जाता है कि भारत गाँवों में बसता है जहाँ अधिकतर लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती-बाड़ी है। बढ़ती हुई आबादी के कारण प्रति परिवार खेती योग्य भूमि लगातार घटती जा रही है जिससे खेती पर भी अधिक दबाव बढ़ता जा रहा है और ग्रामीण आँचल से आबादी का पलायन शहरों की ओर तेजी से बढ़ रहा है। इसी के साथ बेरोजगारी की समस्या भी तेजी से बढ़ रही है। बढ़ती बेरोजगारी एवं शहरों की ओर बढ़ते पलायन को रोकने के लिए, यह आवश्यक हो जाता है कि गाँवों में ही खेती आधारित रोजगार को बढ़ावा दिया जाए। गाँवों में रोजगार के लिए पशुपालन एक अच्छा व्यवसाय है जिसे अपनाकर ग्रामीण आँचल के लोग अच्छी आमदनी कमा सकते हैं। सूकर पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिससे रोजगार के साथ-साथ अतिरिक्त आर्थिक लाभ भी अर्जित किया जा सकता है। चीन में एक कहावत कही जाती है “अधिक सूकर – अधिक खाद – अधिक अनाज” अर्थात जिसके पास अधिक सुअर हैं उसकी खेती सबसे अच्छी है। भारत में सूकर पालन को अच्छा नहीं माना जाता है और इस व्यवसाय को अच्छी नजर से नहीं देखा जाता है। इसी कारण भारत में इस व्यवसाय को पिछड़ेपन का सामना करना पड़ रहा है। सूकर एक ऐसा पशु है जो जिस स्थान पर रहता है वहाँ न तो गोबर करता है और न ही पेशाब।

सूकर पालन

सूकर पालन, भारत में बहुत से लोगों की आमदनी का अच्छा स्त्रोत रहा है, इसलिए सूकर पालन व्यसायिक दृष्टि से भारतीय लोगों के लिए कृषि से जुड़े व्यवसायों में अच्छा एवं लाभदायक विचारों में से एक हो सकता है। माँस उत्पादन की दृष्टि से वैश्विक स्तर पर सूकरों की अनेक अच्छी नस्लें पायी जाती हैं। इनमें से कुछ ऐसी नस्लें है जो भारत के जलवायु के अनुकूल हैं जिनका सूकर पालन के लिए उद्यमी किसी भी अच्छी नस्ल का चयन करके सूकर पालन शुरू कर सकता है। हालांकि, भारत में कुछ वर्ष पहले तक सूकर पालन व्यवसाय को निम्न दृष्टि से देखा जाता था इसलिए समाज में इस व्यवसाय की अच्छी छवि नहीं थी। लेकिन वर्तमान में सम्पूर्ण परिदृश्य बदलता जा रहा है। इसलिए भारत में इस तरह का यह व्यवसाय केवल आर्थिक रूप से किसी एक वर्ग विशेष तक ही सीमित नहीं रह गया है। क्योंकि वर्तमान में सूकर पालन के आर्थिक मूल्य के प्रति लोग जागरूक हो गए हैं। इसलिए अन्य पशुओं की तरह ही इनका पालन भी किया जाने लगा है। यही कारण है इस व्यवसाय को हीन समझने वाले लोग एवं शिक्षित लोग भी आधुनिक एवं वैज्ञानिक तरीके से सूकर पालन के व्यवसाय से अच्छी आमदनी कमा रहे हैं। वैश्विक स्तर पर सूकर पालन में चीन, रूस, अमरिका, ब्राजील और जर्मनी का अग्रणी स्थान है और जहाँ तक भारत की बात है तो यहाँ भी उत्तर प्रदेश सूकर पालन में अग्रणी स्थान पर है।

प्रमाणिक दस्तावेजों के अनुसार मानव द्वारा सूकर पालन लगभग 10500 वर्ष पूर्व किया गया था। लेकिन कुछ विवरणों के अनुसार लगभग 4900 वर्ष ईसा पूर्व चीन में सूकरों को पालतु बनाया गया था। सूकर पालन का मुख्य उद्देश्य मानव आहार के लिए माँस उत्पादन था। संभवतः इसी काल में भारत तथा अन्य समीपवर्ती देशों में भी माँस उत्पादन के लिए सूकर पालन आरंभ हुआ। ऐसा माना जाता है कि मनुष्य ने जब स्थायी निवास बनाकर रहना शुरू किया तभी से सूकर पालन भी प्रारम्भ हुआ। सूकर स्थान परिवर्तन पसंद नहीं करते हैं। हठी और असहयोगी प्रवृति के होने के कारण घुमन्तू कबिले सूकरों को अपने साथ रखने में सफल नहीं हो पाए। यही कारण है कि घुमन्तू कबिलों के पशुओं में सुअर नहीं होते हैं। प्राचीन भारतीय ग्रंथों में सूकर आखेट की चर्चा मिलती है। सूकर पालन के कुछ संभावित कारण इस प्रकार हैं:

  • सूकर पालन का मुख्य कारण यह है कि इनकी वंशवृद्धि शीघ्रता से होती है और उनसे मानव के उपयोग के लिए पर्याप्त मात्रा में माँस और वसा प्राप्त होती है।
  • सूकरों को झूण्ड में रखकर पालना, चराना, बाड़े में रखना आसान है।
  • सूकर अपने भोजन की तलाश में भूमि को अपने थूथनों से खोद-खोद कर मिट्टी को पोली कर देते हैं जिससे कृषि कार्य आसान हो जाता है।
  • कुछ देशों में सूकर पूजा तथा धार्मिक कृत्यों में काम आने वाला वाला पशु है।
  • फ्रांस में सूकरों को खाने वाले मशरूम तलाश करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
और देखें :  सूअर पालन मादा प्रजनन: एक परिचय

स्विडेन में सूकरों को मिश्रित खेती में फसल चक्र का घटक के रूप में पाला जाता है क्योंकि वहाँ पर इसे कृषि कार्यों में सहयोगी के रूप में उपयोग किया जाता है।

सूअरों की कुछ खास बातें

जरा सोचें कि आपने कितनी बार किसी व्यक्ति को ‘सूकर’ के नाम से संबोधित होते हुए सुना है? वैसे यह बहुत ही आम है। शायद आप इसके बारे में ज्यादा नहीं सोचते हैं लेकिन बताइये कि एक भयानक या बुरे व्यक्ति होने से भला बेचारे सूकर का क्या लेना-देना है? हम सूकरों को ऐसा क्यों समझते हैं?

सूकर वास्तव में पृथ्वी के कुछ सबसे बुद्धिमान, संवेदनशील जानवरों में से एक है। वे कठोर या क्रूर नहीं हैं। वे प्यारे, स्नेही और भले हैं। इन तथ्यों पर विचार करें:

सूकर बुद्धिमान होते हैं

सूकरों को विश्व में पांचवां सबसे बुद्धिमान पशु माना जाता है-कुत्तों की तुलना में और भी बुद्धिमान। वास्तव में, एमी नाम के एक पांच महीने के सुअर के बच्चे को कुत्ते की चपलता वर्ग में “शीर्ष” स्थान दिया गया था। ये वनमानुषों की तुलना में अधिक ध्यान और सफलता के साथ वीडियो गेम खेलने में भी सक्षम हैं।

उनके पास उत्कृष्ट वस्तु-स्थान स्मृति भी है। यदि वे एक स्थान पर गड़बड़ी पाते हैं, तो वे अगली बार उसे ध्यान से देखना याद रखते हैं। सूकरों के पास अत्याधुनिक दिशा-बोध भी होता है। वे बहुत दूर से अपने घर को ढूंढ सकते हैं।

सुअर साफ होते हैं

सूकर “गंदे” नहीं हैं। ये बहुत साफ जानवर हैं। यदि मौका मिले तो, सूकर अपने खाने और सोने की जगह को साफ़ रखते हैं। हाँ, वे कीचड़ में चारों ओर घूमते हैं, लेकिन वे ऐसा केवल गर्म धूप से खुद को शांत रखने के लिए करते हैं। और सच मानिये तो कीचर में सना मुखरा किसे प्यारा नहीं होगा?

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सूकरों में पसीने ग्रन्थियां नहीं होती

पसीने में कुछ भी गलत नहीं है; यह शरीर को विषरहित करने की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है और आपके लिए अच्छा है। लेकिन इंसानों के लिए “सुअर की तरह पसीना” असंभव है। क्योंकि सूकरों के पसीना ग्रंथियां नहीं होती हैं। पसीने की ग्रन्थियां न होने के कारण वातावरण में अधिक गर्मी व नमी होने पर वह हांफने लगते हैं तथा इन्हे पानी की आवश्यकता बढ़ जाती है। स्वयं को गर्मी से शांत रखने के लिए, वे पानी और मिट्टी में लोटते रहते हैं।

सूकर प्रिय होते हैं

सूकर एक सामाजिक और संवेदनशील प्राणी है, जो आनंद, अकेलापन, हताशा, डर और दर्द का अनुभव करते हैं। यदि उन्हें मौका दिया जाता है, तो वे एक-दूसरे के करीब घूमने का आनंद लेते हैं और नाक-से-नाक सटा कर सोना पसंद करते हैं। मादा सुअर अपने बच्चे की देखभाल करते समय उनके लिये गाती भी है।

सूकर सक्रिय प्राणी हैं

जैसा कि यह पता चला है, सूकर आलसी नहीं होते हैं वे सक्रिय होना पसंद करते हैं वास्तव में, एक वयस्क सूकर प्रति घंटे 11 मील प्रति घंटा तक चला सकता है और वे न केवल महान धावक बल्कि एक उत्कृष्ट तैराक भी होते हैं।

इसलिए जब हम कुछ लोगों को ‘सुअर’ कहकर बुलाते हैं, तो हम इन पशुओं के बारे में एक झूठी कहानी को बनाए रखते हैं। और यह, बदले में, लोगों को सूकरों को बुरी तरह से व्यवहार करने का एक बहाना देता है। समय आ गया है कि हम सूकरों को अपमानित करना बंद करें और उनके साथ दया एवं करुणापूर्ण व्यवहार करें जिसके अधिकारी तमाम पशु हैं। पशुओं को प्यार करने का अर्थ उन्हें खाना नहीं होता।

सूअर पालन के लाभ

  • सूकरों में आहार को रूपांतरित करने की उच्च एवं अद्भुत क्षमता होने के कारण अन्य पालतु पशुओं की तुलना में सूकर तीव्र गति से बढ़ते है। इसका अर्थ है कि सूकरों के पास अन्य पशुओं की तुलना में आहार के अधिक विकल्प हैं। ये सभी प्रकार के निष्क्रिय भोजन, अनाज, क्षतिग्रस्त भोजन, यहाँ तक कि कचरे इत्यादि को भी पौष्टिक एवं स्वादिष्ट माँस में परिवर्तित कर सकते हैं।
  • सूकर लगभग सभी प्रकार के आहार जैसे कि क्षतिग्रस्त अनाज, चारा, फल, सब्जियाँ, कचरा, गन्ना इत्यादि खा लेते हैं। और यहाँ तक कि कभी-कभी ये हरे घास की पत्तियाँ, पौधे या जड़ें भी खा लेते हैं। अतः सूकरों को पालने में अधिक खर्च नहीं आता है।
  • अन्य पशुओं की तुलना में सूकर बहुत जल्दी परिपक्व हो जाते हैं। 8-9 महीने के आयु में ही सूकर बच्चे पैदा करने योग्य हो जाते हैं। ये साल में दो बार गर्भधारण कर सकते हैं और प्रत्येक प्रसव में 8 – 12 बच्चों को जन्म देते हैं।
  • सूकर पालन सरल होने के साथ-साथ किफायती भी है अर्थात इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए बहुत कम कम पूँजी की आवश्यतकता होती है। जमीन अपनी हो तो व्यक्ति छप्पर डालकर और कुछ उपकरण खरीदकर सूकर पालन को बहुत कम लागत के साथ शुरू कर सकता है।
  • सूकर का माँस पौष्टिक एवं स्वादिष्ट माँसों में से एक है। इसमें वसा एवं ऊर्जा ज्यादा होती है और जल की मात्रा कम होती है।
  • सूकर फार्म से उत्पादित खाद व्यापक रूप से उपयोग में लायी जाने वाली उर्वरक है। उद्यमी चाहे तो इसे खेतों में फसल उत्पादन के लिए या फिर तालाबों में मछली पालन करने के उद्देश्य के लिए उपयोग कर सकते हैं।
  • सूकर की चर्बी की माँग अनेकों उद्योगों जैसे पोल्ट्री फीड, साबुन और रासायनिक उद्योगों में बहुत ज्यादा होती है जो समय के साथ और अधिक बढ़ती जा रही है।
  • अन्य पशुओं की तुलना में सूकर जल्दी से विकसित होते हैं, इसलिए 7-9 महीने की आयु में ही इनका भार 70-110 कि.ग्रा. हो सकता है। यही कारण है कि सूकर व्यवसाय से अच्छी कमाई की उम्मीद की जा सकती है।
  • यद्यपि सूकर के माँस की घरेलू बाजार में भी अच्छी माँग है लेकिन सूकर उत्पादों जैसे कि बेकन, हैम, लॉर्ड, पोर्क, सॉसेज इत्यादि का विदेशों की ओर निर्यात करके भी अच्छी आमदनी की जा सकती है।
  • सूकर उद्योग में पशुओं को विभिनन वर्ग के रूप में जैसे कि पिग्लेट्स, गिल्ट, प्रसवकालिन सूअरी, नर सूकर और खस्सी सूकर अच्छे दामों पर बेचे जा सकते हैं।
  • सूकर पालन छोटे एवं भूमिहीन किसानों, बेरोजगार या अशिक्षित युवा लोगों और महिलाओं के लिए एक अच्छा आमदनी का स्त्रोत हो सकता है।
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