पशु के बार-बार पतला पानी जैसा पिचकारीवत गोबर का आना दस्तों के लक्षण हैं। त्रुटिपूर्ण आहार, फफूंद लगे आहार तथा अचानक आहार में परिवर्तन व भौतिक दशा तथा परिवेश में अंतर तथा परजीवी, जीवाणु और विषाणु से उत्पन्न रोगों में अक्सर दस्त हो जाते हैं।
लक्षण
पशु अक्सर खाना छोड़ कर एकदम सुस्त हो जाता है पिछले पैर पतले गोबर में सन जाते हैं। पानी की कमी के कारण उसकी आंखें गड्ढे में धंस जाती हैं, तथा गंभीर दशा में शरीर का तापमान भी कम हो जाता है तथा शरीर के भार में कमी आ जाती है।
उपचार
- रोग की चिकित्सा उसके कारणों पर निर्भर होती है। यदि उदर के अंत: परजीवी के कारण दस्त हुए हैं तो उचित व उपयुक्त मात्रा में क्रमी नाशक औषधि जैसे अल्बेंडाजोल या ऑक्सीकलोजानाइड एवं लेवामिसाल का कांबिनेशन देना चाहिए।
- यदि जीवाणु अथवा विषाणु के कारण दस्त हुए हैं तो प्रतिजैविक औषधि देना उचित रहेगा।
नैबलान
यह अति उत्तम आयुर्वेदिक औषधि है जोकि पतले गोबर को बांधकर उसके बार-बार आने को कम करती है तथा आंतों की सूजन व उसमें किसी प्रकार की असहनीयता को दूर करके आराम पहुंचाती है।
मात्रा तथा सेवन विधि
- इसको चटनी की भांति मुंह में रगड़ देना चाहिए तथा सादे पानी व चावल के मांड में भी निम्न प्रकार दी जा सकती है।
- गाय या भैंस 50 से 100 ग्राम एवं बछड़े एवं बछिया के लिए 10 से 20 ग्राम
- उक्त औषधि उपरोक्त अनुसार दिन में दो से तीन बार तथा गंभीर अवस्था में प्रति 6 घंटे के अंतर से देनी लाभप्रद होती है।
डायरोक पाउडर
गाय भैंस में 30 ग्राम सुबह शाम चावल के मांड में दी जा सकती है। बछिया और पड़िया को 10 से 15 ग्राम उपरोक्त अनुसार दी जा सकती है।
इस लेख में दी गयी जानकारी लेखक के सर्वोत्तम ज्ञान के अनुसार सही, सटीक तथा सत्य है, परन्तु जानकारीयाँ विधि समय-काल परिस्थिति के अनुसार हर जगह भिन्न हो सकती है, तथा यह समय के साथ-साथ बदलती भी रहती है। यह जानकारी पेशेवर पशुचिकित्सक से रोग का निदान, उपचार, पर्चे, या औपचारिक और व्यक्तिगत सलाह के विकल्प के लिए नहीं है। यदि किसी भी पशु में किसी भी तरह की परेशानी या बीमारी के लक्षण प्रदर्शित हो रहे हों, तो पशु को तुरंत एक पेशेवर पशु चिकित्सक द्वारा देखा जाना चाहिए। |
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