पशुओं की बीमारियाँ

लम्पी स्किन डिजीज (LSD)- गांठदार त्वचा रोग

लम्पी स्किन डिजीज Lumpy Skin Disease (LSD) या गांठदार त्वचा रोग (एलएसडी) एक संक्रामक रोग है जो पॉक्सविरिडी के कारण होता है, जिसे नीथलिंग वायरस के रूप में भी जाना जाता है। यह जानवरों के बीच सीधे संपर्क द्वारा, आर्थ्रोपोड वैक्टर (मक्खियों, मच्छरों, जूं) के माध्यम से फैलता है। इस बीमारी के कारण पशुपालन उद्योग को दूध की पैदावार में कमी, गायों और सांडों के बीच प्रजनन क्षमता में कमी, गर्भपात, क्षतिग्रस्त त्वचा और खाल, वजन में कमी या वृद्धि और असामयिक मृत्यु होती है। >>>

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गायों-भैंसों में योनि बाहर निकलने की समस्या एवं घरेलु उपचार

मादा गायों एवं भैंसों में योनि का शरीर से बाहर निकलना, पशुओं के लिये तो बहुत ही कष्टदायी होता है जबकि पशुपालकों को भी अपने पशु के इलाज के लिए बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। आमतौर पर इस समस्या को शरीर दिखाना, पीछा निकालना, फूल दिखाना, गात दिखाना इत्यादि कहा जाता है लेकिन शाब्दिक रूप से इस समस्या को योनि भ्रंश कहते हैं। >>>

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पशुधन के प्रति अमानवीय व्यवहार, क्रूरता तथा संगरोध हेतु सुरक्षा अधिनियम एवं कानून

कई बार ऐसा होता है कि पशुपालक, पशु की मौलिक आवश्यकता एवं क्षमता को नज़र अंदाज़ करके लगातार उसका उपयोग उत्पादन लेने एवं खेती संबंधी कार्य करने में लगा रहता है। पशु के प्रति ऐसा व्यवहार करने से पशु के उत्पादन एवं उसकी कार्यक्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है जिसके कारण पशु बीमार रहने लगता है और अंतत: पशु की मृत्यु हो जाती है। >>>

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पशुओं में गर्भपातः कारण एवं निवारण

मृत अथवा 24 घंटे से कम समय तक जीवित भ्रूण का गर्भकाल पूर्ण होने के पूर्व गर्भाशय से बाहर निकलना गर्भपात कहलाता है। गर्भपात गर्भकाल के किसी भी समय विभिन्न कारकों के कारण हो सकता है। यद्यपि भैंसों मे गर्भपात की औसत (2-3 प्रतिशत) गायों (4.72 प्रतिशत) की अपेक्षा कम पाई गयी है, पर यह भैंसों में प्रजननहीनता का एक प्रमुख कारण हो सकता है तथा पशुपालकों के आर्थिक पक्ष पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। >>>

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पशुओं के सामान्य रोग एवं उनका प्राथमिक उपचार

बुखार- लक्षण: मुंह,नथुने,शरीर,कान  ठंडा साथ में नाक से गर्म हवा निकलती है। थूथन शुष्क होता है। अधिक ताप बढ़ जाने पर पशु हॉफने लगता है।  >>>

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असामान्य या कठिन प्रसव (डिस्टोकिया) के कारण एवं उसका उपचार

ब्याने के समय मां स्वयं बच्चे को बाहर नहीं निकाल पाए और बच्चा बीच में ही फंस जाए तो इसे कठिन प्रसव (Dystocia) कहते हैं। ब्याने की तीन अवस्थाएं होती हैं >>>

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पालतू पशुओं में मुख्य विषाक्तताओं के कारण एवं निवारण

जब किसी स्वस्थ पशु की आकस्मिक मृत्यु होती है तो उसमें विषाक्तता का संदेह उत्पन्न होता है। यह विषाक्तता कोई जहरीला रसायन खाने से अथवा चारे के साथ जहरीले पौधे खाने से होता है। पशुपालकों को मुख्य विषाक्तताओं की जानकारी होना आवश्यक है ताकि वे अपने पशुओं का इनसे बचाव कर सकें। >>>

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कुत्तों में बबेसियोसिस रोग के कारण, लक्षण एवं उपचार

कुत्तों में बबेसियोसिस, रोग किलनी बुखार के नाम से भी प्रसिद्ध है, जो कुत्तों के रक्त के लाल रक्त कणों में रक्त प्रोटोजोआ की उपस्थिति के कारण होता है। >>>

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पशुओं में होने वाले दुग्ध ज्वर के कारण, लक्षण, उपचार एवं बचाव

दुग्ध ज्वर एक चपापचई रोग है जो गाय भैंस में ब्याने के 2 से 3 दिनों के अंदर ही होता है परंतु ब्याने के पूर्व या अधिकतम उत्पादन के समय भी हो सकता है। पशु के रक्त में और मांसपेशियों में कैल्शियम की भारी कमी इसका मुख्य कारण होता है। शरीर में रक्त का प्रवाह काफी कम व धीमा हो जाता है अंत में पशु काफी सुस्त होकर लगभग बेहोशी की अवस्था में चला जाता है। >>>

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गाय की चेचक/ माता/ गो मसूरी, कारण, लक्षण एवं बचाव

इस बीमारी को वैक्सीनिया या वेरीओला भी कहते हैं। यह एक घातक, संक्रामक  एवं छूत का रोग है। यह प्रायः  दूध देने वाली  गायों  एवं भैंसों में अधिक पाया जाता है इस रोग में शरीर की त्वचा पर विशेष प्रकार के फफोले उत्पन्न हो जाते हैं और थन तथा अयन पर दाने निकल आते हैं जो बाद में फूटकर घाव बन जाते हैं। >>>

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राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NADCP) का उद्देश्य, पशुपालकों की आमदनी दोगुना करना

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 11 सितंबर 2019 को उत्तर प्रदेश के पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय  एवं गो-अनुसंधान संस्थान मथुरा में  राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम का इस उद्देश्य के साथ शुभारंभ किया था, कि खुरपका मुंह पका रोग अर्थात एफएमडी और संक्रामक गर्भपात अर्थात ब्रूसेलोसिस जैसी पशुओं की अति खतरनाक बीमारियों का समूल उन्मूलन किया जा सके। >>>

पशुओं की बीमारियाँ

रक्तमूत्रमेह: पर्वतीय क्षेत्र के गौवंशीय पशुयों की एक गंभीर बीमारी

ये पशु एक असंक्रामक, किन्तु चिरकारी रोग जिसे ‘रक्तमूत्रमेह’ या ‘हिमेचूरिया’ कहते हैं, का शिकार हो रहे हैं। यह रोग 4-5 वर्ष से अधिक की आयु वाले वयस्क और वृद्ध >>>

पशुपालन

पशु के ब्यांत के पश्चात होने वाली मुख्य बिमारी मिल्क फीवर (दुग्ध ज्वर): जानकारी बचाव एवं उपचार

जैसे की मिल्क फीवर-पशुओं का मिल्क फीवर एक उपापचय सम्बन्धित विकार है। यह रोग सामान्यतः गाय एवं भैसों मे व्याने के दो दिन पहले से लेकर तीन दिन बाद तक होता है। >>>

कुक्कुट पालन

मुर्गियों में खनिज एवं विटामिन्स की कमी से होने वाले रोग एवं उससे बचाव

खनिज लवण मुर्गियों के स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते है। यह शरीर निर्माण के साथ-साथ मुर्गियों के वृद्धि, विकास एवं उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते >>>