झारखंड 2022 तक दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर होगा- पशुपालन मंत्री

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20 जुलाई 2019: झारखंड के कृषि, पशुपालन, एवं सहकारिता मंत्री श्री रणधीर सिंह ने “डेयरी सहकारिता से ग्रामीण समृद्धि” विषय पर आयोजित गोष्ठी में कहा की, राज्य सरकार ने 2022 तक दूध उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने ये भी कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कई स्तर से तैयारी की जा रही है। पशुओं में नस्ल सुधार कार्यक्रम के साथ साथ दुग्ध प्रोसेसिंग प्लांट्स की क्षमता भी बड़ाई जा रही है।

श्री सिंह ने कहा कि दूध उत्पादन में  2022 तक आत्मनिर्भर होने के लिए 2020  तक 50 हज़ार महिलाओं को 90 फीसदी अनुदान पर गाय देने का लक्ष्य रखा गया है, अब तक 26397 महिलाओं को गाय का वितरण कर दिया गया है। इस मौके पर किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें सम्मानित किया गया, उनके बीच लाभांस का वितरण भी किया गया।

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राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के अध्यक्ष दिलीप रथ ने कहा कि मेधा प्लांट को झारखंड में 5 वर्ष पूरे हो गए हैं। दिलीप रथ ने बताया कि झारखंड में दूध महासंघ के माध्यम से 2000 गांवों में दुग्ध संग्रहण का काम हो रहा है, और अब तक करीब 20 हजार से अधिक पशुपालकों को जोड़ा गया हैं। 1.25 लाख लीटर दूध का कलेक्शन प्रतिदिन हो रहा है और किसानों के खाते में इस मद में 10 करोड़ की राशि भेजी जा रही है।

इस अवसर पर कृषि सचिव पूजा सिंघल ने जानकारी दी की 90 प्रतिशत अनुदान पर गाय वितरण की स्कीम जो अब तक 15 जिलों में चल रही थी, उसे सरकार ने अब 24 जिलों के लिए कर दिया है। साथ ही उन्होंने ये जानकारी भी दी सरकार ने पशुओं में नस्ल सुधार कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए पंचायत स्तर पर कृत्रिम गर्भाधान केंद्र  खोलने का निर्णय लिया है। जल्द ही सभी पंचायतों में कृत्रिम गर्भाधान केंद्र चालू हो जायेंगे।

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