श्री परषोत्तम रुपाला, माननीय मत्स्य, पशुपालन और दुग्ध विकास मंत्री भारत सरकार के मुख्य आतिथ्य में एवं श्रीमती रेखा आर्या माननीय पशुपालन एवं दुग्ध विकास मंत्री उत्तराखण्ड सरकार के विशिष्ट आतिथ्य में आज राजकीय पशु प्रजनन प्रक्षेत्र, कालसी, देहरादून अंतर्गत भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना अंतर्गत वित्तपोषित कुल लागत ₹ 19.63 करोड़ से स्थापित निम्न कार्ययोजनाओं का लोकार्पण किया गया।
- गोवंश हेतु भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक प्रयोगशाला (IVF Lab on Bovines) का लोकार्पण
- जैव भ्रूण प्रोद्योगिकी प्रशिक्षण छात्रावास (ETT Training Center) का लोकार्पण
- सचल भ्रूण प्रत्यारोपण प्रयोगशाला वाहन (Mobile IVF Lab) का लोकार्पण
इस अवसर पर “रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फण्ड (RIDF) नाबार्ड द्वारा वित्तपोषित कुल लागत रू 4.92 करोड़ से निम्न कार्य योजनाओं का शिलान्यास किया गया।
- स्वचालित मिल्क पार्लर (Automated tandem milk Parlour)
- 50 वत्स क्षमतायुक्त शिशु गोवंस बाड़ा
- 3000 कुंतल क्षमतायुक्त भूसा गोदाम
- पशुओं के लिए पीने के पानी की व्यवस्था हेतु 1 लाख लीटर क्षमतायुक्त पेयजल टैंक एवं 1.5 किलोमीटर लम्बी पेयजल पाइपलाइन का विकास
- कृषक प्रशिक्षण केंद्र का सुदृढीकरण
इस अवसर पर डॉ. आर. मिनाक्षीसुन्दरम, सचिव पशुपालन, उत्तराखण्ड शासन द्वारा अवगत कराया गया कि, गत 80 वर्षों से राजकीय पशु प्रजनन प्रक्षेत्र कालसी द्वारा लाल सिन्धी (Red Sindhi) नस्ल के गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु निरंतर प्रशंसनीय योगदान किया जा रहा है। वर्तमान समय में देश में Purebred Red Sindhi Breeding Stock के रूप में राजकीय पशु प्रजनन प्रक्षेत्र कालसी के ‘लाल सिन्धी (Red Sindhi) नस्ल के गोवंश को अग्रणी स्थान प्राप्त है। गिर एवं साहिवाल नस्ल के गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु अभिनव प्रयास किये जा रहे हैं। राजकीय पशु प्रजनन प्रक्षेत्र कालसी द्वारा भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक (Embryo Transfer Technique) में उल्लेखनीय योगदान करते हुए देशभर के पशुचिकित्सा विशेषज्ञों हेतु स्टेट ऑफ़ आर्ट प्रशिक्षण केंद्र के रूप में सेवाएँ डी जा रही है।क्यू उत्तराखण्ड राज्य द्वारा देश में पहली बार, विदेशी तकनीक आयात कर लिंग वर्गीकृत कृत्रिम गर्भाधान स्ट्रॉ तैयार किये जाने हेतु प्रयोगशाला स्थापित की गयी। लिंग वर्गीकृत कृत्रिम गर्भाधान स्ट्रॉ तकनीक से कृत्रिम गर्भाधान कर 93% प्रकरणों में मादा शिशुओं को पैदा किया जा पाना संभव हो सका है। इस तकनीक से दुधारू पशुओं से अधिकाधिक उत्पादकता सुनिश्चित करते हुए नर गोवंशीय पशुओं के परित्याग पर प्रभावी अंकुश लगाया जाना संभव हो सकेगा।
कार्यक्रम में माननीय पशुपालन मंत्री, उत्तराखण्ड सरकार श्रीमती रेखा आर्या द्वारा केन्द्रीय स्तर पर पृथक से पशुपालन, दुग्ध विकास एवं मत्स्य विकास मंत्रालय का गठन किये जाने हेतु माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का हार्दिक आभार प्रकट किया गया। पशुपालन, दुग्ध विकास एवं मत्स्य विकास मंत्रालय भारत सरकार के मार्गदर्शन में इस क्षेत्र में भी एतिहासिक प्रगति हेतु संकल्प प्रकट किया गया। पशुचिकित्सालयों के आधुनिकीकरण, चारा विकास, अतिहिमिकृत वीर्य उत्पादन प्रयोगशाला के उन्नयन, कुक्कुट सेक्टर के विकास, भेड़ बकरीपालन सेक्टर के विकास तथा रोग निदान प्रयोगशालाओ के उन्नयन हेतु प्रस्तावित रू 500 करोड़ से अधिक की कार्ययोजनाओं की भारत सरकार स्तर से स्वीकृति की मांग की गयी।
कार्यक्रम में माननीय मत्स्य, पशुपालन और दुग्ध विकास मंत्री भारत सरकार श्री परषोत्तम रुपाला जी द्वारा अवगत कराया गया कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा देशभर में पशुओं हेतु भी मोबाइल क्लिनिक के माध्यम से पशुपालक के द्वार पर पशुचिकित्सा सेवाएँ दिए जाने हेतु अभिनव योजना स्वीकृत कि गयी है। इस क्रम में उत्तराखण्ड राज्य हेतु भी 60 मोबाइल क्लिनिक स्वीकृत कर बजट आबंटन किया जा चुका है। भारत सरकार द्वारा खेतिहर कृषकों की भांति पशुपालकों एवं मत्स्यपालकों हेतु भी शून्य प्रतिशत ब्याज पर पशुपालक किसान क्रेडिट कार्ड दिए जाने का निर्णय लिया गया है। माननीय प्रधानमंत्री की दूरदृष्टि में दुग्ध, अंडा एवं मछली पालन के क्षेत्र में सर्वांगीण विकास कर कृषक की आय में वृद्धि हेतु भारत सरकार सदैव हर प्रकार के सहयोग एवं सहायता हेतु कृतसंकल्प एवं समर्पित है।
कार्यक्रम के अंत में डॉ. प्रेम कुमार, निदेशक, पशुपालन विभाग, उत्तराखण्ड द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। कार्यक्रम में डॉ. आर. मिनाक्षीसुन्दरम, सचिव पशुपालन, उत्तराखण्ड शासन, डॉ. एम. एस. चौहान, निदेशन एन.डी.आर.आई करनाल, डॉ. भूषण त्यागी, संयुक्त आयुक्त (राष्ट्रीय गोकुल मिशन) पशुपालन मंत्रालय भारत सरकार, डॉ. प्रेम कुमार, निदेशक पशुपालन विभाग/ मुख्य अधिशासी अधिकारी उत्तराखण्ड पशुधन विकास परिषद्, डॉ. एस.एस. बिष्ट, सेवानिवृत निदेशक पशुपालन विभाग, डॉ. के.के. जोशी सेवानिवृत निदेशक, पशुपालन विभाग, डॉ. कमल सिंह सेवानिवृत मुख्य अधिशासी अधिकारी उत्तराखण्ड पशुधन विकास परिषद्, डॉ. अशोक कुमार, अपर निदेशक गढ़वाल, डॉ. लोकेश कुमार, परियोजना निदेशक, राजकीय पशु प्रजनन प्रक्षेत्र, कालसी, डॉ. नीरज सिंघल, संयुक्त निदेशक, डॉ. देवेन्द्र कुमार शर्मा, संयुक्त निदेशक, डॉ. सुनील कुमार बिंजोला, संयुक्त निदेशक, डॉ. आशुतोष जोशी, संयुक्त निदेशक, डॉ. आर.एस. नेगी, रजिस्ट्रार, डॉ. विद्यासागर कापड़ी, मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी, देहरादून, डॉ. एस.के. सिंह, मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी, पौड़ी, डॉ. योगेश भारद्वाज, मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी, हरिद्वार, डॉ. असीम देब, संयुक्त निदेशक, डॉ. अजयपाल सिंह असवाल, विशेषज्ञ भ्र्रों प्रत्यारोपण तकनीक, डॉ. कैलाश उनियाल, अध्यक्ष, उत्तराखण्ड राज्य पशुचिकित्सा सेवा संघ, डॉ. अनोज डिमरी, डॉ. सतीश जोशी, डॉ. विवेकानंद सती, डॉ. विशाल शर्मा, डॉ. पुनीत भट्ट, डॉ. अशोक लीलाधर बिष्ट, डॉ. बृजेश रावत, डॉ. दिनेश चन्द्र सेमवाल, डॉ. अनूप नौटियाल, डॉ. अमित देवराड़ी, डॉ. मृदुला तिवारी, डॉ. चेतना धपोला, डॉ. उर्वशी प्रकाश, डॉ. साजिद, डॉ. बीना बिष्ट एवं अन्य विभागीय अधिकारियों एवं सहयोगी कार्मिकों द्वारा प्रतिभाग किया गया। कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. कैलाश उनियाल द्वारा किया गया।
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