पशुओं की बीमारियाँ

दुधारू पशुओ मे ब्यांत के पश्चात होने वाली मुख्य बिमारी मिल्क फीवर (दुग्ध ज्वर)

दुग्ध ज्वर एक मेटाबोलिक (उपापचयी) रोग है जिसे अंग्रेजी में मिल्क फीवर रोग कहा जाता है, जो गाय या भैंस में ब्याहने से दो दिन पहले से लेकर तीन दिन बाद तक होता है। परन्तु कुछ पशुओं में यह रोग ब्याने के पश्चात 15 दिन तक भी हो सकता है। मिल्क फीवर पशु के शरीर में कैल्शियम की कमी के कारण होता है। मिल्क फीवर ज्यादातर अधिक दूध देने वाली गाय या भैंस में होता है परन्तु यह रोग भेड़ बकरियों की दुधारू नस्लों में भी हो सकता है। >>>

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ब्याने के बाद दुधारू पशुओं में होने वाली मुख्य उत्पादक बीमारियां/ चपापचई रोग

बहुधा पशु ब्याने के वक्त बिल्कुल निरोग होता है एवं ब्याने की प्रक्रिया में भी कोई मुश्किल नहीं होती परंतु रक्त में किसी खास तत्व की कमी आने से वह पशु बीमारी के लक्षण प्रकट करने लगता है। >>>

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कीटोसिस दुधारू पशुओं का एक चपापचई रोग

कीटॉसिस पशुओं का एक चपापचई रोग है जिसे ऐसीटोनीमिया भी कहते हैं। जो पशु के ब्याने के बाद कुछ दिनों से लेकर कुछ सप्ताह में होता है। इस रोग में रक्त में ग्लूकोज की कमी एवं कीटोन बॉडीज की अधिकता तथा >>>

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पशुओं में प्रसवोपरांत होने वाली समस्याएं एवं निदान

पशुपालन कृषि का एक अभिन्न अंग होने के साथ-साथ लघु एवं सीमांत किसानों की आय का प्रमुख स्रोत है जोकि उनके सामाजिक एवं आर्थिक आस्तित्व का आधार हैं। परन्तु पशुओं में प्रसव के उपरांत होने वाली कुछ समस्या >>>

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पशुयों में चयोपचय व अल्पता रोग एवं बचाव

पशुयों में भोजन के विभिन्न अवयवों की आवश्यकता पशुयों की वृद्धि, दुग्ध उत्पादन, मांस उत्पादन एवं जनन क्रियाओं के लिए आवश्यक होती है। >>>