राजस्थान में पशुपालन विभाग उपेक्षा का शिकार, पशु चिकित्सकों की कमी के कारण पशु चिकित्सा सेवाएं बाधित

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कृषि प्रधान राजस्थान प्रदेश की सकल घरेलू उत्पादन आय का दस फीसदी योगदान पशुपालन व्यवसाय से है, भारत सरकार के पशुपालन सांख्यिकी विभाग द्वारा जारी किए गए पशुगणना के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2012 में की गई 19वीं पशुगणना के अनुसार 11.75% के साथ प्रदेश दूसरे स्थान पर हो गया है। देश भर में ऊंटों और बकरियों की संख्या के लिहाज से राजस्थान का स्थान देश में प्रथम है जबकि भैंसवंशीय की संख्या में दूसरा, भेड़ो की संख्या में  तीसरा और अश्वों की संख्या में चौथा स्थान आँका गया है। 2012 पशुधन जनगणना के अनुसार राज्य की पशुधन संख्या 577.32 लाख और 80.24 लाख से अधिक पोल्ट्री हैं। राजस्थान में देश की पशु आबादी का केवल 7% हिस्सा है और कुल दूध उत्पादन का लगभग 11%, मटन का 30% और देश में उत्पादित 31% ऊन का योगदान करता है। देश भर में ऊन उत्पादन में राजस्थान पहले स्थान पर है।

पशुधन की राज्य में इतनी उपयोगिता होने बाद भी राज्य के पशु चिकित्सालयों में पशु चिकित्सा अधिकारीयों की भारी कमी है। हालत ये है की कई स्थानों पर तो तीन दिन ही अस्पताल खुल रहे है। जिसके कारण बीमार पशुओं का समय पर उपचार नहीं हो पा रहा। पशुपालक बीमार बेजुबान पशुओं के उपचार हेतु इधर-उधर भटकने को मजबूर है।

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पिछले 5 साल में एक भी पशुचिकित्सकों की भर्ती नहीं
राज्य के पशुपालन विभाग में पशुचिकित्सकों के 60 फीसदी पद खाली चल रहे हैं। बावजूद इसके पिछले पांच साल में इन पदों को भरने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए हैं। हालांकि सरकार ने 2017-18 के बजट में पशुचिकित्सकों के 900 पदों पर भर्ती की घोषणा की थी लेकिन उसका क्रियान्वयन अभी तक नहीं हो पाया है, जिसके चलते सरकार की कई महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ पशुपालकों को नहीं मिल पा रहा है।

राज्य में पशु चिकित्सा संस्थानों में स्टाफ की स्थति

पद नाम स्‍वीकृत पद वर्तमान स्थिति में रिक्त पद
वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी 955 142
पशु चिकित्‍सा अधिकारी 1842 1035
पशुधन सहायक 7364 2313

इसे लापरवाही कहें या अनदेखी
राज्य के उपकेन्द्र व पशु डिस्पेंसरियों में अधिकांश स्थानों पर पशु चिकित्सा सहायक व पशुधन सहायक को प्रभारी नियुक्त कर रखा है, जबकि भारतीय पशुचिकित्सा परिषद् (VCI) के नियमों के अनुसार पशु चिकित्सा सहायक या पशुधन सहायक केवल पशुचिकित्सक की निगरानी में ही पशुओं का उपचार कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार जब राज्य में पशु चिकित्साधिकारियों के 1035 पद व वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारियों के 142 पद रिक्त हैं तो कैसे संभव है कि राज्य में पशु चिकित्सा व्यवस्था सुचारु एवं नियमानुसार है।

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राजस्थान पशु चिकित्सक संघ ने अतिरिक्त मुख्य सचिव पशुपालन को ज्ञापन देकर पशुपालन विभाग में पशुचिकित्सकों तथा अन्य रिक्त पदों को अविलम्ब भरने की मांग की है, तथा अन्य प्रदेशों की भांति राजस्थान के पशुचिकित्सको को भी नॉन प्रैक्टिस भत्ता देने की मांग की है। ताकि प्रदेश के पशुधन का विकास कर पशुपालकों की अर्थव्यवस्था को बढावा देने में मदद मिल सके।

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